Donald Trump

Donald Trump :  अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा विदेशी मानवीय सहायता में की गई भारी कटौती से अगले कुछ वर्षों में दुनिया को भीषण मानवीय संकट का सामना करना पड़ सकता है। प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल द लांसेट में प्रकाशित एक हालिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यदि यह कटौती लागू रहती है, तो वर्ष 2030 तक भूख, कुपोषण और बीमारियों के चलते 1.4 करोड़ अतिरिक्त लोगों की जान जा सकती है।

अमेरिकी नीति का खामियाजा भुगतेंगे गरीब देश

रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि इन संभावित मौतों में 45 लाख से अधिक बच्चे होंगे, जिनकी उम्र पांच वर्ष से कम होगी। यानी हर साल औसतन 7 लाख मासूमों की जान पर संकट मंडराता रहेगा। यह प्रभाव मुख्यतः गरीब और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में महसूस किया जाएगा, जहां अमेरिकी सहायता अब तक जीवनरेखा साबित होती रही है।

USAID की योजनाओं में 80% कटौती

अमेरिकी सीनेट के विदेश मामलों की समिति के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने USAID—यानी अमेरिका की विकास सहायता एजेंसी—की लगभग 80 प्रतिशत योजनाओं को या तो बंद कर दिया या उन्हें ठप कर दिया है। इनमें टीकाकरण, पोषण, आपदा राहत, स्वच्छ पेयजल और मातृ-शिशु स्वास्थ्य से जुड़ी कई प्रमुख योजनाएं शामिल थीं। रिपोर्ट के सह-लेखक और बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ के शोधकर्ता डॉ. डेविड रासेला ने चेतावनी दी कि यह कदम वैश्विक स्तर पर एक ‘अदृश्य युद्ध’ सरीखा झटका साबित हो सकता है। उन्होंने कहा, “इस कटौती से पिछली दो पीढ़ियों में स्वास्थ्य और विकास के क्षेत्र में जो प्रगति हुई थी, वह एक झटके में रुक सकती है या उलट सकती है।”

UN ने जताई गहरी चिंता

संयुक्त राष्ट्र ने इस हालात को ‘गंभीर मानवीय संकट’ बताया है। संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों का कहना है कि सहायता में इस तरह की भारी कटौती से लाखों लोगों की जान संकट में है। बीबीसी की एक रिपोर्ट में केन्या के काकुमा शरणार्थी शिविर का हवाला देते हुए बताया गया है कि वहां लोग भोजन की अनुपलब्धता से मर रहे हैं। एक बच्ची इतनी कुपोषित हो गई कि उसकी त्वचा झड़ने लगी और वह शरीर हिला तक नहीं पा रही थी।

अफ्रीका समेत कई क्षेत्रों पर पड़ेगा सीधा असर

यह फैसला खासकर अफ्रीका, दक्षिण एशिया और लैटिन अमेरिका के उन इलाकों में कहर बनकर टूट सकता है, जहां लाखों लोग अमेरिकी सहायता से मिलने वाले पोषण, इलाज और आधारभूत सेवाओं पर निर्भर हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सहायता कटौती केवल एक आर्थिक निर्णय नहीं, बल्कि यह वैश्विक नैतिक जिम्मेदारी से विमुखता का उदाहरण भी है।

Donald Trump

क्या वैध है बांग्लादेश की अंतरिम सरकार? 16 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट देगा जवाब

ग्रेटर नोएडा – नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें।

देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें  फेसबुक  पर लाइक करें या  ट्विटर  पर फॉलो करें।