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गुर्जर (Gurjar) इतिहास (History)

आप सब जानते ही हैं कि इन दिनों देश भर में सम्राट मिहिर भोज की जाति को लेकर एक विवाद छिड़ा हुआ है। दिल्ली (Delhi) के गांव (Village)  तुगलकाबाद (Tuglkabad) में  रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता (Social Workers) तथा प्रसिद्ध वकील (Famous Lawyer) दिवाकर विधूड़ी ने इस विषय पर व्यापक खोज (Research) की है। नीचे प्रस्तुत है उनकी खोज के प्रमुख अंश:

जैसा की सर्वविदित है कि अरब हमलावरो से लगभग 300 वर्षों तक हिन्दुस्तान को बचाये रखने वाले “गुर्जर प्रतिहार “ वंश के सम्राटों को विभिन्न समकालीन ग्रंथों, इतिहास की पुस्तकों,गज़ेटियर,शिलालेख व ताम्रपत्रों मे गुर्जर ही लिखा है। जिनके विवरण इस प्रकार है :-

(1) Gazetteer of the Bombay Presidency, Vol. 9 , Part 1.
इस गज़ेटियर के पेज नंबर 469 – 502 तक Appendix B. मे “The Gujar” अध्याय हैं। इस अध्याय में गुर्जर जाति के उत्पत्ति,शासक ,गोत्र, प्रवास का ज़िक्र है। साथ ही गुर्जर शब्द का अर्थ बताया गया है कि गुर्जर या गूजर एक जाति है। और गुर्जरों से ही राजपूत के कई वंश की उत्पत्ति है।
साथ ही बताया गया कि गुर्जरों की उपाधि “मिहिर “ भी है। गुर्जर सम्राट मिहिर भोज (836-885 ई.) को गुर्जर या गूजर राजा बताया गया है। साथ ही लिखा है कि सहारनपुर में गुजरात है और पंजाब में भी गुजरात है और ग्वालियर में गुर्जर गढ़, पंजाब के गुजराँवाला आदि का वर्णन किया है।

(2) Jhansi gazetteer Vol 24
पेज नंबर 181 पर कहा गया है कि राजा तोरमन के समकालीन ग्रंथों व शिलालेखों में गुर्जर , जिन्हें गूजर भी कहा जाता है, का विवरण है।
आगे लिखा है परिहार राजपूत Gurjar or Gujar stock से ही है। लिखा है कि कि इसी गुर्जर या गूजर वंश के प्रतापी राजा नागभट्ट -1 (810ई . व मिहिरभोज (840-90) बहुत शक्तिशाली राजा हुए हैं।

(3) Farrukhabad gazetteer Vol. 9 वर्ष 1911.
पेज नंबर 121 पर लिखा है कि गुर्जरों के राजा नागभट्ट-2 ने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया। इनका मूल गुर्जर जाति से है। नागभट्ट के पोते मिहिरभोज ने फिर से कन्नौज को शक्तिशाली राज्य बना दिया।

(4) Rajputana gazetteer Vol. 2 वर्ष 1879
पेज नंबर 39 पर लिखा है कि गुर्जरों की उपाधि “ मिहिर “ होती हैं।

(5) Imperial Gazetteer of India, Central India वर्ष 1908
पेज नंबर 18 में लिखा है कि पाँचवीं,छठी शताब्दी में मे गुर्जर (Gurjara) जाति ने मध्य एशिया से प्रवेश किया आठवीं शताब्दी तक गुर्जर जाति के राजपूताना और पश्चिमी हिस्से बसे होने के कारण गुजरात कहा जाने लगा।
बुंदेलखंड व मालवा के परिहार व परमार राजपूत भी गुर्जर वंश से है। गुर्जर सम्राट मिहिर भोज 885 ई. में मृत्यू के बाद गुर्जर साम्राज्य बिखर गया।

(6) Saharanpur Gazetteer Vol. 2 , 1921
पेज नंबर 101 पर लिखा:- The Gurjaras are identical with the Gurjar, Gujar of the old days the ancestor of the modern parihar Rajput. Saharanpur was commonly known as Gujarat.

