Dry Scalp सर्दियों में ड्राई स्कैल्प से हैं परेशान, अपनाएं ये घरेलू नुस्खे

Dry Scalp सर्दियों में ड्राई स्कैल्प से हैं परेशान, अपनाएं ये घरेलू नुस्खे
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 02:49 AM
bookmark

Dry Scalp : सर्दियों के मौसम में अक्सर लोगों को ड्राई स्कैल्प (Dry Scalp) की समस्या हो जाती है। अक्सर लोग स्कैल्प का ख्याल नहीं रखते हैं। स्कैल्प हेल्दी नहीं होगा तो बालों की जड़ों को मजबूती नहीं मिलेगी और वे गिरने लगेंगे। ड्राई स्कैल्प (Dry Scalp) होने से रूसी की समस्या भी बढ़ जाती है। सिर में पपड़ीनुमा जम जाता है, जिससे खुजली भी हो सकती है, त्वचा लाल हो सकती है। सिर की ऊपरी त्वचा यानी स्कैल्प जब बहुत ज्यादा ड्राई रहने लगती है, तो ड्राई स्कैल्प कहलाता है। यह समस्या कई बार नेचुरल ऑयल सीबम के कम प्रोडक्शन से होता है। मौसम में बदलाव के कारण भी ड्राई स्कैल्प की समस्या बढ़ जाती है। सर्दी के मौसम में शुष्क हवाओं के कारण भी सिर की त्वचा रूखी हो जाती है। इस समस्या से बचने के लिए आप कुछ घरेलू उपायों को भी आजमा सकते हैं।

ड्राई स्कैल्प की समस्या से छुटकारा पाना है, तो आप जैतून का तेल स्कैल्प पर लगाना शुरू कर दें। इसके लिए आप रात में सोने से पहले अच्छी तरह से बालों और स्कैल्प में ऑलिव ऑयल लगाकर मालिश करें। सुबह आप माइल्ड शैम्पू से बालों को साफ कर लें। ऑलिव ऑयल में त्वचा को मॉइस्चराइज करने के तत्व मौजूद होते हैं। यह स्कैल्प को नमी देता है।

यदि आपको ड्राई स्कैल्प की समस्या है, तो आप बालों में बादाम का तेल भी अप्लाई कर सकते हैं। इसे भी रात में सोने से पहले ही स्कैल्प और बालों में अच्छी तरह से मालिश करते हुए लगाकर सोएं। सुबह बाल साफ कर लें। दो-तीन सप्ताह तक इस तेल को लगाकर देखें, ड्राई स्कैल्प की समस्या कम हो जाएगी। बादाम का तेल ड्राई स्किन, सोरायसिस जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए जाना जाता है।

एलोवेरा जेल एक नेचुरल तरीका है ड्राई स्कैल्प को हेल्दी बनाए रखने के लिए। आप एलोवेरा जेल को निकाल लें। मिक्सी में जेल डालें, इसमें थोड़ा सा पानी मिलाएं और ग्राइंड कर लें। इस जूस को बालों और स्कैल्प में अच्छी तरह से लगाकर आधे घंटे के लिए छोड़ दें। इसे सप्ताह में दो बार लगाएं। इससे सिर की त्वचा मुलायम होगी। रूखी त्वचा में नमी आएगी। एलोवेरा जेल में मॉइस्चराइजिंग गुण मौजूद होते हैं, जो नमी बनाए रखते हैं।

शहद और नींबू को एक साथ मिक्स कर लें। इसे स्कैल्प पर लगाएं। 1 घंटा यूं ही रहने दें फिर पानी से बालों को साफ कर लें। शहद त्वचा को नमी देती है। सोरायसिस, डैंड्रफ को सही करती है। नींबू भी रूसी की समस्या को दूर करता है।

