चलो रामलीला-रामलीला खेलें, नोएडा से दिल्ली तक बड़ा ‘‘खेला’’

चलो रामलीला-रामलीला खेलें, नोएडा से दिल्ली तक बड़ा ‘‘खेला’’
locationभारत
userचेतना मंच
calendar25 SEPT 2025 07:05 AM
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Ramlila: वर्तमान में पूरे भारत में रामलीला चल रही है। भारत के गाँव, कस्बे तथा शहर में चारों तरफ रामलीला ही रामलीला के मंचन चल रहे हैं। रामलीला (Ramlila-2025) के आयोजन के आयोजन में उत्तर प्रदेश के नोएडा से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक में खूब ‘‘खेला’’ चल रहा है। रामलीला के इस दौर में रामलीला की परम्परा तथा रामलीलाओं के गिरते स्तर तक रामलीला कमेटियों के विवाद तक पर वरिष्ठ पत्रकार चेतन आनंद  ने एक बड़ा आलेख लिखा है। हम यहां रामलीला पर लिखे गए चेतन आनंद के लेख को ज्यों का त्यों प्रकाशित कर रहे हैं।

रामलीला  : परम्परा, विवाद तथा बदलता हुआ स्वरूप

रामलीला (Ramlila) केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, लोक आस्था और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है। दिल्ली-NCR में हर साल दशहरे के अवसर पर भव्य रामलीलाएँ आयोजित होती हैं। इन आयोजनों में लाखों लोग शामिल होते हैं। मंचन से लेकर झाँकियों तक सब कुछ महीनों पहले से तैयार होता है। लेकिन बीते कुछ वर्षों में यह परंपरा कई तरह के विवादों और खींचतान का शिकार भी रही है। कहीं कलाकारों की चयन प्रक्रिया सवालों के घेरे में आई, तो कहीं परंपरागत भाषा और शैली संकट में पड़ी। कुछ जगह सुरक्षा और व्यवस्थागत लापरवाही ने विवादों को जन्म दिया तो कहीं रामलीला समिति पदाधिकरियों में आपसी खींचतान देखी गई।

दिल्लीः पूनम पांडे और लवकुश समिति विवाद

दिल्ली की सबसे चर्चित घटना इस वर्ष (2025) की रही, जब चांदनी चौक की लवकुश रामलीला (Luvkush Ramleela) समिति ने अभिनेत्री पूनम पांडे (Poonam Pandey) को मंदोदरी की भूमिका के लिए चुना। जैसे ही यह खबर फैली, बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद सहित अनेक धार्मिक संगठनों ने इसका विरोध किया। उनका तर्क था कि रामलीला एक पवित्र सांस्कृतिक मंच है, और इसमें ऐसे कलाकारों को शामिल करना ठीक नहीं, जिनकी सार्वजनिक छवि विवादास्पद रही हो। समिति के अध्यक्ष अर्जुन कुमार और महासचिव सुभाष गोयल ने पहले निर्णय का बचाव किया, लेकिन जब दबाव बढ़ा और जनता में असंतोष सामने आया तो उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर घोषणा की कि पूनम पांडे इस वर्ष मंचन का हिस्सा नहीं होंगी। दिल्ली बीजेपी मीडिया सेल प्रमुख प्रवीण शंकर कपूर ने भी खुलकर विरोध किया। अंततः समिति ने पूनम पांडे को पत्र लिखकर इस भूमिका से हटाने का निर्णय सुनाया।

