दिल्ली का सबसे बड़ा सफाई मिशन शुरू, सरकार ने खोला 9000 करोड़ का पिटारा

दिल्ली का सबसे बड़ा सफाई मिशन शुरू, सरकार ने खोला 9000 करोड़ का पिटारा
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 11:56 AM
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देश की राजधानी दिल्ली से होकर बहने वाली यमुना नदी की हालत लंबे समय से चिंता का विषय रही है लेकिन अब सरकार ने इसे बदलने की ठानी है। दिल्ली सरकार ने यमुना की सफाई और पुनर्जीवन के लिए वर्ष 2025-26 के बजट में 9000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इसमें से 1500 करोड़ रुपये सीवेज ट्रीटमेंट और सीवर लाइन के सुधार पर खर्च किए जाएंगे। इस पहल में नीदरलैंड (डच मॉडल) की विशेषज्ञता को शामिल किया गया है जिससे यमुना को फिर से स्वच्छ, सुंदर और प्रवाहमान बनाने की उम्मीद की जा रही है। The Dutch Model

क्या है डच मॉडल?

नीदरलैंड का बड़ा हिस्सा समुद्र तल से नीचे है और वहां बाढ़ का खतरा बना रहता है। ऐसे में वहां की सरकार ने जल प्रबंधन का अनोखा तरीका अपनाया है जिसे “डच वाटर लिफ्टिंग पॉलिसी” कहा जाता है। यह केवल जल प्रबंधन नहीं बल्कि सतत विकास, जलवायु अनुकूलन और स्थानीय भागीदारी पर आधारित रणनीति है। यही नीति अब यमुना के लिए भी अपनाई जाएगी जिसमें जल शोध, पुन: उपयोग, जैवविविधता संरक्षण और नदी के किनारों का पर्यावरणीय विकास शामिल होगा।

14 एजेंसियों की साझा जिम्मेदारी

इस अभियान को अंजाम तक पहुंचाने के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार के साथ-साथ 14 प्रमुख संस्थाओं को जोड़ा गया है। इनमें शामिल हैं, दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली नगर निगम, दिल्ली विकास प्राधिकरण, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति, IIT दिल्ली, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (NIUA) और अन्य विशेषज्ञ संस्थान। सभी मिलकर अर्बन रिवर मैनेजमेंट प्लान के तहत यमुना के किनारों का पुनर्विकास, सीवर शोधन और स्थानीय स्तर पर भागीदारी सुनिश्चित करेंगे।

योजना का केंद्र बिंदु

सरकार का मानना है कि जब तक शहरी समस्याओं को हल नहीं किया जाएगा तब तक यमुना की सफाई असंभव है। इसलिए योजना में शहर की बुनियादी ढांचे, सीवर नेटवर्क, बायोडायवर्सिटी जोन, वेटलैंड संरक्षण और स्थानीय समुदाय की भूमिका को अहम बनाया गया है। वर्ष 2015 में डच प्रधानमंत्री मार्क रूट्टे की भारत यात्रा से इस रणनीतिक साझेदारी की नींव रखी गई। 2017 में प्रधानमंत्री मोदी की नीदरलैंड यात्रा के दौरान D-IWALI (Dutch Indo Water Alliance Leadership Initiative) और LOTUS (Local Treatment of Urban Sewage Streams) जैसे प्रोजेक्ट्स शुरू किए गए। 2021 में वर्चुअल समिट और 2022 में जल शक्ति मंत्रालय के साथ समझौता इस साझेदारी को मजबूती देने के लिए किए गए।

यह भी पढ़े: काम की जानकारी: नोएडा से दिल्ली जाने वालों को पढ़नी चाहिए ये खबर

भविष्य की उम्मीदें

इतिहास गवाह है कि जब तक नदियों पर स्थानीय लोगों का नियंत्रण रहा उनकी शुद्धता और पवित्रता बनी रही। औपनिवेशिक शासन के बाद यह जिम्मेदारी सरकारों तक सीमित हो गई। अब समय आ गया है कि सरकार और समाज मिलकर यमुना को उसके पुराने पवित्र रूप में लौटाएं। दिल्ली की यमुना आज सिर्फ एक नदी नहीं, बल्कि राजधानी की जीवनरेखा है। यह योजना न सिर्फ पानी को साफ करने का कार्य है, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में कदम भी है। The Dutch Model
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देश की राजधानी दिल्ली से होकर बहने वाली यमुना नदी की हालत लंबे समय से चिंता का विषय रही है लेकिन अब सरकार ने इसे बदलने की ठानी है। दिल्ली सरकार ने यमुना की सफाई और पुनर्जीवन के लिए वर्ष 2025-26 के बजट में 9000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इसमें से 1500 करोड़ रुपये सीवेज ट्रीटमेंट और सीवर लाइन के सुधार पर खर्च किए जाएंगे। इस पहल में नीदरलैंड (डच मॉडल) की विशेषज्ञता को शामिल किया गया है जिससे यमुना को फिर से स्वच्छ, सुंदर और प्रवाहमान बनाने की उम्मीद की जा रही है। The Dutch Model

क्या है डच मॉडल?

