Precious Stones: बांदा के शजर पत्थर को मिला जीआई टैग, पहले मिल चुका है OD-OP का टैग

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क्या होता है जीआई टैग
किसी भी रीजन का जो क्षेत्रीय उत्पाद होता है, उससे उस क्षेत्र की पहचान होती है। उस उत्पाद की ख्याति जब देश-दुनिया में फैलती है तो उसे प्रमाणित करने के लिए एक प्रक्रिया होती है। जिसे जीआई टैग यानी जीओग्राफिकल इंडीकेटर (Geographical Indications) कहते हैं। जिसे हिंदी में भौगोलिक संकेतक नाम से जाना जाता है। [caption id="attachment_81183" align="aligncenter" width="730"]
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400 वर्ष पूर्व हुई थी शजर पत्थर की खोज
400 वर्ष पूर्व अरब से आये लोगों ने केन नदी में पाये जाने वाले इस पत्थर की खोज की थी और इसका नाम शजर रखा था। बांदा के स्थानीय लोगों के मुताबिक, शरद पूर्णिमा की चांदनी रात चंद्रमा की किरणें शजर पत्थर पर पड़ती हैं तो इन पर झाड़ियां, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मानव और नदी धारा के चित्र उभरते हैं। वहीं, वैज्ञानिकों का मानना है कि शजर पत्थर पर उभरने वाली आकृति फंगस ग्रोथ है और कुछ नहीं।केन नदी में पाया जाने वाला शजर पत्थर खूबसूरत तो होता ही है, इसका धार्मिक महत्व भी कम नहीं है। मुसलमान जब हज पर जाते हैं तो इसे साथ लेकर जाते हैं और इस पर कुरान की आयतें लिखवाते हैं। हिंदू व अन्य समुदाय के लोग इस पत्थर को सोने-चांदी की अंगूठी में जड़वाकर पहनते हैं। अरब देशों में इसे 'हकीक' और भारत में स्फटिक कहा जाता है।Gujrat Patola Saree : गुजरात का पटोला क्यों है खास,किसी धरोहर से कम नही है इसकी कला
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क्या होता है जीआई टैग
किसी भी रीजन का जो क्षेत्रीय उत्पाद होता है, उससे उस क्षेत्र की पहचान होती है। उस उत्पाद की ख्याति जब देश-दुनिया में फैलती है तो उसे प्रमाणित करने के लिए एक प्रक्रिया होती है। जिसे जीआई टैग यानी जीओग्राफिकल इंडीकेटर (Geographical Indications) कहते हैं। जिसे हिंदी में भौगोलिक संकेतक नाम से जाना जाता है। [caption id="attachment_81183" align="aligncenter" width="730"]
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400 वर्ष पूर्व हुई थी शजर पत्थर की खोज
400 वर्ष पूर्व अरब से आये लोगों ने केन नदी में पाये जाने वाले इस पत्थर की खोज की थी और इसका नाम शजर रखा था। बांदा के स्थानीय लोगों के मुताबिक, शरद पूर्णिमा की चांदनी रात चंद्रमा की किरणें शजर पत्थर पर पड़ती हैं तो इन पर झाड़ियां, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मानव और नदी धारा के चित्र उभरते हैं। वहीं, वैज्ञानिकों का मानना है कि शजर पत्थर पर उभरने वाली आकृति फंगस ग्रोथ है और कुछ नहीं।केन नदी में पाया जाने वाला शजर पत्थर खूबसूरत तो होता ही है, इसका धार्मिक महत्व भी कम नहीं है। मुसलमान जब हज पर जाते हैं तो इसे साथ लेकर जाते हैं और इस पर कुरान की आयतें लिखवाते हैं। हिंदू व अन्य समुदाय के लोग इस पत्थर को सोने-चांदी की अंगूठी में जड़वाकर पहनते हैं। अरब देशों में इसे 'हकीक' और भारत में स्फटिक कहा जाता है।Gujrat Patola Saree : गुजरात का पटोला क्यों है खास,किसी धरोहर से कम नही है इसकी कला
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स्नेक प्लांट
स्नेक प्लांट का पौधा घर में फैली हुई हानिकारक हवा सोखता है और हवा को शुद्ध करता है। यह पौधा दिन और रात, दोनों समय कार्बन डाइऑक्साइड को ऑक्सीजन में परिवर्तित करता है। यह पौधा मानसिक सुकून पहुंचाने में मदद करता है और जीवन में सुख शांति लाता है । यह पौधा करियर और व्यवसाय में उन्नति प्रदान करता है |
आंवला प्लांट
आंवले का पौधा निगेटिविटी और दरिद्रता को दूर करता है। आंवला विटामिन सी से भरपूर होता है, यह स्किन और इम्यून सिस्टम के लिए बहुत फायदेमंद होता है। आंवला आँखों की रौशनी के लिए भी बहुत अच्छा होता है । यह हाई ब्लड प्रेशर और मधुमेह पेशेंट के लिए बहुत उपयोगी होता है , यह बैक्टीरियल बीमारियों को रोकने में मदद करता है |
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ANWALA[/caption]
बांस का पौधा
यह एक शुभ पौधा माना जाता है। बांस घर में सुख, शांति, सौभाग्य लाता है। लोग इस पौधे को गिफ्ट भी करते हैं। बांस पर्यावरण को साफ करता है, यह नेचुरल एयर प्यूरीफायर होता है । इसको ऐसी जगह उगाया जाना चाहिए जहाँ सूर्य का प्रकाश कम हो |