Agriculture Tips : जैसे ही मानसून की पहली बारिश धरती पर पड़ती है किसान खेतों की तैयारी में जुट जाते हैं, लेकिन क्या केवल खेत जोत देना और बीज बो देना ही पर्याप्त है? बिलकुल नहीं। अगर आप चाहते हैं कि आपके खेत में सोना उगे तो बीज बोने से पहले बीजोपचार जरूर करें।
बीजोपचार क्यों है जरूरी?
कई बार किसान बिना बीज उपचार किए ही बोवाई कर देते हैं, जिससे बीजों में छिपे रोग खेत में फैल जाते हैं और फसल की पैदावार घट जाती है। बीज से फैलने वाले रोग जैसे-जड़ गलन, तना गलन, झुलसा, कंडुआ, अंगमारी, दीमक ये रोग बाद में फसल को तबाह कर देते हैं जिनका इलाज मुश्किल और महंगा होता है। इसलिए बोवाई से पहले ही बीजों को सुरक्षित करना अनिवार्य है।
बीजोपचार कैसे करें?
रासायनिक उपचार-कार्बेन्डाजिम, मेनकोजेब, थायरम या कार्बॉक्सिन जैसी दवाएं 2–3 ग्राम दवा प्रति किलो बीज में मिलाएं। उपचार के बाद बीजों को छांव में सुखाएं ताकि दवा अच्छी तरह चिपक जाए।
जैविक उपचार- Trichoderma, Azotobacter, Rhizobium, PSB आदि का इस्तेमाल करें। इन्हें गुड़ और पानी के घोल में मिलाकर बीजों को भिगोया जाए। याद रखें गुड़-पानी का घोल ठंडा होना चाहिए
बीजोपचार की विधियां
घड़ा विधि: बीजों को दवा के साथ घड़े या टब में डालकर अच्छी तरह हिलाएं।
ड्रेसर विधि: बीज ड्रेसिंग मशीन से उपचार करें।
बाजरे में खास उपाय: अरगट और चेपा रोग से बचाव के लिए 2% नमक घोल में बीज भिगोना बेहद लाभकारी है।
बीजोपचार बोआई से 8-10 घंटे पहले करें ताकि बीजों पर दवा अच्छे से असर कर सके।
क्या मिलेगा फायदा?
- रोगों से सुरक्षा।
- मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी।
- बीजों की अंकुरण दर बढ़ेगी।
- उत्पादन में 15-30% तक वृद्धि हो सकती है।
- मेहनत का पूरा फल मिलेगा।