इजराइल हमास युद्ध : इज़राइल पर हमास के हमले मरने वालों की संख्या अब 700 के पार जा पहुंची है और हमास ने सैकड़ों लोगों को बंधक बनाया हुआ है। जवाब में इजराइल ने भी हमास को मुँह तोड़ जवाब दिया है। दोनों ओर से एक दूसरे पर अटैक किए जा रहे हैं।
इस युद्ध पर हर देश अपनी-अपनी रणनीति के अनुसार इजराइल का समर्थन या विरोध कर रहे हैं। इस मुद्दे पर दुनिया दो भागों में बंटी नजर आ रही है, जहां अधिकतर देश इजराइल के साथ खड़े नजर आ रहे हैं, तो वहीं कुछ देश उसका विरोध भी कर रहे हैं।
इजराइल हमास युद्ध ये देश कर रहे हैं इजराइल का समर्थन
अमेरिका ने इजराइल का खुला समर्थन किया है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि “इजराइल की मदद के लिए हम हर तरह से तैयार हैं। उसे हम हर संभव सहायता उपलब्ध कराएँगे। इजराइल को अपनी और अपने लोगों की रक्षा करने का अधिकार है।” साथ ही अमेरिकी डिफेंस सेक्रेटरी लॉयड ऑस्टिन ने कहा है कि “हम इस बात का ध्यान रखेंगे कि इजराइल को अपनी सुरक्षा में किसी तरह की कमी न रहे।”
भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने भी “इजराइल पर हुए हमले की कड़ी निंदा की और इजराइल पर हुए हमले की निंदा करते हुए उसका पूरा समर्थन किया।” इसी तरह EU- यूरोपियन यूनियन की चीफ उर्सला ने भी इजराइल का समर्थन करते हुए कहा है कि “इजराइल को जवाबी कार्रवाई का पूरा हक है। हिंसा को रोकना जरूरी है।”
यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने इजराइल के खिलाफ हमास के हमले की निंदा की है। उन्होंने कहा “हम इस जंग में इजराइल के साथ हैं। उन्हें अपनी और अपने नागरिकों की रक्षा करने का हक हैं।” इसी तरह ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक ने कहा है कि “मैं हमास के हमले से हैरान हूं। इजराइल को अपनी सुरक्षा का पूरा अधिकार है।”
वहीं फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी इजराइल का समर्थन करते हुए कहा कि “दुख की घड़ी में वो हमास के हमले में जान गंवाने वाले लोगों के परिवार के साथ हैं।” इसी तरह ज़्यादातर देशों ने इजराइल पर हमास के हमले की निंदा करते हुए इजराइल का समर्थन किया है। इनमें काफी सारे पश्चिमी देश शामिल हैं।
इजराइल हमास युद्ध
किसी भी पक्ष का समर्थन करने से बच रहे हैं ये देश
रूस ने दोनों में से किसी का समर्थन नहीं करते हुए कहा है कि “मसले का हल बातचीत से सुलझाया जाना चाहिए।’ इसी तरह अन्य अरब देशों से अलग रुख लेते हुए संयुक्त अरब अमीरात ने भी इजराइल का विरोध नहीं किया है और कहा है कि “इस मामले को बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए।”
हालांकि कुछ इस्लामिक देशों ने खुलकर इजराइल पर हमले का समर्थन नहीं किया है, लेकिन विरोध भी नहीं किया है। इनमें सऊदी अरब भी शामिल है। सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर “दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की।”
इसी तरह मोरक्को ने भी बीच का रास्ता लेते हुए के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, “मोरक्को गाजा पट्टी में बिगड़ती स्थिति और सैन्य कार्रवाई पर गहरा शोक जाहिर करता है। हम नागरिकों के खिलाफ हमले की निंदा करते हैं, चाहे वह किसी पक्ष की ओर से किया गया हो।”
ये देश इजराइल का समर्थन नहीं कर रहे हैं
वहीं तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप अर्दोआन ने कहा है “दोनों देशों से संयम बरतन चाहिए।” लेकिन सभी जानते हैं कि वो हमास के साथ है। इसी तरह अरब लीग के प्रमुख अहमद अबुल घेत ने “गाजा में सैन्य अभियानों को तत्काल रोकने का आह्वान किया।” वहीं कुवैत ने भी इजरायल और फिलिस्तीनियों के बीच हालिया घटनाक्रम पर अपनी “गंभीर चिंता” जाहिर की है।
कतर ने खुलकर इस हमले के लिए “अकेले इजरायल को जिम्मेदार बताया है।” इसी तरह यमन पर नियंत्रण रखने वाले हूती विद्रोहियों ने कहा कि “हम ‘वीर जिहादी अभियान’ का समर्थन करते हैं।” मिस्र के विदेश मंत्रालय ने संघर्ष पर गहरी चिंता जाहिर की है। साथ ही आह्लान किया है कि “आने वाले समय में किसी भी तरह की हताहतों से परहेज किया जाना चाहिए।” पाकिस्तान ने भी फिलिस्तीन का समर्थन किया है।
ईरान के सुप्रीम लीडर आयातुल्लाह अली खामेनेई के सलाहकार रहीम सफवी ने हमास के हमले का समर्थन किया है। उन्होंने कहा, “हम फिलिस्तीनी लड़ाकों को बधाई देते हैं। येरूशलम और फिलिस्तीन की आजादी तक हम फिलिस्तीनी लड़ाकों के साथ हैं।” इसी तरह लेबनान ने भी खुलकर हमास का समर्थन किया है। ईरान और लेबनान पर हमास को सहायता देने के आरोप भी हैं।
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