Saturday, 20 April 2024

जयंती : शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान है मौलाना आज़ाद का

 विनय संकोची मानव सभ्यता के उदय काल से भारत अपनी शिक्षा और दर्शन के लिए प्रसिद्ध रहा है। यह भारतीय…

जयंती : शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान है मौलाना आज़ाद का

 विनय संकोची

मानव सभ्यता के उदय काल से भारत अपनी शिक्षा और दर्शन के लिए प्रसिद्ध रहा है। यह भारतीय शिक्षा का ही कमाल है कि भारत की संस्कृति ने सदैव संसार का पथ प्रदर्शन किया। आज भी दार्शनिक और शिक्षा शास्त्री इस बात का प्रयास कर ही रहे हैं कि भारतीय शिक्षा का स्तर प्राचीन भारत की तरह समुन्नत रहे।

‘दिल से दी गई शिक्षा समाज में क्रांति ला सकती है’- यह शब्द हैं भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के जिनकी आज जयंती है और इस दिन को ‘राष्ट्रीय शिक्षा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि शिक्षा के क्षेत्र में भारत ने काफी प्रगति की है लेकिन सच यह भी है कि आज भी भारत की आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा अनपढ़-अशिक्षित है। निरक्षर को साक्षर बनाने के लिए योजनाएं तो तमाम बनी हैं और बन रही है लेकिन निरक्षरों की संख्या में बहुत ज्यादा कमी नहीं आई है। सच कहा जाए तो शिक्षा का स्तर विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में गिरा ही है। कहीं विद्यालयों की कमी है और कहीं विद्यालय हैं तो अध्यापकों का अभाव है। जो विद्यालय हैं भी तो उनमें से बहुत तो बुरी अवस्था में हैं। हां कागजों पर शिक्षा को लेकर सब कुछ ठीक चल रहा है। शिक्षा की बुनियाद को मजबूत करने की आवश्यकता पर कोई खास काम नहीं हो रहा और जो हो रहा है उसके सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आ रहे।

देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद ने न केवल देश की आजादी की लड़ाई में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया, हिंदू-मुस्लिम एकता की नींव रखी अपितु उन्होंने ही देश में आईआईटी, आईआईएम और यूजीसी जैसे संस्थानों की नींव रखी। मौलाना आजाद ने धर्म के आधार पर पाकिस्तान के गठन का खुलकर विरोध किया था।

मौलाना आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का, सऊदी अरब में हुआ था और उनका असल नाम अबुल कलाम गुलाम मोहिउद्दीन अहमद था लेकिन वह मशहूर हुए मौलाना आजाद के नाम से। साल 1890 में उनका परिवार मक्का से कोलकाता आ गया था। मौलाना आजाद ने 1912 में ‘अल हिलाल’ नाम से साप्ताहिक पत्रिका निकालकर सांप्रदायिक सौहार्द और हिंदू मुस्लिम एकता को बढ़ावा देना शुरू किया और साथ ही ब्रिटिश शासन पर प्रहार किया। अंग्रेज सरकार ने जब पत्रिका को प्रतिबंधित कर दिया तो मौलाना आजाद ने एक नई पत्रिका ‘अल-बलाग’ निकालनी शुरू कर दी। मौलाना आजाद ने कई किताबें लिखीं जिसमें उन्होंने ब्रिटिश राज का विरोध किया और भारत के स्वशासन की वकालत की।

मौलाना आजाद महात्मा गांधी के पक्के समर्थक थे और गांधीजी उन्हें ‘ज्ञान सम्राट’ कहा करते थे। पंडित जवाहरलाल नेहरु की कैबिनेट में 1947 से 1958 तक मौलाना आजाद शिक्षा मंत्री रहे। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया उन्होंने आईआईटी, आईआईएम और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग जैसे संस्थानों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके योगदान का सम्मान करते हुए उन्हें 1992 में ‘भारत रत्न’ पुरस्कार से विभूषित किया गया और उनके जन्मदिन को ‘राष्ट्रीय शिक्षा दिवस’ के रूप में मनाए जाने का निर्णय लिया गया।
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