ग़ाज़ियाबादः ऊँट की मौत और कलाकार चयन

ग़ाज़ियाबाद (Ghaziabad) में हाल ही में रामलीला (Ramlila) आयोजन विवादों में तब आया जब राजनगर की रामलीला समिति में झाँकियों और मनोरंजन के लिए रखे गए ऊँट की मृत्यु हो गई। पशु अधिकार संगठनों ने इसे लापरवाही बताया और पुलिस पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाया। समिति अध्यक्ष जयकुमार गुप्ता ने कहा कि उन्हें ऊँट की खराब हालत की जानकारी नहीं थी, जबकि एनजीओ एफआईएपीओ की अनामिका राणा ने समिति और देखरेख करने वालों पर गंभीर आरोप लगाए। इसके अलावा, ग़ाज़ियाबाद की कविनगर रामलीला में कलाकार चयन को लेकर चर्चा रही। यहां मिस सहारनपुर अनुष्का यादव को सीता और इंजीनियर अंशुल सिंह को रावण की भूमिका दी गई। यह विवाद नहीं बना, लेकिन चयन प्रक्रिया को लेकर स्थानीय स्तर पर बहस जरूर हुई। इससे पता चलता है कि कलाकारों की पृष्ठभूमि और पहचान भी अब जनता के बीच चर्चा का विषय बनती है। कवि नगर स्थित श्री धार्मिक रामलीला समिति में अध्यक्ष और महामंत्री पर गंभीर आरोप लगे हैं। समिति के आजीवन सदस्य और पूर्व सांसद डॉ. रमेश चंद्र तोमर ने आरोप लगाया है कि नियम विरुद्ध तरीके से उन्हें समिति से बाहर करने का प्रयास किया जा रहा है। डॉ. तोमर का कहना है कि वे समिति के आजीवन सदस्य हैं, फिर भी अध्यक्ष और महामंत्री ने उन्हें हटाने का नोटिस जारी कर दिया। उनका आरोप है कि समिति के भीतर कुछ लोग व्यक्तिगत लाभ और राजनीतिक दबाव में निर्णय ले रहे हैं। संजय नगर सेक्टर-23 में आयोजित होने वाली रामलीला भी राजनीतिक महाभारत का मैदान बनी हुई है। यहां भाजपा नेता प्रदीप चौधरी और पार्षद पप्पू नागर के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है। बताया जा रहा है कि रोजाना नए-नए आदेश पत्र जारी किए जा रहे हैं, जिससे मंचन की तैयारी पर भी असर पड़ रहा

नोएडाः आधुनिक मंच और पुलिस की सख्ती

नोएडा (Noida) में रामलीला समितियों का स्वरूप धीरे-धीरे बदल रहा है। श्री सनातन धर्म रामलीला, श्री राम मित्र मंडल जैसी समितियाँ भव्य मंच, स्क्रीन और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रही हैं। इस परंपरा और आधुनिकता का मेल दर्शकों को आकर्षित तो कर रहा है, लेकिन परंपरावादियों के बीच यह बहस छेड़ रहा है कि क्या रामलीला को इतने आधुनिक रूप में प्रस्तुत करना उचित है। इसके साथ ही, पुलिस और प्रशासन भी हर साल अधिक सतर्क हो रहा है। 2024 में नोएडा पुलिस ने भीड़ नियंत्रण के लिए धारा 144 लागू की और समितियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि सुरक्षा में कोई कमी नहीं होनी चाहिए।

फरीदाबादः भाषा और परंपरा का संकट

फरीदाबाद (Faridabad) की जागृति रामलीला समिति ने इस साल घोषणा की कि वे परंपरागत “बन्नुवाली रामलीला” का मंचन अब नहीं कर पाएंगे। यह रामलीला पंजाबी की एक विशेष बोली ‘बन्नुवाली’ में होती थी और लंबे समय से स्थानीय पहचान का हिस्सा रही है। समिति से जुड़े गुरचरण सिंह भाटिया ने कहा कि अब उस भाषा को जानने वाले लोग लगभग खत्म हो चुके हैं, इसलिए मंचन संभव नहीं है।

गुरुग्रामः विवाद कम, चुनौतियाँ वही

गुरुग्राम (Gurugram) की रामलीलाओं से जुड़ी बड़े विवाद की खबरें कम मिली हैं। यहाँ आयोजन अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण रहते हैं। लेकिन स्थानीय स्तर पर समितियों को भूमि, बिजली, अनुमति और फंड जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यह बताता है कि भले ही गुरुग्राम मीडिया की सुर्खियों में न आए, पर समिति स्तर पर संघर्ष वही हैं जो दिल्ली या ग़ाज़ियाबाद में देखने को मिलते हैं।

