Friday, 29 March 2024

Hindi Kavita – छोड़ चली क्यों साथ सखी री ?

छोड़ चली क्यों साथ सखी री ? इसीलिए हमसे रचवाए क्या मेंहदी से हाथ सखी री। गुमसुम होगी कल ये…

Hindi Kavita – छोड़ चली क्यों साथ सखी री ?

छोड़ चली क्यों साथ सखी री ?
इसीलिए हमसे रचवाए क्या मेंहदी से हाथ सखी री।

गुमसुम होगी कल ये देहरी,
सिसकेगा घर का अंगना।
रोएँगी गुलशन की कलियाँ,
हिलकी-भर रोयें कंगना।
सूरज खाने को दौड़ेगा, डसे चंदनिया रात सखी री।

जिनके संग पंचगोटी खेली,
जिनके संग गुड्डा-गुड़िया।
कोई कहे मेरे बाग की बुलबुल,
कोई मैना, कोई चिड़िया।
जिस गोदी में खेली-कूदी, छूटे वे पितु-मात सखी री।

भइया याद दिलाए राखी,
भाभी होली फागुन की।
जब पीहर से जाए तू, माँ-
याद दिलाए सावन की।
सबके दिल दरपन जैसे हैं, देना ना आघात सखी री।

जा री जा, तेरे दामन में-
खुशियाँ हों दुनिया-भर की,
जैसे लाज रखी इस घर की-
वैसे रखना उस घर की
शुभ हो तुझे नया घर, लो जा खुशियों की सौग़ात सखी री।

डा. विष्णु सक्सेना
————————————————
यदि आपको भी कविता, गीत, गजल और शेर ओ शायरी लिखने का शौक है तो उठाइए कलम और अपने नाम व पासपोर्ट साइज फोटो के साथ भेज दीजिए चेतना मंच की इस ईमेल आईडी पर- [email protected]

हम आपकी रचना को सहर्ष प्रकाशित करेंगे।

Related Post