डा. कर्मवीर सिंह, त्वचा रोग विशेषज्ञ

अगली खबर पढ़ें

Omicron Sub-Variant: ओमिक्रोन सब-वेरिएंट अधिक संक्रामक हो सकता है : WHO

Omicron Sub-Variant: ओमिक्रोन सब-वेरिएंट अधिक संक्रामक हो सकता है : WHO
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Feb 2022 05:39 PM
bookmark
Omicron Sub-Variant: वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनिज़शन (WHO) ने मंगलवार को कहा की, 'अत्यधिक संक्रामक ओमिक्रोन कोरोनावायरस (Omicron Coronavirus) स्ट्रेन का एक उपप्रकार (Omicron Sub-Variant) है। अब तक जो कुछ अध्ययन और रिसर्च किए है उस से यह संकेत मिलते है कि ओमिक्रोन कोरोना वायरस (Coronavirus Omicron sub variant) के मूल संस्करण की तुलना में ओमिक्रोन सब-वेरिएंट (Omicron sub variant) और भी अधिक संक्रामक हो सकता है। यह ओमिक्रोन का उत्परिवर्तित (Omicron Sub-Variant) संस्करण तेजी से दुनिया भर में प्रमुख रूपसे फ़ैल रह है। क्योंकि, यह ओमिक्रोन सब-वेरिएंट पहली बार 10 सप्ताह पहले दक्षिणी अफ्रीका में पाया गया था। >> Must Read:- भारत के इन 13 शहरों को अगले साल मिल सकता है 5G नेटवर्क विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने अपने साप्ताहिक महामारी विज्ञान उपडेट (weekly epidemiological update) में कहा की, पिछले महीने एकत्र किए गए सभी कोरोना वायरस के नमूनों के 93 प्रतिशत से अधिक के लिए संस्करण, कई उप-वंशों (sub-lineages) की गणना करता है। जैसे की,: BA.1, BA.1.1, BA.2 और BA.3 । [caption id="attachment_13959" align="aligncenter" width="1280"]coronavirus-after-omicron-the-new-most-lethal-neocov-virus-has-found coronavirus-after-omicron-the-new-most-lethal-neocov-virus-has-found[/caption] BA.1 और BA.1.1 इन पहले संस्करण की पहचान की गई है। अभी भी GISAID वैश्विक विज्ञान पहल (GISAID global science initiative) पर अपलोड किए गए सभी ओमिक्रोन अनुक्रमों के 96 प्रतिशत से अधिक के लिए जिम्मेदार है। >> Must Read:- YouTuber Hindustani Bhau: छात्रों को ‘उकसाने’ के आरोप में हिंदुस्तानी भाऊ गिरफ्तार लेकिन BA.2 से जुड़े मामलों में स्पष्ट वृद्धि हुई है, जो मूल वेरिएंट से कई अलग-अलग वेरिएंट की गणना करता है।  जिसमें स्पाइक प्रोटीन (spike protein) भी शामिल है जो, वायरस की सतह को डॉट करता है और मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने की कुंजी है। डब्ल्यूएचओ ने कहा, "BA.2- नामित अनुक्रम 57 देशों से GISAID को प्रस्तुत किए गए हैं। कुछ देशों में, ओमिक्रोन सब-वेरिएंट (Omicron Sub-Variant) अब एकत्र किए गए सभी ओमिक्रोन अनुक्रमों के आधे से अधिक के लिए जिम्मेदार है। संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी (UN health agency) ने कहा कि उप-प्रकारों के बीच अंतर के बारे में अभी तक बहुत कम जानकारी है। >> Must Read:- Khan Sir कौन हैं? RRB NTPC विवाद में दर्ज हुआ है केस, जानिए पूरी जानकारी.... हाल के कई अध्ययनों ने संकेत दिया है कि BA.2 मूल ओमिक्रोन की तुलना में अधिक संक्रामक है। कोविड19 पर डब्ल्यूएचओ के टॉप  विशेषज्ञों में से एक मारिया वान केरखोव ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा कि, उप-संस्करण (Omicron Sub-Variant) के बारे में जानकारी बहुत सीमित थी, लेकिन कुछ प्रारंभिक आंकड़ों से संकेत मिलता है कि BA.2 में "BA.1 की तुलना में विकास दर में मामूली वृद्धि" थी। सामान्य रूप से ओमिक्रोन को डेल्टा जैसे पिछले कोरोनावायरस वेरिएंट (coronavirus variants) की तुलना में कम गंभीर बीमारी का कारण माना जाता है।
अगली खबर पढ़ें

Health : हल्दी रखे 'हेल्दी'

