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Hindi Kavita – किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए

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अपना गम लेके कही और न जाया जाए,
घर में बिखरी हुयी चीजों को सजाया जाए।
जिन चरागों को हवाओ का कोई खौफ नहीं,
उन चरागों को हवाओ से बचाया जाए।

क्या हुआ शहर को कुछ भी तो नज़र आये कहीं,
यूँ किया जाए कभी खुद को रुलाया जाए।
बाग़ में जाने के आदाब हुआ करते हैं,
किसी तितली को न फूलों से उड़ाया जाए।

खुदखुशी करने की हिम्मत नहीं होती सबमें,
और कुछ दिन अभी औरों को सताया जाए।
घर से मस्ज़िद है बहुत दूर चलो ये कर लें,
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए।

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यदि आपको भी कविता, गीत, गजल और शेर ओ शायरी लिखने का शौक है तो उठाइए कलम और अपने नाम व पासपोर्ट साइज फोटो के साथ भेज दीजिए चेतना मंच की इस ईमेल आईडी पर-  chetnamanch.pr@gmail.com

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