वो जिला जिसे कहते हैं ‘लहसुन का शहर’, यहीं लगती है देश की सबसे बड़ी मंडी

वो जिला जिसे कहते हैं ‘लहसुन का शहर’, यहीं लगती है देश की सबसे बड़ी मंडी
locationभारत
userचेतना मंच
calendar14 SEPT 2025 05:48 AM
bookmark
भारत के हर जिले की अपनी एक अलग पहचान होती है कहीं कोई ऐतिहासिक विरासत के लिए जाना जाता है तो कहीं कृषि या विशेष फसलों के लिए। ठीक इसी तरह, मध्य प्रदेश का मंदसौर जिला देशभर में 'लहसुन का शहर' (City of Garlic) के नाम से मशहूर है। लेकिन आखिर मंदसौर को यह उपनाम क्यों मिला? इस रिपोर्ट में हम जानेंगे मंदसौर की इस खास पहचान के पीछे की वजहें और साथ ही भारत में लहसुन उत्पादन से जुड़ी अहम जानकारी। City of Garlic

मंदसौर क्यों कहलाता है ‘लहसुन का शहर’?

मध्य प्रदेश का मंदसौर जिला, भारत की सबसे बड़ी लहसुन मंडी का घर है। यहां हर साल हजारों टन लहसुन की खरीद-फरोख्त होती है। देशभर के किसान, व्यापारी और खरीदार इस मंडी का रुख करते हैं, जिससे यह लहसुन व्यापार का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है। मंदसौर की मंडी में लहसुन की इतनी अधिक आवक होती है कि यह इलाका सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में लहसुन की राजधानी जैसा दर्जा हासिल कर चुका है। यही वजह है कि इसे 'लहसुन का शहर' कहा जाता है।

कौन-कौन से राज्य हैं आगे?

भारत में लहसुन की खेती मुख्य रूप से निम्न राज्यों में होती है। मध्य प्रदेश (सबसे ज्यादा उत्पादन), गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र। इनमें से मध्य प्रदेश लहसुन उत्पादन में सबसे आगे है, और मंदसौर इसकी बड़ी वजह है। चीन दुनिया का सबसे बड़ा लहसुन उत्पादक देश है। वह वैश्विक लहसुन उत्पादन का करीब 70-80% हिस्सा अकेले पैदा करता है। इसके बाद भारत का स्थान दूसरे नंबर पर आता है। भारत में उत्पादित लहसुन देश की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ निर्यात भी किया जाता है।

यह भी पढ़ें: नई पीढ़ी को खूब भाते हैं ये 5 शिक्षक, सोशल मीडिया पर धडल्ले से होते हैं वायरल

भारत में कुल कितने जिले हैं?

भारत में समय-समय पर जिलों की संख्या में बदलाव होता रहता है, क्योंकि राज्य सरकारें नई प्रशासनिक जरूरतों के अनुसार जिले बनाती या विलय करती रहती हैं। वर्तमान में भारत में लगभग 797 जिले हैं हालांकि कुछ स्रोतों में यह संख्या 780 से 813 के बीच भी बताई जाती है। City of Garlic
अगली खबर पढ़ें

Hindi Diwas पर जानिए वो रोचक तथ्य जो स्कूल में नहीं पढ़ाए गए!

Hindi Diwas पर जानिए वो रोचक तथ्य जो स्कूल में नहीं पढ़ाए गए!
locationभारत
userचेतना मंच
calendar13 SEPT 2025 09:55 PM
bookmark
हर साल 14 सितंबर को पूरे देश में हिंदी दिवस मनाया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर 14 सितंबर की तारीख को ही हिंदी दिवस के लिए क्यों चुना गया? क्या हुआ था इस दिन जो इसे हमारी राष्ट्रीय भाषा की पहचान से जोड़ दिया गया? हिंदी दिवस को लेकर एक ऐतिहासिक कहानी है जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी 75 साल पहले थी। Hindi Diwas

संविधान सभा का ऐतिहासिक फैसला

दरअसल, 14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया था। स्वतंत्र भारत में किस भाषा को आधिकारिक भाषा बनाया जाए इस पर लंबे समय से चर्चा चल रही थी। एक तरफ हिंदी समर्थक चाहते थे कि देवनागरी लिपि में हिंदी को देश की राष्ट्रभाषा घोषित किया जाए, वहीं दक्षिण भारत के प्रतिनिधि चाहते थे कि अंग्रेजी को भी प्रशासन में स्थान मिले। बहस के बाद एक संतुलित समाधान निकाला गया जिसे 'मुंशी-अयंगार फॉर्मूला' कहा गया (K.M. मुंशी और N. गोपालास्वामी अयंगार के नाम पर)। इसके तहत हिंदी को केंद्र सरकार की आधिकारिक भाषा घोषित किया गया और अंग्रेजी को अगले 15 वर्षों तक सह-आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया ताकि हिंदी को धीरे-धीरे प्रशासन में पूरी तरह लागू किया जा सके।

संविधान में कहां दर्ज है यह फैसला?

यह पूरा निर्णय भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 से 351 में दर्ज है जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। यहीं से हिंदी को संवैधानिक दर्जा मिला और इसे देश की प्रमुख आधिकारिक भाषा के रूप में पहचान मिली। हिंदी को प्रोत्साहित करने और जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से 1953 से हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत की गई। दिलचस्प बात यह भी है कि इसी दिन हिंदी साहित्यकार भोजराजेंद्र सिंह का जन्मदिन भी होता है जिनका संविधान निर्माण में योगदान था।

हिंदी दिवस क्यों जरूरी है?

