Kolkata: कोलकाता(Kolkata) में आज गंगा जल को लेकर बड़ी बैठक होने वाली है। माना जा रहा है कि बांग्लादेश इस बैठक में भारत के सामने गंगा जल के लिए गिड़गिडाता नज़र आएगा क्योंकि भारत-बांग्लादेश के बीच गंगा जल के बंटवारे का समझौता 30 साल पुराना है। 1996 में बांग्लादेश कि प्रधानमंत्री शेख हसीना थी और उन्होनें भारत के साथ यह समझौता किया था और अब अगले साल इसकी समय सीमा खत्म हो रही है। इसी समझौते को रीन्यू करने के लिए बांग्लादेश गुहार लगा रहा है। आज भारत-बांग्लादेश कि संयुक्त नदी आयोग की 86वीं बैठक में आगे की बात होगी।
30 साल पुराना है भारत-बांग्लादेश का समझौता
भारत-बांग्लादेश का गंगा जल बंटवारा 30 साल पुराना है। 1996 में दोनों देशो के बीच फरक्का समनझौता हुआ था और शेख हसीना नें इस समझौते पर भारत के साथ हस्ताक्षर किये थे। इस समझौते कि समय सीमा अगले साल खत्म हो रही है। अब बांग्लादेश इस समझोते को रीन्यू करने के लिए भारत के सामने गुहार लगा रहा है जिससे उसे गंगाजल मिलता रहे। बांग्लादेश के प्रतिनिधिमंडल पानी का बहाव और इसके प्रवाह का आंकलन करने के लिए फरक्का पहुंचे। इस संयुक्त नदी आयोग में भारत, बांग्लादेश समेत पश्चिम बंगाल सरकार के सदस्य शामिल है।बता दें कि दोनों देशो के टेक्निकल एक्सपर्ट कि संयुक्त समिति कि इस बैठक में 30 साल पुराने समझौते पर बात होगी।
बांग्लादेशी प्रतिनिधिमंडल जायजा लेनें पहुंचा फरक्का बैराज
जेआरसी के सदस्य मोहम्मद अबुल हुसैन बांग्लादेश प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे है। बांग्लादेश के प्रतिनिधिमण्डल हाल ही मे गंगा के पानी का प्रवाह और इसका बांग्लादेश मे बहाव देखने फरक्का बैराज पहुंचे थे। सीमा पर की नदियो से संबन्धित मुद्दो के लिए बांग्लादेश मे हर साल एक बार आयोग की बैठक होती है। गंगा जल बंटवारा पश्चिम बंगाल के लोगो के लिए भी काफी अहम है क्योंकि फरक्का बैराज से छोड़ा गया पानी नदी के किनारे रहने वाले लोगो केएस रहन-सहन और कोलकाता के बंदरगाह की क्षमता को बनाए रखने के लिए अहम है। दोनों देश 54 नदियों का जल साझा करते है। भारत-बांग्लादेश संयुक्त नदी आयोग कि स्थापना 1972 में हुई थी। इस संधि पर 12 दिसंबर 1996 में बांग्लादेश द्वारा हस्ताक्ष किये गए थे। Kolkata:
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