विनय संकोची
आज महान् क्रांतिकारिणी झांसी की रानी और देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती है। नारी शक्ति की प्रतीक दोनों महामानवी विदुषियों को भावपूर्ण श्रद्घांजलि।
मणिकर्णिका-मनु से झांसी की रानी बनने वाली क्रांति-ज्वाला महारानी लक्ष्मीबाई की कहानी आज भी रोमांचित करती है। अंतिम सांस तक अंग्रेजों से लोहा लेने वाली रानी झांसी, अंग्रेज़ उनका शव तक लेने में सफल नहीं हो सके थे- रानी की यही तो अंतिम इच्छा थी।
जिस समय एक अंग्रेज ने पहले से ही घायल रानी के सिर पर तलवार का घातक प्रहार किया, तो वो बहते खून से लगभग अंधी हो गईं। रानी घोड़ेे से नीचे गिर पड़ीं। एक सैनिक ने उन्हें उठाया और पास के मंदिर में ले गया। रानी जीवित थीं लेकिन धीरे-धीरे होश खो रही थीं। बाहर गोलियां चल रही थीं। रानी के मुंह से रुक-रुक कर शब्द निकल रहे थे- ‘अंग्रेजों को मेरा शरीर नहीं मिलना चाहिए’- फिर उनका सिर एक ओर लुढ़क गया। सब कुछ शांत हो गया। रानी ने प्राण त्याग दिये। रानी के अंगरक्षकों ने आनन-फानन में कुछ लकडिय़ां जमा कीं और रानी की पार्थिव देह को उन पर रखकर आग लगा दी। अंग्रेजों की ताबड़तोड़ गोलीबारी से मंदिर के अंदर से संघर्ष कर रहे रानी के वफादार और पुजारी मारे गये। अंग्रेज अंदर पहुंचे, उन्हें एक शव की तलाश थी। तभी उन्होंने जलती चिता देखी। अंग्रेजों ने अपने बूट से चिता को बुझाने का प्रयास किया लेकिन तबतक रानी की हड्डियां राख बन चुकी थीं। अंग्रेज जीते जी तो रानी को छू नहीं सके, उनके पार्थिव शरीर को भी हासिल नहीं कर पाये। अंग्रेज इसे अपनी हार के तौर पर देखते रहे।
एक अंग्रेज अधिकारी कॉर्नेट कॉम्ब ने लक्ष्मीबाई की बहादुरी और हौसले को देखते हुए लिखा था- ‘वो बहुत ही अद्भुत और बहादुर महिला थी। यह हमारी खुशकिस्मती थी कि उसके पास उसी के जैसे आदमी नहीं थे।’ लॉर्ड कंबरलैंड ने लिखा था- ‘लक्ष्मीबाई असाधारण बहादुरी, विद्वता और दृढ़ता की धनी हैं। वे अपने अधीन लोगों के लिए बेहद उदार हैं। ये सारे गुण सभी विद्रोही नेताओं में उन्हें सबसे ज्यादा खतरनाक बनाते हैं।’
झांसी पर आखिरी कार्रवाई करने वाले सर ह्यूरोज ने कहा था-‘सभी विद्रोहियों में लक्ष्मीबाई सबसे ज्यादा बहादुर और नेतृत्व कुशल थीं। सभी बागियों के बीच वही मर्द थीं।’
रानी लक्ष्मीबाई की वीरगाथा को कुछ शब्दों, कुछ पंक्तियों में समेटना सागर के जल को एक चम्मच में समेटने जैसा है। शक्ति स्वरूपा झांसी की रानी को शत-शत नमन्।