Chaitra Navratri 2023 : नवरात्रि के छठे दिन होगी देवी कात्यायनी की पूजा, माता का नाम हर लेगा सभी संकट   

WhatsApp Image 2023 03 27 at 9.15.25 AM e1679889275598
Chaitra Navratri 2023: Goddess Katyayani will be worshiped on the sixth day of Navratri
locationभारत
userचेतना मंच
calendar27 MAR 2023 09:26 AM
bookmark
Chaitra Navratri 2023 : चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के छठे दिन माँ कात्यायनी का पूजन होगा 27 मार्च 2023 सोमवार के दिन माता कात्यायनी की उपासना संपन्न होगी  या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। चैत्र नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा होती है. इस दिन चैत्र माह की षष्ठी तिथि के दिन माता का प्रादुर्भाव हुआ था. ऋषि कात्यायन के घर में पुत्री स्वरुप जन्म लेकर माता ने दैत्यों का संघार करके धर्म की स्थापना की ओर अपने भक्तों के संकटों का निवारण किया था. देवी कात्यायनी का स्वरुप बेहद ओज पूर्ण है. देवी के आलौक द्वारा समस्त जग प्रकाशित हैं. देवताओं के लिए माता ने ये रुप धर कर उन्हें राक्षसों के अत्याचारों से मुक्ति प्रदान की.

Chaitra Navratri 2023 :

 

Navratri 2023 6th Day :

कात्यायनी शुभ पूजा मुहूर्त  चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का आरंभ - 26 मार्च 2023 रविवार 16:34 बजे तक चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि की समाप्ति 27 मार्च 2023 सोमवार 17:28 बजे तक देवी कात्यायनी का पूजन 27 मार्च 2023 को संपन्न होगा. इस दिन रोहिणी नक्षत्र की उपस्थिति दोपहर तक रहेगी और उसके पश्चात मृगशिरा नक्षत्र का आगमन होगा. इस दिन आयुषमान नामक योग के होने से शुभता में वृद्धि होगी. चंद्रमा का गोचर उच्च अवस्था में वृष राशि में होने से यह समय साधना के लिए अत्यंत उत्तम होगा. देवी कात्यायनी पूजन के दिन ही स्कंद षष्ठी का पर्व भी  भी मनाया जाएगा. माँकात्यायनी पूजा मंत्र और विधि माता का पूजन प्रात:काल समय पर आरंभ होकर रात्रि तक संपन्न होता है. देवी क अपूजन प्रदोष काल में करने से व्यक्ति को शक्ति एवं शुभ फलों की प्राप्ति होती है. देवी पूजन में इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए पूजा संपन्न करनी चाहिए. चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना । कात्यायनी च शुभदा देवी दानवघातिनी ॥ . देवी कात्यायनी को भोग स्वरुप शहद एवं पान अर्पित किया जाता है. देवी को लाल रंग के वस्त्र एवं शृंगार की वस्तुएं अवश्य अर्पित करनी चाहिए. देवी कात्यायनी अवतरण कथा  धर्म ग्रंथों में जिसमें स्कंद पुराण, शक्ति पुराण एवं वामन पुराण इत्यादि में देवी की उत्पत्ति के विषय में कथाएं उल्लेखित हैं. इन कथाओं के आधार पर देवी का प्रकाट्य माता दुर्गा की षष्ठी शक्ति के रुप में वर्णित है.  देवी की उत्पत्ति ऊर्जाओं के पुंज द्वारा हुई और इस प्रकाश के द्वारा अंधकार का नाश हुआ. देवी कात्यायनी के संदर्भ में एक कथा इस प्रकार है : - एक बार ऋषि कात्यायन जी ने देवी को अपनी पुत्री स्वरुप पाने हेतु इच्छा प्रकट की और उन्होंने देवी की कठोर साधना की, माता ने ऋषि की साधना से प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद दिया की वह उनके घर में पुत्री रुप में उत्पन्न होंगी. अत: इस प्रकार कात्यायन ऋषि के घर जन्म लेने के कारण वह कात्यायनी कहलायीं. देवी के जन्म लेने का एक अन्य कारण था दैत्य राज महिषासुर का वध करना अत: देवताओं को महिषासुर के अत्याचारों से मुक्त करने हेतु माता ने उस दैत्य का अंत करके देवों एवं मनुष्यों को संकट से मुक्त किया एवं पुन: सुख एवं शांति की स्थापना हो पाई. माता का स्वरुप सभी प्रकार के सुखों को प्रदान करने वाला होता है.

