National Monument : ‘राम सेतु’ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने के लिए कोर्ट में याचिका

National Monument : ‘राम सेतु’ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने के लिए कोर्ट में याचिका
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 12:40 AM
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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर ‘राम सेतु’ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने का अनुरोध किया गया है। अधिवक्ता अशोक पांडेय द्वारा दायर जनहित याचिका में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए वहां पर दीवार बनाने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।

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शीर्ष अदालत ने 20 मार्च को कहा कि वह इस याचिका को पूर्व में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर याचिका के साथ सूचीबद्ध करेगी, जिसमें राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने का निर्देश केंद्र को देने का अनुरोध किया गया है।

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गौरतलब है कि ‘एडम ब्रिज’ के नाम से भी प्रसिद्ध राम सेतु तमिलनाडु के दक्षिण पूर्वी तट के पास पम्बन द्वीप से लेकर श्रीलंका के उत्तर पश्चिमी तट के नजदीक मन्नार द्वीप तक चूना पत्थर के चट्टानों की श्रृंखला है। स्वामी ने केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान शुरू विवादित सेतु समुद्रम परियोजना के खिलाफ जनहित याचिका दायर कर राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने का अनुरोध किया था।यह मामला शीर्ष अदालत में आने के बाद न्यायालय ने वर्ष 2007 में राम सेतु से जुड़ी परियोजना पर रोक लगा दी थी।

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केंद्र सरकार ने बाद में कहा कि उसने परियोजना से होने वाले सामाजिक आर्थिक नुकसान पर विचार करने के बाद राम सेतु को नुकसान पहुंचाए बिना जहाजों के लिए अन्य मार्ग पर विचार करने को इच्छुक है।

UPSC सिविल सेवा में भर्ती प्रक्रिया की अवधि कम कर परीक्षार्थियों की संख्या का आकलन करे आयोग : समिति

गौरतलब है कि सेतु समुद्रम परियोजना का कुछ राजनीतिक दल, पर्यावरणविद् और कुछ हिंदू धार्मिक संगठन विरोध कर रहे हैं। परियोजना के तहत मन्नार की खाड़ी को पाक जलडमरुमध्य से जोड़ने के लिए 83 किलोमीटर लंबे जलमार्ग का निर्माण करना था और इस दौरान चूना पत्थरों की श्रृंखला को हटाया जाना था। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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UPSC सिविल सेवा में भर्ती प्रक्रिया की अवधि कम कर परीक्षार्थियों की संख्या का आकलन करे आयोग : समिति

20 18
UPSC
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 09:20 AM
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UPSC / नई दिल्ली। काार्मिक एवं प्रशिक्षण मामलों की स्थायी संसदीय समिति ने जोर देकर कहा है कि सिविल सेवा भर्ती की 15 महीने लंबी प्रक्रिया से उम्मीदवारों के महत्वपूर्ण साल जाया हो जाते हैं और इसके साथ ही उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। समिति ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को सिविल सेवा भर्ती प्रक्रिया की अवधि को कम करने के लिये कहा है।

UPSC

संसदीय समिति ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में यूपीएससी से यह भी कहा है कि वे उन कारणों का पता लगाए जिनकी वजह से सिविल सेवा की परीक्षा देने वाले अभ्यार्थियों की संख्या कम हो रही है।

उल्लेखनीय है कि यूपीएससी हर साल भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के लिए प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार सहित तीन चरणों में परीक्षा आयोजित करती है।

संसदीय समिति ने कहा कि यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा के लिए अधिसूचना जारी करने से लेकर अंतिम नतीजे जारी करने के लिए औसतन 15 महीने का समय लेती है।

6 माह से अधिक न लगे समय

रिपोर्ट में कहा गया कि समिति की राय है कि किसी भी भर्ती परीक्षा के लिए आमतौर पर छह महीने से अधिक समय नहीं लगना चाहिए क्योंकि भर्ती प्रक्रिया लंबी होने से उम्मीदवारों के जीवन के अहम साल बर्बाद हो जाते हैं और इसके साथ ही उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है।

समिति इसलिए सिफारिश करती है कि यूपीएससी को गुणवत्ता से समझौता किए बिना भर्ती प्रक्रिया में लगने वाली अवधि में कटौती करनी चाहिए।

आवेदन करने के बावजूद परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यार्थियों की संख्या में गिरावट पर समिति ने कहा कि वर्ष 2022-23 में यूपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षाओं के लिए करीब 32.39 अभ्यार्थियों ने आवेदन किया जबकि इनमें से केवल 16.82 लाख (51.95 प्रतिशत) ही वास्तव में परीक्षा में शामिल हुए।

