Sunday, 22 June 2025

नोएडा में रावण, मेघनाद व कुंभकर्ण का पुतला धू-धू कर जल उठा

Vijayadashami 2023: नोएडा। अधर्म पर धर्म की विजय के प्रतीक स्वरूप दशहरा पर दशानन का अंत आज किया गया। नोएडा…

नोएडा में रावण, मेघनाद व कुंभकर्ण का पुतला धू-धू कर जल उठा

Vijayadashami 2023: नोएडा। अधर्म पर धर्म की विजय के प्रतीक स्वरूप दशहरा पर दशानन का अंत आज किया गया। नोएडा स्टेडियम और सेक्टर-62 में रावण के पुतले की ऊंचाई 70 फीट थी, यहां पर बुराई के प्रतीक रावण आदि का आग लगाकर पुतला दहन किया गया। रामचंद्र जी के तीर मारते ही पुतला धू धू करके जल उठा। लोगों ने अतिउत्‍साहित होकर भगवान राम के नाम का जयकारा लगाया।

कई जगह रावण के पुतला का किया गया दहन

सेक्टर-62 रामलीला मैदान और सेक्टर 21 ए स्टेडियम, सेक्टर 46 में रावण दहन का आयोजन किया गया था। इन सभी जगहों पर यह रावण दहन कार्यक्रम संपन्‍न हुआ।  नोएडा स्टेडियम और सेक्टर-62 में रावण के पुतले की ऊंचाई 70 फीट थी। पुतलों के दहन के दौरान सीसीटीवी कैमरे से निगरानी की जा रही थी।

क्‍यों मनाया जाता है दशहरा और इसका क्‍या अर्थ है

दशहरा का अर्थ है (दश+होरा) दसवीं तिथि । पौराणिक कथा के अनुसार देवी नौ दिन महिषासुर के साथ युद्ध करने के पश्चात दसवें दिन ही उसका वध कर सकी थीं । इसलिये इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में दशहरा अर्थात विजयादशमी के रूप में इस दिन उत्सव मनाया जाता है । सीता हरण के पश्चात जब राम बहुत समय तक रावण को नहीं हरा सके तब नारद मुनि के कहने पर उन्होंने नारद जी के निर्देशन में देवी की आराधना करते हुये इस व्रत को विजय की कामना से किया । देवी को 108 कमल पुष्प पूजन में चढ़ाने के लिये हनुमान जी नित्य हिमालय में स्थित देवताओं के नंदन वन से लाते थे । नवम दिन देवी ने उनकी परीक्षा के लिये एक पुष्प चुरा लिया । पूजन के समय एक पुष्प कम देख कर राम ने हनुमान से पूंछा ‌तब हनुमान जी ने कहा मैं तो गिन कर पूरे 108 ही लाया हूँ प्रभु ! मात कौशिल्या उन्हें राजीव नयन कह कर बुलाती थी । इसलिए अपनी आंख को ही कमल पुष्प के स्थान पर चढ़ाने के लिये जब वह अपने तीक्ष्ण बाण से बेध कर निकाल रहे थे उसी समय देवी ने प्रकट हो उन्हें रोकते हुये अपने हाथ में लिये पुष्प को देकर कहा :-*मैं तुम्हारी परीक्षा ले रही थी ,तुम अपनी परीक्षा में उत्तीर्ण हुये । मैं प्रसन्न होकर तुम्हें रावण पर विजय का वरदान देती हूं । मेरी शक्ति तुम्हारे साथ इस युद्ध में वकल विजय दिलायेगी और दसवें दिन देवी के आशीर्वाद और प्राप्त शक्ति से उन्होंने रावण कोयुद्ध में मार कर लंका पर विजय पाई और देवी सीता को रावण की कैद से मुक्त किया ।

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रावण के दस सिर ही वह दुर्गुण थे जिनके कारण रावण को इतना ज्ञानी वेदपाठी सभी शास्त्रों का ज्ञाता होकर भी उसने कामवश सीता का हरण किया ,क्रोध वश अपने भाई विभीषण को ही सलाह देने पर लात मार अपमानित कर लंका से निकाला । अपनी बहिन सूर्पणखा के मोह में पड़कर सीता को चौर्य कर्म करते हुये चुराया । अहंकार वश रावण ने अपनी पत्नी मंदोदरी की बात नहीं मानी आलस्य में राम की सेना को समुद्र पार आने दिया ,मत्सर के वशीभूत होकर हिंसा के माध्यम से अपने ही राक्षस कुल के नाश कारण बना । अंत में दसवें दिन देवी मां की शक्ति से प्रेरित राम ने रावण का वध करते हुये विजय प्राप्त कर अपनी पत्नी सीता को रावण की कैद से मुक्त किया ।

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