(7) Jalaun Gazetteer Vol. 25 , 1909
पेज नंबर 115 पर लिखा है कि 500 ई. में जब तोरमन और मिहिरकुल शासन कर रहे थे तब गुर्जर (Gurjar) आसपास के क्षेत्रों में आकर बस गये।

(8) The Tribes and Castes of the Central Provinces of India, Vol. 3 , 1916
पेज नंबर 166-75 तक गुर्जर जाति के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। जिसमें बताया गया है कि गुर्जरों के बसने के कारण ही गुजरात, गुजराँवाला, और ग्वालियर के गुर्जर गढ़ आदि का नामकरण इसी जाति के नाम पर हुआ। स्पष्ट किया गया कि Gujar or Gurjara शब्द गूजर जाति के लिए प्रयोग किये जाते है। जो पूरानी जाति है। इसी जाति के राजा मिहिरभोज (840-90) को गुर्जर प्रतिहार संबोधित किया तथा बताया कि प्रतिहार व परिहार भी गुर्जर जाति के लिए संबोधन किए जाते है। स्पष्ट किया है कि Partihara( Parihar) Clan of Gurjara Tribe of Cast and consequently known clan of Parihar Rajput is a branch of Gurjara or Gujar Stock.

(9) हिमाचल प्रदेश सरकार के Planning Department,Shimla,1710002 ने गुर्जरों पर एक सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण कर रिपोर्ट तैयार की,यह रिपोर्ट आज भी संबंधित विभाग के वेबसाइट पर उपलब्ध है। इसमें लिखा है कि गुर्जर एक लड़ाकू क्षत्रिय जाति है , गुर्जर की उपाधि मिहिर भी है।
गुर्जर,गुज्जर,गूजर का शाब्दिक अर्थ एक ही है। गुर्जर,गूजर जाति के लोगों के बसने के स्थान को गुजरात,गुजराँवाला,गुर्जरदेश आदि कहा गया है।

(10). सिक्ख गुर्जरों पर UNESCO की Global Prayer Digest-2011 की रिपोर्ट में गुर्जरों को क्षत्रिय बता कर उत्पत्ति का भी विवरण दिया है। तथा यह भी बताया है कि गुजरात नामक स्थान का नामकरण गुर्जर जाति के बसने के कारण हुआ है।

(11) Linguistic Survey of India Vol. 9 , Indo – Aryan Family, Central Group,Part 4
पेज नंबर 8-16 पर “The Gurjara “ शीर्षक से गुर्जर जाति के बारे में बताया गया है कि गुर्जर या गुज्जर, गूजर शब्द गुर्जर जाति के लिए प्रयोग किये गये हैं। गुजरात, गुजराँवाला आदि स्थानों का नाम गुर्जर जाति के विध्यमान होने पर यह नामकरण हुआ। गुर्जर का शाब्दिक अर्थ शत्रु विनाशक बताया है। गुर्जरों को देश के विभिन्न हिस्सों में बसाया बताया। गुर्जर शासकों नागभट्ट, वत्सराज,,व्याग्रहामुख, कन्नौज के राजा मिहिरभोज (840-90) को गुर्जर जाति से बताया। गुर्जरों द्वारा गुर्जरी भाषा का विस्तृत विवरण दिया है। तथा प्रतिहार व परिहार एवं परमार को भी गुर्जर जाति का होना बताया है।

(12) Jat ,Gujar and Ahir ,
A Martial Race रिपोर्ट मे A H BIngley
लेखक ने पेज नंबर 7 पर , गुर्जर जाति के उत्पत्ति संबंधी विवरण दिए हैं। बताया कि गुर्जरों ने दक्षिण में सिन्धु घाटी में स्थापित होकर सौराष्ट्र बसाया जिसे तब गुजरात कहा जाने लगा। काबुल ,कंधार ,कश्मीर, उत्तरी पंजाब बसे गुर्जरों के स्थान को गुजराँवाला व गुजरात और गुर्जरदेश कहा गया।

(13) The Imperial Gazetteer of India. , The Indian Empire vol. 2 pg 307-18.