समिति ने कहा कि उदारण के लिए वर्ष 2022 में आयोजित सिविल सेवा परीक्षा के लिए 11.35 लाख अभ्यार्थियों ने आवेदन किया, लेकिन उनमें से केवल 5.73 लाख (50.51 प्रतिशत) ने ही परीक्षा दी।

समिति ने यूपीएससी से गत पांच साल में अभ्यार्थियों से परीक्षा शुल्क मद में एकत्रित राशि की जानकारी देने की अनुशंसा की है।

परीक्षा में कम उम्मीदवारों के शामिल होने के कारण की जांच

रिपोर्ट में कहा गया कि आयोग को अवधि (गत पांच साल) में परीक्षा आयोजित करने पर हुए व्यय की जानकारी दी जाए। समिति यह भी अनुशंसा करती है कि यूपीएससी परीक्षा में कम उम्मीदवारों के शामिल होने के कारणों की जांच करे और संबंधित जानकारी समिति से साझा करे।

समिति ने विशेषज्ञ समिति गठित करने की सिफारिश की है जो यह पता लगाएगी कि मौजूदा भर्ती प्रक्रिया से क्या अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करने वाले शहरी उम्मीदवारों और गैर अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करने वाले ग्रामीण उम्मीदवारों को समान अवसर मिल रहा है या नहीं।

संसद में पेश रिपोर्ट में में समिति ने कहा कि विशेषज्ञ समूह से यह भी जांच काई जाए कि प्रारंभिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा की मौजूदा परिपाटी क्या अभ्यार्थियों को उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि से परे समान अवसर प्रदान कर रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक समिति ने सिफारिश की है कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग और यूपीएससी को विशेषज्ञ समूह द्वारा सिविल सेवा की परीक्षा कार्यक्रम और पाठ्यक्रम में सुझाए गए बदलाव पर विचार करना चाहिए।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा

समिति ने कहा कि यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद ही प्रारंभिक परीक्षा की उत्तर कुंजी जारी करती है, इसे दूसरे शब्दों में कहें तो वह अभ्यार्थियों को अगले चरण की परीक्षा से पहले ही उत्तर को चुनौती देने के अवसर से वंचित करती है।

रिपोर्ट में कहा गया कि यह परिपाटी न केवल अभ्यार्थियों को हतोत्साहित करती है बल्कि परीक्षा प्रक्रिया की वैधता व पारदर्शिता से भी समझौता करती है। हालांकि, भर्ती एजेंसी उत्तर कुंजी के सही होने पर उच्चतम स्तर की सतर्कता बरतती है लेकिन इसमें गलती होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

सिफारिश करती है कि यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा के बाद ही उत्तर कुंजी जारी करने के लिइसमें कहा गया, इसलिए समिति ए कदम उठा सकती है ताकि सिविल सेवा परीक्षा के अभ्यार्थियों को आपत्ति दर्ज करने का मौका मिले।

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then two planes would have become a ball of fire in the sky
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 10:37 PM
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काठमांडू। नेपाल में एअर इंडिया और नेपाल एयरलाइंस के विमान बीच हवा में टकराने वाले थे, तभी चेतावनी प्रणाली ने पायलटों को सतर्क कर दिया। उनके तुरंत हरकत में आने से एक बड़ा हादसा टल गया। अधिकारियों ने रविवार को यहां यह जानकारी दी।

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लापरवाही पर दो कर्मचारी सस्पेंड

नेपाल के नागर विमानन प्राधिकरण (सीएएएन) ने लापरवाही के आरोप में हवाई यातायात नियंत्रण विभाग के दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया। सीएएएन के प्रवक्ता जगन्नाथ निरूला ने यह जानकारी दी। शुक्रवार सुबह मलेशिया के कुआलालंपुर से काठमांडू आ रहे नेपाल एयरलाइंस के विमान और नयी दिल्ली से काठमांडू आ रहे एअर इंडिया के विमान की भिड़ंत होने वाली थी। निरूला ने कहा कि एअर इंडिया का विमान 19 हजार फीट की ऊंचाई से नीचे की ओर आ रहा था, जबकि नेपाल एयरलाइंस का विमान उसी समय 15 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था।

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जांच के लिए बनाई तीन सदस्यीय समिति

प्रवक्ता ने कहा कि जब रडार पर दिखा कि दो विमान आसपास हैं, तो नेपाल एयरलाइंस का विमान नीचे उतरकर सात हजार फीट की ऊंचाई पर आ गया। नागर विमानन प्राधिकरण ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई है। सीएएएन ने घटना के समय नियंत्रण कक्ष के प्रभारी रहे दो अधिकारियों को निलंबित कर दिया। इस घटना पर एअर इंडिया की ओर से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।