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UN Water Conference : संकट में पड़ सकता है गंगा, सिंधु और ब्रह्मपुत्र नदियों का अस्तित्व : यूएन

UN Water Conference

The existence of Ganga, Indus and Brahmaputra rivers may be in trouble: UN

संयुक्त राष्ट्र। ‘जल ही जीवन है’, यह सिर्फ शब्द नहीं, इसका अर्थ पृथ्वी पर मौजूद सभी प्राणियों के जीवन से जुड़ी सच्चाई है। जल के बिना जीवन की कल्पना ही बेमानी है। इस बात को अब दुनिया ने समझ लिया है। यही वजह है कि धरती पर जल स्रोतों के लगातार कम होने पर दुनिया अब चिंतित होने लगी है। अगर हम अब भी नहीं सुधरे तो वह दिन दूर नहीं, जब भारत की तीन प्रमुख नदियों गंगा, सिंधु और ब्रह्मपुत्र का अस्तित्व ही संकट में पड़ सकता है।

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दुनिया के 10 प्रतिशत हिस्से में हिमनद

संयुक्त राष्ट्र 2023 जल सम्मेलन में यूएन के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने आगाह किया कि आने वाले दशकों में ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमनद घटने से भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी प्रमुख हिमालयी नदियों में जल प्रवाह कम हो सकता है। इंटरनेशनल ईयर ऑफ ग्लेशियर प्रिजर्वेशन पर बुधवार को आयोजित एक कार्यक्रम में गुतारेस ने कहा कि हिमनद पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक है। दुनिया के 10 प्रतिशत हिस्से में हिमनद हैं। हिमनद दुनिया के लिए जल का एक बड़ा स्रोत भी है। गुतारेस ने चिंता व्यक्त की कि मानव गतिविधियां ग्रह के तापमान को खतरनाक नए स्तरों तक ले जा रही है और पिघलते हुए हिमनद बेहद खतरनाक हैं।

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डरा रही है बर्फ पिघलने की रफ्तार

अंटार्कटिका में हर साल औसतन 150 अरब टन बर्फ घट रही है, जबकि ग्रीनलैंड की बर्फ और भी तेजी से पिघल रही है। वहां हर साल 270 अरब टन बर्फ पिघल रही है। एशिया की 10 प्रमुख नदियां हिमालय क्षेत्र से निकलती हैं, जो इसके जलसम्भर में रहने वाले 1.3 अरब लोगों को जल की आपूर्ति करती हैं। गुतारेस ने कहा कि जैसे-जैसे आने वाले दशकों में हिमनद और बर्फ की चादरें घटेंगी, वैसे-वैसे सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी प्रमुख हिमालयी नदियों में इसका प्रभाव दिखेगा और उनका जल प्रवाह कम होता जाएगा। उन्होंने कहा कि दुनिया पहले ही देख चुकी है कि कैसे हिमालय पर बर्फ के पिघलने से पाकिस्तान में बाढ़ की स्थिति बिगड़ गई है। वहीं, समुद्र का बढ़ता स्तर और खारे पानी का प्रवेश इन विशाल ‘डेल्टा’ के बड़े हिस्से को नष्ट कर देगा।

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संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन में की गई सुधारों की समीक्षा

यह कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र 2023 जल सम्मेलन के मौके पर आयोजित किया गया। जल सम्मेलन में औपचारिक रूप से जल व स्वच्छता पर कार्रवाई के लिए संयुक्त राष्ट्र के एक दशक (2018-2028) में किए जाने वाले कार्यों की मध्यावधि समीक्षा की गई। यह सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में अभी जारी है। ताजिकिस्तान और नीदरलैंड इसकी मेजबानी कर रहे हैं। 22 से 24 मार्च तक जारी सम्मेलन में जो भी निकलकर आएगा, उसे सतत विकास पर संयुक्त राष्ट्र के उच्च-स्तरीय राजनीतिक मंच के 2023 सत्र में शामिल किया जाएगा।

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