रामलीलाओं में विवाद-एक नजर में

दिल्ली-NCR की रामलीला समितियों के विवादों को अगर एक नज़र से देखें तो चार मुख्य प्रकार उभरते हैं-

1. कलाकार चयन और छवि विवाद-जैसे दिल्ली में पूनम पांडे का मामला।

2.सुरक्षा और लापरवाही-ग़ाज़ियाबाद में ऊँट की मौत, दिल्ली में मंच पर कलाकार का गिरना।

3.परंपरा बनाम आधुनिकता-नोएडा में एलईडी और तकनीक का इस्तेमाल, फरीदाबाद में भाषा का संकट।

4.संसाधन और प्रशासनिक दबाव-गुरुग्राम और अन्य जिलों में भूमि, बिजली, अनुमति जैसी समस्याएँ।

दिल्ली-एनसीआर की रामलीला समितियों में विवाद और आपसी खींचतान इस बात का संकेत है कि सांस्कृतिक आयोजनों को लेकर समाज में संवेदनशीलता कितनी गहरी है। चाहे वह पूनम पांडे को लेकर हुआ विरोध हो, ग़ाज़ियाबाद में ऊँट की मौत हो, नोएडा की आधुनिकता हो या फरीदाबाद की भाषा का संकट, हर घटना हमें यह याद दिलाती है कि परंपरा को निभाने के लिए केवल उत्साह काफी नहीं, बल्कि संवेदनशीलता, जिम्मेदारी और दूरदृष्टि भी आवश्यक है। रामलीला की शक्ति इसी में है कि वह समय के साथ बदल भी सकती है और परंपरा को संभाल भी सकती है। जरूरत है कि समितियाँ और समाज दोनों मिलकर ऐसा संतुलन साधें, जिससे मर्यादा भी बनी रहे और आधुनिक दर्शकों को भी आकर्षित किया जा सके। (Ramlila-2025)

Ramlila
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अब जंगल में लगेगा डिजिटल तड़का, कॉर्बेट में जंगल की सैर बस एक स्कैन पर

Digital Jungle
Corbett Tiger Reserve
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 JUN 2025 00:48 PM
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Corbett Tiger Reserve : उत्तराखंड के नैनीताल जिले के रामनगर स्थित कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का धनगढ़ी गेट इंटरप्रिटेशन सेंटर अब पूरी तरह डिजिटल हो गया है। जंगल की दुनिया में अब तकनीक की हलचल है न लंबी लाइनें, न मैन्युअल टिकटिंग बस QR कोड स्कैन कीजिए और मोबाइल पर टिकट पाइए। यह पहल डिजिटल इंडिया मिशन (Digital India Mission) के तहत पर्यटकों के अनुभव को आसान, पारदर्शी और कागज-रहित बनाने के मकसद से शुरू की गई है। अब लोग UPI पेमेंट के जरिए डिजिटल टिकट ले सकते हैं, जिससे न केवल समय बचेगा, बल्कि सिस्टम में पारदर्शिता भी आएगी।

अब टिकटिंग हुई स्मार्ट

अब तक इस सेंटर में टिकट मैन्युअली मिलते थे जिससे पर्यटकों को अक्सर लंबा इंतजार करना पड़ता था। लेकिन अब, पर्यटक सेंटर गेट पर लगे QR कोड को स्कैन कर सीधा UPI से भुगतान करके टिकट मोबाइल पर प्राप्त कर सकते हैं। एंट्री पर तैनात कर्मचारी उस टिकट को स्कैन करके उन्हें अंदर प्रवेश देंगे। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पार्क वार्डन अमित ग्वासाकोटी ने बताया कि,  हर साल यहां करीब 80,000 से ज्यादा पर्यटक आते हैं, जिससे सरकार को करीब 75–80 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त होता है। डिजिटल व्यवस्था के जरिए न केवल पारदर्शिता आएगी बल्कि यह पर्यटकों की यात्रा को भी सुगम बनाएगी। पर्यटक अब एक सप्ताह पहले तक टिकट की अग्रिम बुकिंग भी कर सकते हैं जिससे योजना बनाना और भी सुविधाजनक हो गया है।

