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Hindi Kavita – पहचान

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Hindi Kavita –

जब होती हूँ
पंख
उड़ जाते हो थामकर मुझे
नीले विस्तार में
जब
होती हूँ ख़्वाब
भर लेते हो अपनी आँखों में
जब
होती हूँ बूँद
सागर बन समेट लेते हो
अपने आग़ोश में
जब
होती हूँ सुबह
भर देते हो हुलसते फूल
मेरी हथेलियों में
पर जब होती हूँ मैं
अपनी पहचान
तोड़ लेते हो
मुझसे
पहचान के सारे नाते…।

अनुप्रिया

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