Hindi Kavita –
माँ तो माँ होती है,
माँ जैसी कोई कहाँ होती है।
चोट मुझे जब भी लगती थी,
माँ भी घायल होती थी।
दो आँसू जो आँख से निकले,
संग संग वो भी रोती थी।
क्या सबकी माँ ऐसी ही हैं।
जैसी मेरी होती थी।
याद बहुत आती है मुझको,
माँ की सारी बातें वो,
भीग रहा हूँ जिनमें अब तक
ममता की बरसातें वो।
छोड़ गई वो दुनिया लेकिन,
साथ हमेशा रहती है।
मैं हूँ ना तुम फ़िक्र ना करना
अब भी ये ही कहती है।
- नवीन जैन
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