जानिए टिकट दरें

  • भारतीय नागरिक: ₹100
  • विदेशी नागरिक: ₹200
  • 12–18 वर्ष के बच्चे: ₹25
  • छात्र (ID कार्ड के साथ): ₹50
  • वरिष्ठ नागरिक: ₹50

देश का पहला डिजिटल वन्यजीव इंटरप्रिटेशन सेंटर

यह भारत का पहला वन्यजीव इंटरप्रिटेशन सेंटर है, जो पूरी तरह डिजिटल है और यहां बाघ, तेंदुआ, हाथी, भालू, हिरण समेत कई वन्यजीवों के बारे में जानकारी रोचक तरीके से दी जाती है। यहां मौजूद 36 सीटों वाला 3D थिएटर जंगल का अनुभव ऐसा कराता है जैसे आप असल में जंगल में ही हों। स्क्रीन पर वन्यजीवों से लेकर, जंगल की ध्वनियों तक — सब कुछ इतना जीवंत दिखता है कि बच्चे और बड़े, सभी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।

सेल्फी जोन और साउंड इफेक्ट्स

यहां बना सेल्फी जोन पर्यटकों के लिए एक खास आकर्षण है, जहां बाघ और पक्षियों की आकृतियों के साथ फोटो लेना एक यादगार अनुभव बन जाता है। इसके अलावा, रात के जंगल की ध्वनियों को सुनने का विशेष अनुभव भी सेंटर में शामिल किया गया है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का यह कदम न केवल पर्यटन को आधुनिक बना रहा है, बल्कि यह डिजिटल उत्तराखंड और डिजिटल इंडिया की दिशा में एक प्रेरणादायक मिसाल भी पेश कर रहा है। Corbett Tiger Reserve

हिमाचल में कुदरती आफत से हाहाकार, सीएम ने पर्यटकों से की ये अपील

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Summer Special : नैना देवी मंदिर से ही है नैनीताल की खूबसूरती

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Summer Special: The beauty of Nainital is from Naina Devi temple only
locationभारत
userचेतना मंच
calendar08 JUN 2023 09:57 AM
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Summer Special :   सैय्यद अबू साद Summer Special : उत्तराखंड के नैनीताल शहर में इस समय टूरिस्ट का मेला लगा हुआ है। हालात यह हैं कि यहां न गाड़ी पार्क करने की जगह बची है और न ही होटल का रूम आसानी से मिल रहा है। फिर भी टूरिस्ट किसी न किसी तरह नैनीताल की खूबसूरती को निहारने के लिए यहां चले आ रहे हैं। यदि आप भी नैनीताल जाएं, तो यहां के पिकनिक स्पॉट पर घूमने से पहले नैना देवी मंदिर में दर्शन अवश्य कर लें। नैना देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां पर माता सती की आंखें गिरी थी, इसलिए यहां देवी की आंखों के रूप की पूजा की जाती है। जितना खूबसूरत नैनीताल है उतना ही सुंदर नैना देवी का यह मंदिर भी है। यहां दूर दूर से लोग मन्नत मांगने भी आते हैं। यहां मांगी मन्नत माता जरूर पूरी करती हैं। इसलिए नैनीताल की खूबसूरती को निहारने की शुरु सबसे पहले नैना देवी मंदिर में माता का आशीर्वाद लेकर ही करें।

Summer Special :

