Thursday, 25 April 2024

नि:संकोच : मूर्ख गधा या फिर…?

 विनय संकोची यदि कोई आप को गधा कहे तो इसे अपना अपमान मत समझिए, बल्कि यह आपका सम्मान है। यह…

नि:संकोच : मूर्ख गधा या फिर…?

 विनय संकोची

यदि कोई आप को गधा कहे तो इसे अपना अपमान मत समझिए, बल्कि यह आपका सम्मान है। यह बात आपको विचित्र लग रही होगी, विचित्र है भी, है लेकिन एकदम सच। यह सच बात अजीब इसलिए लग रही है क्योंकि गधे के बारे में कभी ठीक से सोचा ही नहीं गया। गधे को मूर्ख मानकर उसकी उपेक्षा की गई, उसका तिरस्कार किया गया और गधे की महानता देखिए कि उसने अपनी उपेक्षा, अपने तिरस्कार, अपने को मूर्ख शिरोमणि कहे जाने का कभी बुरा नहीं माना, कभी विरोध नहीं किया। साधारण से साधारण इंसान की बात छोड़ो तथाकथित महान लोग भी गधे जितनी उपेक्षा किए जाने पर तिलमिला जाएंगे।

अभी पिछले दिनों में जोधपुर के निकट शिकारपुरा स्थित श्री राजेश्वर धाम में गादीपति राजऋषि योगीराज बाल ब्रह्मचारी श्री 108 महंत श्री दयाराम जी महाराज के सान्निध्य का सुख भोग रहा था। एक रात में दूर कहीं से गधे के रेंकने की आवाज आई। मुझे प्रश्न सूझा – ‘गधे को मूर्ख क्यों कहा जाता है?’ इस पर महाराजश्री ने कहा – ‘गधे को मूर्ख कहना इंसान की मूर्खता है। गधे के गुणों को कोई देखता नहीं और गधे ने क्या मूर्खता की है, कोई बता पाता नहीं है।’

महाराज जी ने जो आगे कहा, वह तो मैंने कभी सोचा ही नहीं था। उन्होंने कहा – ‘सबसे बड़ी बात यह है कि गधा जब से धरती पर आया है, तब से लेकर आज तक उसके व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आया है। उसका स्वभाव जस-का-तस है। करोड़ों वर्ष बीत जाने के बाद भी गधे को कोई व्यसन छू तक नहीं पाया है। वह सूखी या हरी जैसी मिले घास खाता है, घास ही खाता है। वह नि:स्वार्थ भाव से सेवा करता है। पीठ पर सामान लादकर चलता है। मालिक के डंडे भी खाता है, लेकिन कभी बगावत नहीं करता, विरोध नहीं करता। दुनिया में कुछ भी होता रहे, गधा अपने काम से काम रखता है। बीच में काम छोड़कर भागता नहीं है, काम से जी चुराता नहीं है। घास पानी के अलावा कोई वस्तु उसे चाहिए नहीं। गधे की जरूरतें सीमित हैं। वह हमेशा शांत रहता है, निर्विकार।’

ऐसे पशु को मूर्ख कहना कहां तक उचित है, यह सोचने का विषय है। जब तमाम तरह के शौक, व्यसन, बुराइयों से भरा इंसान गधे को मूर्ख कहता है, तो मुझे लगता है कि गधा इंसानों पर हंसता तो जरूर होगा। गधे में कोई बुराई नहीं ढूंढ सकते, जबकि बड़े से बड़े कहे जाने और माने जाने वाले इंसान में तमाम तरह की बुराइयां निकाली जा सकती हैं। गधा एक विकार रहित पशु है और उसे मूर्ख कहने वाला इंसान विकारों का पुतला है। अब मुझे व्यक्तिगत रूप से लगने लगा है कि गधे को मूर्ख की श्रेणी में रखना गधे के साथ अन्याय करना है, उसका अपमान करना है। आपकी क्या राय है इस बारे में बताइएगा जरूर।

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