Hindi Kavita – माँ तो माँ होती है

अगली खबर पढ़ें

Chaitra Navratri 2023 : नवरात्रि के छठे दिन होगी देवी कात्यायनी की पूजा, माता का नाम हर लेगा सभी संकट   

WhatsApp Image 2023 03 27 at 9.15.25 AM e1679889275598
Chaitra Navratri 2023: Goddess Katyayani will be worshiped on the sixth day of Navratri
locationभारत
userचेतना मंच
calendar27 MAR 2023 09:26 AM
bookmark
Chaitra Navratri 2023 : चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के छठे दिन माँ कात्यायनी का पूजन होगा 27 मार्च 2023 सोमवार के दिन माता कात्यायनी की उपासना संपन्न होगी  या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। चैत्र नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा होती है. इस दिन चैत्र माह की षष्ठी तिथि के दिन माता का प्रादुर्भाव हुआ था. ऋषि कात्यायन के घर में पुत्री स्वरुप जन्म लेकर माता ने दैत्यों का संघार करके धर्म की स्थापना की ओर अपने भक्तों के संकटों का निवारण किया था. देवी कात्यायनी का स्वरुप बेहद ओज पूर्ण है. देवी के आलौक द्वारा समस्त जग प्रकाशित हैं. देवताओं के लिए माता ने ये रुप धर कर उन्हें राक्षसों के अत्याचारों से मुक्ति प्रदान की.

Chaitra Navratri 2023 :

 

Navratri 2023 6th Day :

कात्यायनी शुभ पूजा मुहूर्त  चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का आरंभ - 26 मार्च 2023 रविवार 16:34 बजे तक चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि की समाप्ति 27 मार्च 2023 सोमवार 17:28 बजे तक देवी कात्यायनी का पूजन 27 मार्च 2023 को संपन्न होगा. इस दिन रोहिणी नक्षत्र की उपस्थिति दोपहर तक रहेगी और उसके पश्चात मृगशिरा नक्षत्र का आगमन होगा. इस दिन आयुषमान नामक योग के होने से शुभता में वृद्धि होगी. चंद्रमा का गोचर उच्च अवस्था में वृष राशि में होने से यह समय साधना के लिए अत्यंत उत्तम होगा. देवी कात्यायनी पूजन के दिन ही स्कंद षष्ठी का पर्व भी  भी मनाया जाएगा. माँकात्यायनी पूजा मंत्र और विधि माता का पूजन प्रात:काल समय पर आरंभ होकर रात्रि तक संपन्न होता है. देवी क अपूजन प्रदोष काल में करने से व्यक्ति को शक्ति एवं शुभ फलों की प्राप्ति होती है. देवी पूजन में इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए पूजा संपन्न करनी चाहिए. चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना । कात्यायनी च शुभदा देवी दानवघातिनी ॥ . देवी कात्यायनी को भोग स्वरुप शहद एवं पान अर्पित किया जाता है. देवी को लाल रंग के वस्त्र एवं शृंगार की वस्तुएं अवश्य अर्पित करनी चाहिए. देवी कात्यायनी अवतरण कथा  धर्म ग्रंथों में जिसमें स्कंद पुराण, शक्ति पुराण एवं वामन पुराण इत्यादि में देवी की उत्पत्ति के विषय में कथाएं उल्लेखित हैं. इन कथाओं के आधार पर देवी का प्रकाट्य माता दुर्गा की षष्ठी शक्ति के रुप में वर्णित है.  देवी की उत्पत्ति ऊर्जाओं के पुंज द्वारा हुई और इस प्रकाश के द्वारा अंधकार का नाश हुआ. देवी कात्यायनी के संदर्भ में एक कथा इस प्रकार है : - एक बार ऋषि कात्यायन जी ने देवी को अपनी पुत्री स्वरुप पाने हेतु इच्छा प्रकट की और उन्होंने देवी की कठोर साधना की, माता ने ऋषि की साधना से प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद दिया की वह उनके घर में पुत्री रुप में उत्पन्न होंगी. अत: इस प्रकार कात्यायन ऋषि के घर जन्म लेने के कारण वह कात्यायनी कहलायीं. देवी के जन्म लेने का एक अन्य कारण था दैत्य राज महिषासुर का वध करना अत: देवताओं को महिषासुर के अत्याचारों से मुक्त करने हेतु माता ने उस दैत्य का अंत करके देवों एवं मनुष्यों को संकट से मुक्त किया एवं पुन: सुख एवं शांति की स्थापना हो पाई. माता का स्वरुप सभी प्रकार के सुखों को प्रदान करने वाला होता है.