  माता सती के आंसू धार से बनी नैनी झील नैना देवी मंदिर नैनीताल में नैनी झील के उत्तरी किनारे पर स्थित है। यहां माता सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां पर माता सती के नेत्र गिरे थे, जिनके आंसू धार से नैनीताल झील बनी थी, तभी से यहां नैना देवी की आंखों के रूप की पूजा की जाती है। नैना देवी मंदिर में मुख्य रूप से नैना देवी के आंखों के रूप की पूजा की जाती है, इसके अलावा यहां पर माता काली, गणेश भगवान और हनुमान जी की भी मूर्तियां है। वैसे तो यहां देश भर से श्रद्धालुओं की आई भीड़ लगी ही रहती है, लेकिन नंदा अष्टमी के समय भक्त माता को प्रसन्न करने के लिए काफी संख्या में यहां आते हैं। मंदिर कमेटी द्वारा नंदा अष्टमी के 8 दिनों में यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है। [caption id="attachment_94159" align="aligncenter" width="800"]Summer Special: The beauty of Nainital is from Naina Devi temple only Summer Special: The beauty of Nainital is from Naina Devi temple only[/caption] मंदिर का रहस्य नैना देवी मंदिर माता का चमत्कारी मंदिर है। इस मंदिर से कई भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है। माता ने सच्चे मन से आए अपने किसी भी भक्तों को निराश नहीं किया है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, सत-युग में, सती (मां पार्वती) दक्ष प्रजापति की बेटी थीं और वह भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं। दक्ष प्रजापति भगवान शिव से नफरत करते थे। और वो सती का विवाह भगवान शिव से नही करना चाहते थे। सती ने दक्ष की इच्छा के विरुद्ध भगवान शिव से विवाह किया, तो उन्होंने शिव से बदला लेने के लिए एक यज्ञ किया और सभी देवताओं को आमंत्रित किया। अपमान करने के लिए भगवान शिव और सती को आमंत्रित नही किया। माता सती पिता प्रेम में आमंत्रण ना होने के कारण भी उस यज्ञ पर पहुंची आमंत्रण ना होने के कारण उनके पिता दक्ष प्रजापति ने वहां उपस्थित सभी देवी देवताओं के सामने उनका और भगवान शिव का अपमान किया सभी के सामने अपमान होने के कारण माता सती ने यज्ञ जल्द ही अग्नि में कूदकर आत्मदाह कर लिया। यहां गिरीं माता के नैन इसके बाद जैसे ही भगवान शिव को इस बारे में पता चला तो शिव क्रोधित हो गय और उन्होंने दक्ष का सिर काट दिया। वह सती के शरीर को लेकर कैलाश पर्वत की ओर चल पड़े। माता सती के शरीर के अंग रास्ते में जहां-जहां गिरे वे स्थान अब शक्तिपीठ के नाम से जाने जाते हैं। कहा जाता है कि नैनीताल के नैना देवी मंदिर में माता सती की आंखे गिरी थी। इसलिए उस स्थान पर नैना देवी का मंदिर बनाया गया और मंदिर के नाम से ही उस जगह का नाम नैनीताल पड़ा। Summer Special: The beauty of Nainital is from Naina Devi temple only मंदिर के नजदीक हैं पर्यटक स्थल नैनीताल घूमने आने वालों टूरिस्ट भी नैना देवी के दर्शन करके जाते हैं नैना देवी मंदिर के साथ-साथ आप यहां पर नैनीताल झील में वोटिंग कर सकते हैं। इसके अलावा नैनीताल में भोटिया मार्केट में घूम सकते हैं, जहां आपको काफी कुछ चीजें मिल जाएंगी जिसमें की कुमाऊं की फेमस मिठाई, अल्मोड़ा की बाल मिठाई, सिंगोड़ी शामिल हैं। इसके नजदीक स्थित नैनीताल झील, चिड़ियाघर, सेवेंट प्वाइंट, तिब्बती मार्केट, माल रोड आदि मुख्य पर्यटक स्थल हैं। जहां आप घूम सकते हैं।

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