ताम्रपत्र में जिनमें गुर्जर जाति का विवरण है।
1. सज्जन ताम्रपत्र
2. बड़ौदा ताम्रपत्र
3. माने ताम्रपत्र
4. बामुग्रा ताम्रपत्र महिपाल (915) को दहाड़ता गुर्जर कहा है।
5. खजुराहो अभिलेख (925-50)यशोवर्मन को प्रतिहारों के लिए झंझावत व गुर्जरों के लिए अग्नि के समान बताया है।
शिलालेख
1. करडाह
2. राधनपुर
3. नीलगुण्ड
4. देवली
5. बादल स्तम्भ लेख के श्लोक नंबर 13 मे गुर्जर राजा, गुर्जर नाथ का वर्णन है।
6. सिरूर शिलालेख यह शिलालेख गोविन्दा -3 व गुर्जर नागभट्ट -2 के युद्ध का वर्णन है जिसमें नागभट्ट को गुर्जरान ,,गुर्जर राजा,गुर्जर सैनिक,गुर्जर जाति,गुर्जर राज्य का उल्लेख है।
राजौर के अभिलेखों में कन्नौज व उज्जैन के प्रतिहार को गुर्जर कहा है।
चन्देल शिलालेखों में गुर्जर प्रतिहार कहा है।
ऐहोल ,नवसारी शिलालेखों में इन्हें गुर्जेश्वर कहा है।
जोधपुर व घटियाला के शिलालेख से प्रकट होता है कि गुर्जर प्रतिहार का मूल स्थान गुर्जरात्र था।

ग्रंथों में गुर्जर विवरण।
1. कवि पम्पा द्वारा लिखित “विक्रमार्जुन विजय” में तत्कालीन गुर्जर प्रतिहार सम्राट महिपाल (912-44) को गुर्जर राजा कहा है।
2. अरब यात्री अलमसूदी (915ई.) भारत यात्रा के दौरान सम्राट महिपाल के दरबार में रहा। उसने “मजरूल- जुहाब नामक ग्रंथ लिखा उसने महिपाल को वोरा व इस वंश को अल-जुर्ज (गुर्जर) कहा है।
3. कल्हण के बारहवीं सदी में लिखे ग्रंथ राजतरंगिणी प्रतिहार को गुर्जर कहा है।
4. स्कन्ध पुराण के प्रभास खंड में वर्णन है। मार्कण्डेय पुराण व पंचतंत्र में भी गुर्जर जन जाति के प्रमाण है।
5. हर्षचरित में लेखक बाण ने भी गुर्जर जाति का वर्णन किया है।

गुर्जर जाति के होने से गुजरात नामक स्थान का होना। Bombay Gazetteer vol 9 part 1 पेज नंबर 482 व 101 पर सहारनपुर व पंजाब प्रांत में गुर्जर जाति बसे होने के कारण गुजरात बताया गया।

जिन पुस्तकों में गुर्जरों की उत्पत्ति,गुर्जर जाति व गुर्जर,गूजर,गुज्जर शब्द का एक ही अर्थ है। तथा गुर्जर जाति के शासकों के वर्णन है। व गुर्जर जाति के बसने के कारण ही गुजरात व गुजराँवाला जैसे अनेकों स्थानों के नाम पड़े उनका विवरण इस प्रकार है।

1. The History of the Gurjara-Pratiharas :- (Dr. B N Puri)
2. Ashort History of India:- (W H Moreland) pg no. 114
3. Cambridge History of India:-(Allan J ) pg 104.
4. Comprehensive History of India,part 1. Pg 49 & 141.
5. Early History of India, 4th Edition:-(V A Smith) pg 4-5 , 427-28
6. Al-Hind :-(Andre Wink) pg 277-303.
7. The Gurjara Pratihar and Their Times:-(V B Mishra) pg 29
8. History of India part 1 :- (R D Mukharji) pg 140-41.
9. D R Bhandarkar Volume. Edited by Bimla Churn Law.
10. Ancient India and South Indian History & Culture. :-(Dr. S Krishanasvami Aiyangar) pg 326-370
11. Indian Village Community:-(B H Baden -Powell)pg 101-102.
12. मध्य क़ालीन भारत:-( हरिश्चंद्र वर्मा) पेज 5-17
13. The Gujar Settlement:- ( D S Manku ) All pages.
14. History of Kanauj :- R S Tripathi) ph 78, 110,191,221-22,226-27,241,267,271,274.
15. जाति व्यवस्था:-(सच्चिदानन्द सिन्हा) पेज 84-85
16. प्राचीन एवं मध्यकालीन भारत का इतिहास। :- डा. कमल भारद्वाज।
17. जाति व्यवस्था:( नर्मदेशवर प्रसाद) पेज 43,74,75

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