Hariyali Teej: घर की बनी मिठाइयां हर किसी को अच्छी लगती है,19 अगस्त को हरियाली तीज है ऐसे में अनरसे की मिठाई हो तो क्या बात है । अनरसे की मिठाई का धार्मिक महत्व भी है। भोग में चढ़ाई जाने वाली इस मिठाई का हमारे धार्मिक जीवन में अत्यंत महत्व है । आपको बता दें उत्तर भारत की एक ऐसी ही मिठाई है चावल ,शक्कर ,तिल और शुद्ध घी से बनी है मिठाई अनरसा…. खस्ता कुरकुरे अनरसे स्वाद की दृष्टि से तो सभी के मुंह में पानी ले आते हैं, अनरसे का भोग महालक्ष्मी जी को दिवाली पर भी चढ़ाया जाता है और बाकी प्रसाद के रूप में घरवालों रिश्तेदारों को बांटते हैं और इसके साथ ही गरीबों में अनारसा दान दिया जाता है. अनरसा का भोग और दान मां लक्ष्मी की अपार कृपा करके सौभाग्य के दरवाजे खोलते हैं.।
उत्तर भारत की स्वादिष्ट मिठाई है चावल से बने अनरसे
Hariyali Teej
अनरसा मूलत बिहार राज्य की पारंपरिक मिठाई है जो भारत के तमाम राज्यों में अलग-अलग ढंग से बनाई जाती है इसमें आजकल खोवे का इस्तेमाल भी करते हैं और नारियल के चुरे के इस्तेमाल का भी चलन शुरू हो गया है । हम आपको अनरसे के धार्मिक महत्व, बनाने की विधि बता रहे हैं ताकि आप भी त्योहारों पर अनरसे के साथ भोग लगाकर पुजा को खास बना सकें।
अनरसे बनाने के लिए आवश्यक सामग्री
छोटा चावल – 300 ग्राम ( 1 1/2 कप )
पाउडर चीनी – 100 ग्राम ( आधा कप )
दही या दूध – 1 टेबल स्पून
घी – 2 टेबल स्पून
तिल -2 टेबल स्पून
तलने के लिये – घी
अनरसे बनाने की विधि
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चावल को अच्छी तरह धोने के बाद रात को भिगोकर रख दें सुबह चावल में से पानी निकाल कर किसी चलने या कपड़े में अच्छे तरह से उनको सूखा कर कपड़ा फैला कर चावल को फैला दें। जब चावल का सारा पानी सूख जाए लगभग दो या तीन घंटे बाद उसे मिक्सी में दरदरा पीस ले। गुड या शक्कर को हल्का पीस कर या इमामजिस्ते में कूटकर अलग रख लें। अब इस गुड या चीनी के पाउडर को चावल में बहुत अच्छी तरह मसल मसल कर गूंद ले। अगर आटा थोड़ा सा ज्यादा सख्त रह जाए तो उसमें थोड़ा सा दूध मिलाकर अच्छी तरह से गूंथ लें और फिर कपड़े से ढक कर 2 घंटे के लिए रख दें।
फिर उसकी छोटी-छोटी लोई बनाकर गोल या चपटे आकार में अनरसे बनाएं ,अब इन्हें एक-एक कर चारों तरफ से तिल या नारियल के बुरादे से कोट कर ले।
तलने की विधि
इसके बाद मध्यम आंच में कढ़ाई में शुद्ध देसी घी या डालडा घी चढ़कर उसमें धीरे-धीरे अनरसे को तल ले। इनकी भीनी भीनी खुशबू और कुरकुरे अनरसे सभी को खाने के लिए अपनी और आकर्षित करेंगे यह ऊपर से कुरकुरे और लज्जतदार दिखते हैं और खाने में अंदर से नरम होते हैं इनका स्वाद बच्चों बड़ों सभी को बहुत पसंद आता है
Hariyali Teej: अनरसे मिठाई का धार्मिक महत्व
पंडित प्रदीप कुमार शास्त्री का अनरसे के धार्मिक महत्व पर कहना है कि अगर हम अपने इष्ट देव को याद करके दिवाली के दिन मां लक्ष्मी को अनरसे का भोग लगाते हैं और अपने 33 करोड़ देवताओं को याद करके 33 पीस अनरसे के गरीबों को दान में देत हैं तो हमारी किस्मत के ताले खुलते हैं और यही नहीं स्वादिष्ट होने के कारण अनरसे की मिठाई त्योहार के अलावा हमारे नाश्ते में भी महत्वपूर्ण स्थान रखती है बच्चों को आप अनरसे स्कूल लंच बॉक्स में रखकर दे सकते हैं।
और अगर आप बिहार के स्टेशन या पब्लिक स्थानों पर जाएं तो आपको अनरसे दुकानो पर बिकते हुए मिलेंगे । भूख मिटाने के लिए और स्वाद के लिए लोग अनरसे के पीस मठरी की तरह खरीद कर खाते हैं। आप अनरसों को दो-तीन हफ्ते के लिए बनाकर रख सकते हैं। यह दो-तीन हफ्ते तक खराब भी नहीं होते । आप घर में अपने पति बच्चों के लिए अनरसे बनाकर डिब्बा बंद पैक करके रख सकते हैं।
उत्तर भारत में अनरसे की मिठाई का प्रयोग दीपावली के अलावा होली, तीज आदि में भी किया जाता है। बनाने की आसान विधि है और इसमें अधिक पैसा भी खर्च नहीं होता मात्र चावल चीनी तेल और घी की सहायता से अनरसे की मिठाई को घर में ही तैयार किया जा सकता है । वैसे अनरसे की मिठाई बाजारों में भी उपलब्ध होती है। इस बार दीपावली पर अनरसी का भोग लगाना ना भूले और अपने मित्रों को भी घर दफ्तर स्कूल में अनरसे की मिठाई खिलाएं क्योंकि यह कुरकुरी मिठाई कुछ अलग ही स्वाद लिए होती है इसलिए इस बार महालक्ष्मी को अनरसे की मिठाई का भोग लगाकर अपनी किस्मत का ताला खोलें।..
प्रस्तुत कर्ता मीना कौशिक
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