हिंदी दिवस सिर्फ एक तारीख नहीं बल्कि हमारी भाषाई पहचान, संस्कृति और एकता का प्रतीक है। हिंदी देश की 22 अनुसूचित भाषाओं में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है और यह देश की सबसे व्यापक जनभाषा है। महात्मा गांधी ने भी 1918 में कहा था कि हिंदी ही जनमानस की भाषा है और यही भाषा देश को एकजुट कर सकती है।आज जब हम डिजिटल युग में हैं सोशल मीडिया, ऐप्स और ग्लोबल प्लेटफॉर्म्स पर हिंदी की मौजूदगी लगातार बढ़ रही है। हिंदी दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हमारी भाषा को सम्मान और प्रयोग दोनों की जरूरत है।

यह भी पढ़ें: चाणक्य नीति: वो तीन बातें जिसे सुनने के तुरंत बाद दोस्त बन जाता है दुश्मन

कैसे मनाया जाता है हिंदी दिवस?

हर साल 14 से 21 सितंबर तक देशभर के स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, मंत्रालयों, सरकारी दफ्तरों और बैंकों में हिंदी सप्ताह मनाया जाता है। इसमें कविता पाठ, निबंध लेखन, वाद-विवाद, भाषण और क्विज जैसी प्रतियोगिताएं होती हैं। सरकारी मंत्रालय और PSUs भी इस अवसर पर हिंदी को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित करते हैं। कई विभागों द्वारा हिंदी में श्रेष्ठ कार्य करने वालों को पुरस्कार और सम्मान भी दिए जाते हैं। Hindi Diwas
अगली खबर पढ़ें

किडनी में प्रोटीन और क्रिएटिनिन क्यों बढ़ते हैं? कब होता है खतरनाक और कैसे करें कंट्रोल

किडनी में प्रोटीन और क्रिएटिनिन क्यों बढ़ते हैं? कब होता है खतरनाक और कैसे करें कंट्रोल
locationभारत
userचेतना मंच
calendar13 SEPT 2025 10:26 AM
bookmark
किडनी हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है, जो खून को फिल्टर कर शरीर से अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकालती है। लेकिन जब जांच में प्रोटीन और क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ा हुआ मिलता है, तो यह किडनी पर अतिरिक्त दबाव और उसके कामकाज में गड़बड़ी का संकेत हो सकता है। अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो यह समस्या किडनी फेलियर तक पहुंच सकती है। इसके प्राथमिक उपचार के रूप में प्रोटीन युक्त चीजों से परहेज करना होगा। Kidney Problems :

प्रोटीन और क्रिएटिनिन का संबंध

किडनी सामान्य स्थिति में शरीर के लिए जरूरी प्रोटीन को बचाकर रखती है और बेकार पदार्थों को पेशाब के जरिए बाहर निकाल देती है। * जब प्रोटीन पेशाब में लीक होने लगता है, तो इसे प्रोटीन्यूरिया कहते हैं। * वहीं क्रिएटिनिन एक वेस्ट प्रोडक्ट है, जो मांसपेशियों के काम करने से बनता है और सामान्य स्थिति में किडनी इसे बाहर निकाल देती है। लेकिन किडनी की फिल्टरिंग क्षमता कमजोर पड़ने पर खून में क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ने लगता है।

किडनी में प्रोटीन और क्रिएटिनिन क्यों बढ़ते हैं?

* क्रोनिक किडनी डिजीज * ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस या नेफ्रोटिक सिंड्रोम * डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर लंबे समय तक अनियंत्रित रहने पर किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं। * डिहाइड्रेशन शरीर में पानी की कमी होने पर क्रिएटिनिन अस्थायी रूप से बढ़ सकता है। * डाइट और सप्लीमेंट्स अधिक प्रोटीन वाली डाइट, बॉडी बिल्डिंग सप्लीमेंट्स, नॉन-वेज का अत्यधिक सेवन भी असर डाल सकता है। * दवाइयों का साइड इफेक्ट कुछ एंटीबायोटिक्स और पेनकिलर्स किडनी पर दबाव डालते हैं।

कितना खतरनाक होता है?

शुरुआती स्टेज पर प्रोटीन और क्रिएटिनिन का बढ़ना चेतावनी का संकेत है। अगर यह लंबे समय तक अनियंत्रित रहा तो यह किडनी फेलियर या ट्रांसप्लांट तक की नौबत ला सकता है। अगर रिपोर्ट में प्रोटीन और क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ा हुआ आता है, तो यह किडनी हेल्थ का रेड अलर्ट है। समय रहते डॉक्टर से जांच कराना और लाइफस्टाइल में सुधार करना बेहद जरूरी है।

कैसे करें कंट्रोल?

* डाइट में बदलाव- नमक और तैलीय-भुनी चीजें कम करें। * पानी का सेवन- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, ताकि किडनी बेहतर ढंग से फिल्टरिंग कर सके। * प्रोटीन सप्लीमेंट- डॉक्टर की सलाह के बिना न लें। * दवाइयां- किसी भी दवा का इस्तेमाल डॉक्टर की राय के बिना न करें। * लाइफस्टाइल- ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर को नियंत्रित रखें।

कौन-सी जांच करानी चाहिए?

* ब्लड टेस्ट- क्रिएटिनिन और यूरिया की जांच। * यूरीन टेस्ट- प्रोटीन्यूरिया और माइक्रोएल्ब्यूमिन का पता लगाने के लिए। * किडनी अल्ट्रासाउंड- संरचना और आकार की जानकारी के लिए। * नेफ्रोलॉजिस्ट से सलाह- नियमित रूप से विशेषज्ञ की राय लें।