Pishach Mochan Shraddha : मार्गशीर्ष माह में आने वाली चतुर्दशी के दिन पिशाचमोचन श्राद्ध का समय होगा। यह दिन पितृ पूजन के लिए बहुत प्रभावी होता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन किया जाने वाला तर्पण इत्यादि कार्य जीवन में पितृ दोष की शांति हेतु उत्तम माना गया है। इस वर्ष अगहन माह अर्थात मार्गशीर्ष माह में 25 दिसंबर के दिन पिशाचमोचन श्राद्ध से संबंधित पूजा कर्मों को किया जाएगा।
पिशाचमोचन का शास्त्रों में महत्व
अगहन माह में शनिवार के दिन आने वाला यह पिशाचमोचन श्राद्ध बहुत ही विशेष फल दायी होगा। इस दिन शनि दोष शांति के साथ साथ पितृ दोष शांति पूजन भी होगा। श्राद्ध से जुड़े कार्यों हेतु पिशाच मोचन श्राद्ध विशेष समय माना गया है। इस समय को मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी तिथि के समय पर किया जाता है। इस समय पर धर्म स्थानों पर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। इस समय पर लोग पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने के लिए बड़ी संख्या में पवित्र नदियों के स्थानों व धर्म तीर्थ स्थलों पर पहुंचते हैं। पिशाच मोचन के दौरान पितरों के निमित्त श्राद्ध कार्य विशेष रुप से किया जाता है।
Pishach Mochan Shraddha in hindi
पिशाचमोचन श्राद्ध पर किए जाते हैं धार्मिक अनुष्ठान
पिशाचमोचन श्राद्ध पर लोग धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। अपने पूर्वजों की शांति के कार्यों को करते हैं। इस समय पर विधि विधान से पिंड दान, पूजन करते हुए लोग देखे जा सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार जो भी परिवार विधि विधान से पूजन अर्चन कर पितरों के मोक्ष की कामना करता है, उसे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह कार्य वंश वृद्धि का सुख देने वाला होता है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से पितरों का कर्ज उतर जाता है। पितृों की आत्मा को मोक्ष मिलता है। इसलिए पिशाचमोचन के समय पर परिवार द्वारा मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है।
पिशाचमोचन पूजन से दूर होता है पितृ दोष
अगहन माह की चतुर्दशी के दिन यह कार्य उत्तम माना गया है। पितरों को प्रसन्न करने की प्रक्रिया को तर्पण या पिंडदान भी कहा जाता है। इस दिन कई तरह से पितरों के निमित्त कार्य संपन्न किए जाते हैं। इस दिन तर्पण करना महत्वपूर्ण होता है। इस कार्य में अनुष्ठान द्वारा पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। तर्पण द्वारा उनसे क्षमा मांगने के लिए उन्हें जल अर्पित करना विशेष होता है। इसके अलावा इस दिन पर पितृ शांति पूजन किया जाता है। स्नान दान एवं अनुष्ठान जैसे कार्य धर्म स्थलों पर एवं पवित्र नदियों पर भी संपन्न किए जाते हैं। इसके अलावा लोग अपने घरों में रहते हुए सामर्थ्य अनुसार इस कार्य को करते हैं तथा पितरों का आशीष प्राप्त कर पाते हैं।
आचार्या राजरानी
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