Hindi Kavita – माँ तो माँ होती है

अगली खबर पढ़ें

Navratri 2023 : एक ऐसा मंदिर जहां जिले के कलेक्टर मां को चढ़ाते हैं मदिरा

04 20
Ujjain News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar26 MAR 2023 10:29 AM
bookmark

Navratri 2023 / उज्जैन: बाबा भोलेनाथ की नगरी उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर से कुछ ही दूरी पर चौबीस खंबा माता मंदिर स्थित है। जहां (Chaubiskhamba Mata Temple) देवी महामाया और महालया को कलेक्टर द्वारा मदिरा की धारा (wine stream) चढ़ाई जाती है। सदियों पुरानी इस परंपरा का निर्वाह करते हुए प्रात: पूजन पश्चात 27 किलोमीटर लम्बी नगर पूजा प्रारंभ होती, जोकि शाम तक चलती है। इस दौरान विभिन्न देवी, भैरव एवं हनुमान मंदिरों पर पूजन कार्य सम्पन्न किया जाता है। इस नगर पूजा का आयोजन तहसील स्तर पर राजस्व विभाग द्वारा किया जाता है। ऐसा केवल उज्जैन में होता है।

Navratri 2023

इस मंदिर में 12वीं शताब्दी के एक शिलालेख पर लिखा हुआ है कि उस समय के राजा ने यहां पर नागर और चतुर्वेदी व्यापारियों को लाकर बसाया था। नगर की रक्षा के लिए शहर में 24 खंबे भी लगाए गए थे। राजा विक्रमादित्य ने यहां दोनों देवियों को मदिरा की धार चढ़ाने की परंपरा शुरुआत की थी। पुरने समय में यह पूजा जमींदारों और जागीरदारों द्वारा की जाती थी।इसी परंपरा को निभाते हुए अब नगर कलेक्टर मदिरा की धार दोनों माताओं को चढ़ाते हैं।

40 देवी और भैरव मंदिरों में लगेगा मदिरा का भोग

इस बार शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी 29 मार्च बुधवार के दिन यहां पर माता का पूजन-अर्चन किया जाएगा। देवी महामाया और महलाया को मदिरा का भोग लगाने के बाद शहर में स्थित लगभग 40 देवी और भैरव मंदिरों में मदिरा का भोग लगाया जाता है। 24 खंबा से आरंभ होने वाली इस यात्रा का समापन अंकपात मार्ग पर स्थित हांडी फोड़ भैरव पर किया जाता है। जो अमला नगर पूजा के लिए निकलता है, उसमें सबसे आगे ढोल, उसके पीछे झण्डा लिए कोटवार रहता है। एक अन्य कोटवार के हाथ में पीतल का लोटा होता है। इस लोटे के पेंदे में एक छेद रहता है। इस छेद का मुंह सूत के धागे से इस प्रकार से बंद किया जाता है कि लोटे में भरी मदिरा बूंद-बूंद धारा के रूप में जमीन पर गिरे। 27 किलोमीटर तक मदिरा की धारा जमीन पर गिरती रहती है। मान्यता है कि मदिरा पीने के लिए राक्षसगण आते हैं।लोगों का मान्यता है कि देवी लोगों की रक्षा करती हैं और महामारी से बचाकर रखती हैं।

द्वार में लगे हैं कुल 12 खंभे

पूर्व के समय में यह द्वार श्री महाकालेश्वर मंदिर जाने का मुख्य प्रवेश द्वार रहा होगा। ये द्वार उत्तर दिशा की ओर बना हुआ है। इस द्वार में कुल 24 खंभे लगे हुए हैं, इसीलिए इस क्षेत्र को 24 खंभा माता मंदिर कहा जाता है। पूर्व में यहां पाड़ों की बलि दी जाती थी, वर्तमान में यहां बलि प्रथा वर्जित है।

UP News : कानपुर जू पहुंचा आरिफ का सारस: 15 दिन क्वारंटीन रहेगा, वन विभाग ने आरिफ को भेजा नोटिस

देश विदेश की खबरों से अपडेट रहने लिए चेतना मंच के साथ जुड़े रहें। देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुकपर लाइक करें या ट्विटरपर फॉलो करें।