Bihar Caste Census देश में जातीय गणना की मांग काफी समय से चल रही है। कई राज्यों में इसका प्रयास भी किया गया जिसमें सफलता नहीं मिली। इस क्रम में जातीय गणना करवाने में बिहार ने सफलता प्राप्त कर लिया है। बिहार सरकार ने जातीय गणना की रिपोर्ट 2 अक्टूबर को जारी कर दी है। बिहार में जातीय गणना की सफलता के बाद यूपी सहित देश के अन्य राज्यों में गणना का दबाव बढ़ गया है। यूपी में भी राजनीतिक पार्टियों को इस जातीय गणना के आने के बाद एक हथियार मिल गया है। अब राजनीतिक पार्टियां यूपी सरकार पर भी अपना दबाव बनाएंगी ताकि वे अपने यहां भी जातीय गणना करवाएं। बिहार में हुए जनगणना के मुताबिक बिहार में सबसे ज्यादा आबादी पिछड़ा वर्ग और अत्यंत पिछड़ा वर्ग की है। रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में 27.12% पिछड़ा वर्ग और 36% आबादी अत्यंत पिछड़ा वर्ग की है। दोनों को जोड़ दें तो इनकी संख्या 63% हो गई है।
वर्तमान स्थिति
जबकि दूसरी तरफ वर्तमान समय में स्थिति में बिहार में अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) को 18% और पिछड़ा (OBC) को 12% आरक्षण दिया जा रहा है। यानी ईबीसी और ओबीसी को मिलाकर 30% के रिजर्वेशन का प्रावधान है।
Bihar Caste Census
बिहार में ताजी गणना के बाद असंतुलन दिखा
कल जारी सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक बिहार की जनसंख्या 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 है। इसमें 2 करोड़ 83 लाख 44 हजार 160 परिवार हैं। जिसमें अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36%, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) 27% हैं। वहीं जातियों में सबसे ज्यादा 14.26% यादव हैं। ब्राह्मण 3.65%, राजपूत (ठाकुर) 3.45% हैं। सबसे कम संख्या 0.60% कायस्थों की है। इस गणना के बाद पहले और अब के ईबीसी और होबीसी के रिजर्वेशन में असंतुलन दिख रहा है।
नीतीश ने बुलाई सर्वदलीय बैठक
चिरप्रतिक्षित जातीय गणना के बिहार के आंकड़े जारी होने के बाद अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इसमें 9 दलों के नेताओं को आमंत्रित किया गया है। यह बैठक सीएम सचिवालय के संवाद कक्ष में होगी। इसमें सभी दलों के नेताओं को जाति आधारित गणना के आंकड़ों के बारे में विधिवत जानकारी दी जाएगी। इससे पहले गणना जारी होने के बाद मुख्यमंत्री ने बताया था कि 9 पार्टियों की सहयोग और राय से जाति आधारित गणना का काम पूरा हुआ है। सोमवार को एक कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि सारी पार्टियों के सामने गणना संबंधी सारी बातें रखी जाएंगी।
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आर्थिक स्थिति का भी पता चलेगा
आज की ऑल पार्टी मीटिंग में आंकड़ों पर प्रजेंटेशन रखा जाएगा। सबकी राय लेकर आगे कदम उठाएंगे। बैठक में सभी डाटा को दिखाया जाएगा। इसके आधार पर निर्णय लिए जाएंगे। जातीय गणना के साथ-साथ एक-एक परिवार की आर्थिक स्थिति की जानकारी ले ली गई है, उसकी रिपोर्ट भी जारी होगी। अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या बढ़ी है, उनको भी फायदा होगा। सबको लाभ मिले। इसको लेकर बैठक में एक-एक चीज को रखी जाएगी। सभी डाटा वैज्ञानिक तरीके से जमा किया गया है, धीरे- धीरे इन्हें जारी किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा है कि जाति आधारित गणना की रिपोर्ट का प्रजेंटेशन होने के बाद काम आगे बढ़ाने को लेकर निर्णय होगा। एक-एक बात सबके सामने रखना जरूरी है। इसके बाद बेहतर करने की कोशिश करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
बिहार सरकार ने सोमवार को जातीय गणना के आंकड़े जारी किए। और इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को एक याचिका दायर की गई, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। हालांकि कोर्ट ने कहा है कि वह अभी इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं करेगा। 6 अक्टूबर को मामला सुनवाई के लिए लगा है, उसी समय दलील सुनी जाएगी। याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि, बिहार सरकार ने पहले जातिगत जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक न करने की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका के आने के बाद उप्र सहित देश के अन्य भागों पर भी जातीय गणना का दबाव बढ़ेगा।
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