Donald Trump : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर नोबेल शांति पुरस्कार न मिलने को लेकर सार्वजनिक मंचों पर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। इस बार उन्होंने दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को टालने में अहम भूमिका निभाई, लेकिन इसके बावजूद उन्हें शांति के नोबेल से वंचित रखा जाएगा।
ट्रंप ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा— “मैं चाहे दुनिया में कितनी ही शांति लाने की कोशिश क्यों न करूं, मुझे नोबेल पुरस्कार नहीं मिलेगा।” यही नहीं, उन्होंने दावा किया कि भारत-पाक संघर्ष के अलावा उन्होंने रवांडा-कांगो, सर्बिया-कोसोवो, मिस्र-इथियोपिया और यहां तक कि रूस-यूक्रेन व इजराइल-ईरान जैसे मामलों में भी टकराव रोकने की कोशिश की है।
ट्रंप की ‘शांति नीति’ और नोबेल की ख्वाहिश
अमेरिकी राष्ट्रपति ने संकेत दिया कि भले ही उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के संघर्षों को टालने या सुलझाने की कोशिश की हो, लेकिन उन्हें वैश्विक मंचों पर इसका कोई औपचारिक श्रेय नहीं मिल रहा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि वह अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो के साथ मिलकर रवांडा और कांगो के बीच वर्षों पुराने टकराव को समाप्त करने की दिशा में एक “अद्भुत समझौते” पर काम कर रहे हैं। ट्रंप ने इसे अफ्रीका ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए एक “महत्वपूर्ण दिन” बताया।
भारत-पाक विवाद पर फिर दावा
भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रोकने को लेकर ट्रंप पूर्व में भी दावा कर चुके हैं। हालांकि भारत सरकार ने ट्रंप की मध्यस्थता की भूमिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया था कि संघर्ष विराम की पहल दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच हुई प्रत्यक्ष बातचीत का नतीजा थी। ऐसे में ट्रंप के हालिया बयानों को एक बार फिर से नोबेल की दौड़ में स्वयं को आगे दिखाने की कोशिश माना जा रहा है। ट्रंप ने अब्राहम समझौते का हवाला देते हुए कहा कि उनके प्रयासों से इजराइल और कई अरब देशों के बीच ऐतिहासिक रिश्ते दोबारा स्थापित हुए, जिससे पश्चिम एशिया में शांति की एक नई नींव रखी गई। इसके बावजूद, वे खुद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
पाकिस्तान ने जताया समर्थन
ट्रंप को नोबेल पुरस्कार दिलाने के लिए समर्थन देने वाला पाकिस्तान पहला देश बन गया है। वाशिंगटन में पाकिस्तानी सेना प्रमुख के साथ हुए लंच के बाद इस समर्थन की घोषणा ने इस पूरे मामले को और विवादास्पद बना दिया है। आलोचकों का कहना है कि ट्रंप की नोबेल की ख्वाहिश अब सार्वजनिक मंच पर बार-बार उजागर हो रही है और वे इसे लेकर ‘क्रेडिट पॉलिटिक्स’ में जुटे हैं। Donald Trump