Wrestling Politics : पिछले दिनों भारतीय कुश्ती में राजनीति के घालमेल की जानकारी जब देश के साथ विदेशों में भी पहुंची तो तमाम लोगों और संस्थाओं ने इसकी काफी निंदा की। अब इसी कड़ी में भारतीय कुश्ती को लेकर एक बहुत बड़ी खबर सामने आई है। दरअसल, रेसलिंग फेडरेशन आॅफ इंडिया में राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग काफी नाखुश है। यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग ने रेसलिंग फेडरेशन आॅफ इंडिया को इसे लेकर कड़ी चेतावनी जारी की है। यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के अध्यक्ष नेनाद लालोविक ने रेसलिंग फेडरेशन आॅफ इंडिया के अध्यक्ष संजय सिंह को लेटर लिखकर चेतावनी दी है कि रेसलिंग फेडरेशन आॅफ इंडिया में राजनीतिक या सार्वजनिक हस्तक्षेप यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग संविधान और ओलंपिक चार्टर का उल्लंघन है। अगर भारतीय कुश्ती में राजनीति या राजनीतिक लोगों का दखल होगा तो भारत को कुश्ती खेल में बैन किया जा सकता है।
भारतीय कुश्ती जगत में टेंशन का माहौल
यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के चेतावनी के बाद से भारतीय कुश्ती जगत में टेंशन का माहौल देखने को मिल रहा है। भारतीय कुश्ती में राजनीति का घालमेल जानने के बाद यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के अध्यक्ष नेनाद लालोविक ने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय महासंघों की स्वतंत्रता उनके सुचारू संचालन और अंतरराष्ट्रीय कुश्ती आयोजनों में प्रतिनिधित्व के लिए महत्वपूर्ण है। जबकि सार्वजनिक अनुदानों की निगरानी की जा सकती है, इस दायरे से परे कोई भी हस्तक्षेप महासंघ की स्थिति को खतरे में डाल सकता है। जबसे वर्ल्ड रेसलिंंग ने भारतीय रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष संजय सिंह को पत्र लिखकर आगाह किया है और बैन लगाने की बात की है तभी से पूरे भारतीय कुश्ती जगत में टेंशन का माहौल है।
यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के द्वारा बैन की चेतावनी
यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के द्वारा चेतावनी दी गई है कि यदि बाहरी हस्तक्षेप जारी रहा तो भारतीय कुश्ती महासंघ को निलंबित किया जा सकता है। डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष सिंह ने इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘हां, यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग ने भारतीय कुश्ती महासंघ को निलंबित करने की धमकी दी है कि, यदि डब्ल्यूएफआई के आंतरिक मामलों में सार्वजनिक और राजनीतिक अधिकारियों द्वारा कोई हस्तक्षेप किया जाता है। पत्र आईओए के साथ संलग्न है, वे इसे अदालत में पेश करेंगे। इस पर जल्दी ही निर्णय मिल सकेगा तभी भारतीय कुश्ती के हित में होगा।
डब्ल्यूएफआई के भीतर उथल-पुथल
भारतीय कुश्ती के लिए यह चेतावनी डब्ल्यूएफआई के भीतर महत्वपूर्ण उथल-पुथल के मद्देनजर आई है। दिसंबर 2023 में इसके चुनावों के तुरंत बाद भारत के युवा मामले और खेल मंत्रालय ने महासंघ को निलंबित कर दिया था, जिससे कानूनी और प्रशासनिक जटिलताओं की एक सीरीज शुरू हो गई थी। निलंबन और उसके बाद की कानूनी लड़ाई में भारतीय पहलवानों ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में अपनी भागीदारी लगभग खो दी, जब तक कि खेल मंत्रालय ने निलंबन की समीक्षा करने का फैसला नहीं किया, तब तक अनिश्चितता बनी रही।
पहलवानों को चिंता में डाल देगी ये खबर
यह फैसला अदालत के निर्देश के बाद लिया गया था, जिसमें अपनी स्थिति स्पष्ट करने और एक तदर्थ पैनल को बहाल करने का निर्देश दिया गया था। एक ऐसा कदम जिसका भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने शुरू में विरोध किया था। विवाद के बीच, सरकार ने चर्चा के लिए महासंघ के अधिकृत प्रतिनिधि के रूप में डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष संजय सिंह को बुलाया। सरकार की भागीदारी का उद्देश्य यूडब्ल्यूडब्ल्यू द्वारा उठाई गई चिंताओं को दूर करना और घरेलू चुनौतियों को संतुलित करते हुए अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुपालन को सुगम बनाना है। यूडब्ल्यूडब्ल्यू की चेतावनी का भारतीय कुश्ती पर महत्वपूर्ण प्रभाव है, डब्ल्यूएफआई के निलंबन से गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जिसमें भारतीय पहलवानों को राष्ट्रीय ध्वज के तहत अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में भाग लेने से रोकना भी शामिल है। इन तमाम घटनाक्रमों के दौरान और बाद में भी भारतीय पहलवानों का चिंतित होना स्वाभाविक ही है।
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