नीदरलैंड का बड़ा हिस्सा समुद्र तल से नीचे है और वहां बाढ़ का खतरा बना रहता है। ऐसे में वहां की सरकार ने जल प्रबंधन का अनोखा तरीका अपनाया है जिसे “डच वाटर लिफ्टिंग पॉलिसी” कहा जाता है। यह केवल जल प्रबंधन नहीं बल्कि सतत विकास, जलवायु अनुकूलन और स्थानीय भागीदारी पर आधारित रणनीति है। यही नीति अब यमुना के लिए भी अपनाई जाएगी जिसमें जल शोध, पुन: उपयोग, जैवविविधता संरक्षण और नदी के किनारों का पर्यावरणीय विकास शामिल होगा।

14 एजेंसियों की साझा जिम्मेदारी

इस अभियान को अंजाम तक पहुंचाने के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार के साथ-साथ 14 प्रमुख संस्थाओं को जोड़ा गया है। इनमें शामिल हैं, दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली नगर निगम, दिल्ली विकास प्राधिकरण, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति, IIT दिल्ली, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (NIUA) और अन्य विशेषज्ञ संस्थान। सभी मिलकर अर्बन रिवर मैनेजमेंट प्लान के तहत यमुना के किनारों का पुनर्विकास, सीवर शोधन और स्थानीय स्तर पर भागीदारी सुनिश्चित करेंगे।

योजना का केंद्र बिंदु

सरकार का मानना है कि जब तक शहरी समस्याओं को हल नहीं किया जाएगा तब तक यमुना की सफाई असंभव है। इसलिए योजना में शहर की बुनियादी ढांचे, सीवर नेटवर्क, बायोडायवर्सिटी जोन, वेटलैंड संरक्षण और स्थानीय समुदाय की भूमिका को अहम बनाया गया है। वर्ष 2015 में डच प्रधानमंत्री मार्क रूट्टे की भारत यात्रा से इस रणनीतिक साझेदारी की नींव रखी गई। 2017 में प्रधानमंत्री मोदी की नीदरलैंड यात्रा के दौरान D-IWALI (Dutch Indo Water Alliance Leadership Initiative) और LOTUS (Local Treatment of Urban Sewage Streams) जैसे प्रोजेक्ट्स शुरू किए गए। 2021 में वर्चुअल समिट और 2022 में जल शक्ति मंत्रालय के साथ समझौता इस साझेदारी को मजबूती देने के लिए किए गए।

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भविष्य की उम्मीदें

इतिहास गवाह है कि जब तक नदियों पर स्थानीय लोगों का नियंत्रण रहा उनकी शुद्धता और पवित्रता बनी रही। औपनिवेशिक शासन के बाद यह जिम्मेदारी सरकारों तक सीमित हो गई। अब समय आ गया है कि सरकार और समाज मिलकर यमुना को उसके पुराने पवित्र रूप में लौटाएं। दिल्ली की यमुना आज सिर्फ एक नदी नहीं, बल्कि राजधानी की जीवनरेखा है। यह योजना न सिर्फ पानी को साफ करने का कार्य है, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में कदम भी है। The Dutch Model
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दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों की छुट्टी तय, सुप्रीम कोर्ट ने दिए कड़े निर्देश

दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों की छुट्टी तय, सुप्रीम कोर्ट ने दिए कड़े निर्देश
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 08:34 PM
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दिल्ली -  NCR में आवारा कुत्तों से बढ़ती हुई घटनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने गंभीरता से हस्तक्षेप किया है। अदालत ने दिल्ली सरकार, MCD, NDMC समेत नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम प्रशासन को निर्देश दिया है कि वे तुरंत सभी इलाकों से आवारा कुत्तों को पकड़ कर सुरक्षित शेल्टर होम में रखने की व्यवस्था सुनिश्चित करें। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पकड़े गए कुत्तों को किसी भी हालात में वापस उनके पुराने इलाकों में नहीं छोड़ा जाएगा। इसके अलावा कोर्ट ने यह आदेश बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दिया है, ताकि वे खुलकर सड़कों, पार्कों और सार्वजनिक स्थानों पर बिना किसी भय के आ-जा सकें। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले में भावनात्मक पहलुओं को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, बल्कि जन सुरक्षा सर्वोपरि होगी।  Delhi NCR News

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शेल्टर होम की स्थापना और देखरेख पर जोर

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और संबंधित नगर निगमों को आठ सप्ताह के भीतर करीब 5000 आवारा कुत्तों के लिए उचित शेल्टर होम स्थापित करने का आदेश दिया है। इन केंद्रों में नसबंदी, टीकाकरण और स्वास्थ्य देखरेख के लिए पर्याप्त स्टाफ तैनात करने होंगे। अदालत ने इस बुनियादी ढांचे को लगातार मजबूत करने और बढ़ाने के लिए अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं ताकि आवारा कुत्तों से संबंधित समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सके। कोर्ट ने एक सप्ताह के अंदर ऐसी हेल्पलाइन नंबर जारी करने का आदेश भी दिया है, जिससे आवारा कुत्तों द्वारा काटे जाने की शिकायतें तुरंत दर्ज की जाएं। शिकायत मिलने के चार घंटे के अंदर कुत्ते को पकड़ना और उचित कार्रवाई करना संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी। अदालत ने चेतावनी दी है कि यदि कोई व्यक्ति या संगठन इन आदेशों के क्रियान्वयन में बाधा डालेगा तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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NCR के अन्य हिस्सों को भी आदेश

दिल्ली के साथ-साथ नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम प्रशासन को भी आवारा कुत्तों को पकड़ने, शेल्टर होम स्थापित करने और शिकायतों के त्वरित निवारण के लिए यह आदेश दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय को अत्यंत गंभीर माना है और आदेश का पूर्ण पालन सुनिश्चित करने को कहा है।  Delhi NCR News