Lord Hanuman: भगवान शिव के 11 रूद्र अवतार हैं, और उनमें से एक हैं पवन पुत्र हनुमान। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के सेवक और भक्त हनुमान को कौन नहीं जनता है। इनकी भक्ति और इनके बल के किस्से भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में मशहूर हैं। वह अतुलित बल के स्वामी हैं। उनके अंग वज्र के समान कठोर एवं शक्तिशाली हैं।
कलयुग के देवता हैं हनुमान:
लोग कलयुग के देवता हनुमान जी को कई नामों से पुकारते हैं, किसी के लिए अंजनी कुमार, पवन पुत्र, तो किसी के लिए संकट मोचन, बजरंबली। लगभग हर घर में इनकी पूजा होती है। और खासकर डर में हनुमत का नाम लेना किसे याद नहीं आता। हनुमान जी को चिरंजीवी भी कहते हैं, चिरंजीवी यानी कि अजर-अमर। कहा जाता है कि महावीर हनुमान जी आज भी धरती पर मौजूद हैं। वे भक्तों के परेशानियों को सुनते हैं और उनके संकट हरते हैं। क्या आपको पता है कि भगवान हनुमान जी को चिरंजीवी होने का वरदान क्यों और कैसे मिला था। आज हम आपको बताते हैं कि हनुमान जी कैसे चिरंजीव हुए।
Lord Hanuman को कैसे मिला चिरंजीवी होने का वरदान:
रामायण के अनुसार जब हनुमान जी लंका में माता सीता को ढूँढने पहुचे। जब माता सीता वहां नहीं मिली, तो हनुमानजी ने उन्हें मृत समझ लिया। लेकिन फिर उन्होंने प्रभु श्री राम का स्मरण किया और अपनी पूरी शक्ति के साथ माता सीता को खोजना शुरू किया। इसके उपरांत माता सीता उन्हें अशोक वाटिका में मिल गई। असल में उस वक्त माता सीता ने उन्हें चिरंजीवी होने का वरदान दिया था।
इसके साथ ही जब प्रभू श्री राम युद्ध से लौट कर अयोध्या वापस आए थे, तब हनुमान जी अनन्य भक्त के रूप में प्रभु श्री राम की सेवा प्रतिदिन करते थे। एक दिन जब श्री राम ने गोलोक जाने का विचार किया, तब हनुमान जी ने माता सीता से पूछा ‘हे माता आपने मुझे अमर होने का वरदान तो दे दिया है। किंतु आपने यह नहीं बताया कि जब मेरे प्रभु श्री राम धरती से चलें जाएंगे, तब मैं क्या करूंगा? तब महावीर बजरंगी हनुमान जी ने माता सीता से अपना वरदान वापस लेने को कहा।
हनुमान जी की बातें सुनने के बाद माता सीता समझ चुकी थीं कि वो हनुमान जी को नहीं समझा पाएंगी। इसलिए वो हनुमान जी को भगवान राम जी के पास ले गईं और उन्हें पूरी बात बताई। तब भगवान राम ने हनुमान जी को कहा कि इस धरती पर कोई भी अमर नहीं है, लेकिन तुम्हें यह वरदान मिला है। भविष्य में ऐसा दौर आएगा, जब कोई भी देवता धरती पर अवतरित नहीं होगे, तब तुम्हें लोगों का उद्धार करना है। और अब जब भी कोई भी मुझे स्मरण करेगा, तो उस राम भक्त के हर संकट तुम दूर करोगे। प्रभु की बात सुनकर हनुमान जी ने अपने हठ को त्याग दिया और इस वरदान को भगवान श्री राम की आज्ञा मानकर स्वीकार कर लिया। इसलिए माना जाता है कि आज भी हनुमान जी धरती पर वास करते हैं और राम भक्तों के संकट हरते हैं।
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