Dharma & Spiritual: : सर्वहित की भावना मानवता को जन्म देती है!


लोक आस्था और श्रद्धा का सबसे पवित्र पर्व, छठ पूजा, अपनी भव्यता और आध्यात्मिक महत्ता के कारण सदियों से मनाया जा रहा है। इस महापर्व की चार दिवसीय परंपरा हर साल लोगों के जीवन में नया उत्साह और अनुशासन लेकर आती है। हर दिन का अपना अलग धार्मिक महत्व है – नहाय-खाय से लेकर डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने तक, हर अनुष्ठान व्रतियों की आस्था और भक्ति का प्रतीक है। छठी मैया और भगवान सूर्य की पूजा के माध्यम से यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करता है, बल्कि मन, वचन और कर्म की पवित्रता का संदेश भी देता है। Chhath Puja 2025
परंपराओं और शास्त्रीय नियमों का पालन करना इस महापर्व की सफलता और पुण्य को दोगुना कर देता है। आइए जानें कि इस बार छठ पूजा के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं, ताकि आपकी आस्था और उत्साह दोनों ही संपूर्ण रूप से बनें रहें।
इस वर्ष छठ पूजा 25 अक्टूबर 2025 से शुरू हो रही है और 28 अक्टूबर 2025 तक चलेगी। आयोजन के क्रम इस प्रकार हैं -
25 अक्टूबर: नहाय-खाय
26 अक्टूबर: खरना
27 अक्टूबर: डूबते सूर्य को अर्घ्य
28 अक्टूबर: उगते सूर्य को अर्घ्य और महापर्व का समापन
लोक आस्था और श्रद्धा का सबसे पवित्र पर्व छठ पूजा का हर अनुष्ठान श्रद्धा और शुद्धता की मिसाल है। इस पर्व के दौरान नहाए-खाय से पहले पवित्र स्नान करना अनिवार्य है, जिससे शरीर और मन दोनों शुद्ध हो जाते हैं। घर और पूजा स्थल को स्वच्छ रखना व्रत की भक्ति को बढ़ाता है। व्रती महिलाएँ इस समय नारंगी सिंदूर लगाकर अपनी आस्था प्रदर्शित करती हैं और रात में व्रत कथा पढ़ना या सुनना उनके मन को शांत और एकाग्र बनाता है। इस दौरान केवल घर में बना हल्का और शुद्ध भोजन ही ग्रहण करें। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही ठेकुआ और अन्य प्रसाद का सेवन किया जाना चाहिए, और सबसे पहले इन्हें भगवान सूर्य और छठी मैया को अर्पित किया जाए। पर्व के पवित्र माहौल में झूठ, द्वेष और क्रोध से दूर रहना आवश्यक है, क्योंकि यही आस्था और भक्ति की वास्तविक शक्ति है। Chhath Puja 2025
छठ पूजा के दौरान अनुशासन और शुद्धता का पालन करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना व्रत रखना। इस समय तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज, मांस, मछली, शराब और तंबाकू से पूरी तरह बचना चाहिए। बाहर का तला-भुना या भारी भोजन व्रत की पवित्रता को कम कर सकता है। पूजा से पहले पवित्र स्नान करना आवश्यक है और पुराने या फटे प्रसाद पात्र का उपयोग वर्जित है। प्रसाद ग्रहण करने से पहले कुछ भी न खाएं, ताकि आस्था और भक्ति का अनुभव शुद्ध और संपूर्ण हो। इस तरह का संयम न केवल शरीर को शुद्ध करता है, बल्कि मन और आत्मा को भी आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है। Chhath Puja 2025