Health : हल्दी रखे 'हेल्दी'
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 01:41 PM
bookmark
विनय संकोची आयुर्वेद(Ayurveda) में हल्दी (Turmeric) को एक महत्वपूर्ण औषधि कहा गया है और इस भारतीय वनस्पति को आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही एक चमत्कारिक द्रव्य के रूप में मान्यता प्राप्त है। औषधीय ग्रंथों में इसे हल्दी के अतिरिक्त हरिद्रा, कुरकुमा लोंगा, वरवर्णिनी, गोरी, कृमिघ्ना, योशितप्रिया, हट्टविलासिनी, हरदल आदि नाम दिए गए हैं। भारतीय रसोई में इसका महत्वपूर्ण स्थान है और धार्मिक रूप से इसको बहुत शुभ समझा जाता है। विवाह में तो हल्दी की रस्म का अपना एक विशेष महत्व है। • शोध से पता चलता है कि हल्दी कोलेस्ट्रोल को कम करती है, जिससे हृदय संबंधी रोग होने का खतरा कम होता है। • दूध में कैल्शियम और हल्दी में एंटी ऑक्सीडेंट की मौजूदगी के कारण हल्दी वाला दूध पीने से हड्डियां मजबूत होती हैं और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। हल्दी वाले दूध को पीने से हड्डियों में होने वाले नुकसान और ओस्टियोपोरेसिस की समस्या में कमी आती है। • खाली पेट हल्दी का सेवन शरीर की सफाई के लिए बहुत प्रभावशाली है। हल्दी पूरी तरह से एंटीबायोटिक है, इसलिए इसके सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और बीमारी होने की संभावना कम होती है। • हल्दी में उड़नशील तेल, प्रोटीन, खनिज पदार्थ, कार्बोहाइड्रेट आदि के साथ कुर्कुमिन नामक एक महत्वपूर्ण रसायन के अलावा विटामिन भी पाए जाते हैं। हल्दी मोटापा घटाने में सहायक होती है। हल्दी में मौजूद कुर्कुमिन शरीर में जल्दी घुल जाता है। यह शरीर में वसा वाले ऊतकों के निर्माण को रोकता है। • शरीर के बाहरी अथवा गुम चोट लगने पर हल्दी वाला दूध उसे जल्द से जल्द ठीक करने में मदद करता है, क्योंकि हल्दी अपने एंटीबैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुणों के कारण बैक्टीरिया को पनपने नहीं देती है। शरीर के दर्द में भी हल्दी वाला दूध आराम पहुंचाता है। हाथ-पैर में, शरीर के अन्य भागों में दर्द की शिकायत होने पर रात को सोने से पहले हल्दी वाले दूध का सेवन बहुत लाभदायक होता है। • हल्दी शरीर में ऊर्जा देने के साथ शरीर में खून को साफ रखती है। हल्दी में बढ़ती उम्र को रोकने की क्षमता है यह बढ़ती उम्र के प्रभाव को पता नहीं लगने देती है। हल्दी वाला दूध पीने से त्वचा में प्राकृतिक चमक पैदा होती है।दूध के साथ हल्दी का सेवन एंटीबैक्टीरियल होने के कारण त्वचा की समस्याओं जैसे - इन्फेक्शन, खुजली, मुहासे आदि के बैक्टीरिया को धीरे-धीरे खत्म कर देता है। इससे त्वचा साफ - स्वस्थ और चमकदार दिखाई देती है। • सर्दी-जुकाम में कफ होने पर हल्दी वाले दूध का सेवन अत्यधिक लाभकारी साबित होता है। इससे सर्दी-जुकाम तो ठीक होता ही है, साथ ही गर्म दूध के सेवन से फेफड़ों में जमा हुआ कफ भी निकल जाता है। • किसी भी कारण से नींद नहीं आने पर हल्दी वाला दूध सबसे अच्छा घरेलू नुस्खा है। रात को भोजन के बाद सोने के आधे घंटे पहले हल्दी वाला दूध पीने से बढ़िया नींद आती है। • हल्दी वाला दूध आंतों को स्वस्थ रखकर पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करता है। पेट के अल्सर, डायरिया, अपच, कोलाइटिस एवं बवासीर जैसी समस्याओं में भी हल्दी वाला दूध बेहद फायदेमंद होता है। हल्दी वाले दूध का प्रतिदिन सेवन, गठिया-बाय, जकड़न को दूर करता है, साथ ही जोड़ों मांसपेशियों को लचीला बनाता है। • एक शोध के अनुसार हल्दी मधुमेह की रोकथाम में भी कारगर साबित होती है। कुछ वर्ष पूर्व कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने चूहों के दो समूहों पर हल्दी के प्रभाव को जानने के लिए प्रयोग किए। जिन चूहों का इलाज हल्दी से किया गया, उनमें टाइप-2 डायबिटीज होने की संभावना कम पाई गई। खून में शर्करा की मात्रा अधिक हो जाने पर हल्दी वाले दूध का सेवन ब्लड शुगर को कम करने में मदद करता है। लेकिन अत्यधिक सेवन शुगर को ज्यादा कम कर सकता है, इसलिए सावधानी आवश्यक है। वायरल संक्रमण में आए बदलाव एवं अन्य कारणों से होने वाले वायरल संक्रमण में हल्दी वाला दूध सबसे बेहतर उपाय है, जो संक्रमण से बचाव करता है। • जिन लोगों का लीवर बढ़ा हुआ है या फिर लीवर से संबंधित अन्य समस्याएं हैं, उन्हें हल्दी का सेवन नहीं करना चाहिए। हल्दी में मौजूद तत्व लीवर की समस्या को बढ़ा सकते हैं। एनीमिया की शिकायत है, तो हल्दी का सेवन कम कर देना बेहतर रहेगा। ज्यादा हल्दी खाने से पेट में गैस की समस्या होती है। इससे डायरिया और कब्ज भी हो सकता है। विशेष : हल्दी का किसी भी रोग विशेष में औषधि के रूप में प्रयोग, योग्य आयुर्वेदाचार्य से परामर्श के उपरांत ही करना उचित रहता है।