Gupt Navratri 2024 : गुप्त नवरात्रि : दस महाविद्याओं में प्रथम माता काली का पूजन विधान । माघ मास में गुप्त नवरात्रि का अपना विशेष महत्व है। पौराणिक काल से ही इसकी अपनी महत्ता है । आदिकाल से देवी की शक्ति और वरदान के लिये इसे किया जाता रहा है। परेशानी और समस्याओं से जूझते आदमी का मनोबल जब टूटने लगताहै तो अपने आत्म विश्वास और शक्ति को अर्जित कर उनपर विजय की कामना से देवी की उपासना करता है। स्वयं भगवान राम ने देवी की शक्ति पूजा के बाद ही रावण पर विजय पाई थी । इसी प्रकार से महाभारत युद्ध के पूर्व श्री कृष्ण ने स्वयं पार्थ के साथ कुरुक्षेत्र में ही अपनी कुलदेवी भद्रकाली की आराधना कर उनसे विजय का वरदान पाया था । महाभारत युद्ध की समाप्ति और पांडवों की विजय के बाद अपने उस रथ को जिसके वह सारथी थे देवी के कूप में अश्व सहित भेंट देकर समर्पित कर दिया था ।
वर्ष में कुल चार नवरात्रि
वर्ष में कुल चार नवरात्रि होती हैं। संवतसर के प्रारम्भ चैत्र मासके शुक्ल पक्ष की नवरात्रि, दूसरी कुँआर मार मास पितृपक्ष के बाद शारदीय नवरात्रि । गुप्त नवरात्रि में, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष से लेकर भड़ेली नवमी तक गुप्त नवरात्रि होती है । दूसरी माघ मास में मौनी अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक बासंतीय गुप्त नवरात्रि । इसी में माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी को वीणापाणि माँ सरस्वती का जन्म होने से इस दिन का विशेष महत्व है । माघ मास वैसे भी विष्णु भगवान को समर्पित पावन मास में ही प्रयागराज में कल्पवास के साथ संगम स्नान का विशेष महत्व । माघ का मेला मकर संक्रान्ति से लेकर पूरे माह माघ पूर्णिमा तक और उसमें भी गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा की शक्ति पूजा और आराधना उपासना विशेष फलदायी होती है ।
गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा की शक्ति पूजा और आराधना विशेष फलदायी
Gupt Navratri 2024
दोनों ही गुप्त नवरात्रियों में दस महाविद्याओं में मांँ काली , तारा देवी , त्रिपुर सुंदरी,भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता , त्रिपुरभैरवी, मांँ धूमावती, माँ बगलामुखी,मातंगी और कमलादेवी की पूजा अर्चना का विधान है । इस बार की बासंतीय गुप्त नवरात्रि का प्रारम्भ विशेष रूप से रवियोग और सर्वार्थ सिद्धि योग में होने से यह विशेष फलदायी है । इसमें माता की उपासना से कई गुना अधिक फल मिलता है । इसके अलावा गुप्त नवरात्रि में किसी विशेष समस्या के निवारण ,रोग से मुक्ति तथा धन प्राप्ति के लिये विशेष उपाय करने से फल की प्राप्ति होती है ।
गुप्त रूप से अर्द्धरात्रि में एकांत स्थल में दस महाविद्याओं में प्रथम माँ काली की पूजा
वस्तुत:गुप्त नवरात्रि में गुप्त रूप से अर्द्धरात्रि में एकांत स्थल में दस महाविद्याओं में प्रथम माँ काली की पूजा की जाती हे । जिसमें माँ काली को विशेष रूप से लाल रंग की चुनरी ,लालपुष्प तथा दूध का बना नैवेद्य अर्पित कर सरसों के तैल का दिया जलाकर दुर्गा शप्तसती का पाठ करने के बाद मां काली के मंत्र या ‘ऊँदुर्गायै नम:” मंत्र का जाप किया जाता है ।दस महाविद्याओं के पूजन में अखण्ड ज्योति प्रज्ज्वलित करने का विधान है जो नौ दिन तक निरंतर जलती रहती है । पूजन प्रात:काल एवं संध्याकाल दोनों ही समय में किया जाता है ।
विशेष फलदाई गुप्त नवरात्रि में माता सभी का कल्याण करे । विश्व में शांति हो। इसी कामना के साथ माँ के चरणों मेंवंदन नमन करते हुये ।
।जै माता महाकाली की। ऊँ क्लीं कालिकायै नमो नम:।
उषा सक्सेना