Divorce Rate in India- भारत एक ऐसा देश है जहां पर हमेशा रिश्तो को जोड़कर चलने के संस्कार सिखाए जाते हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी रिश्तो को निभाना ही हमारी संस्कृति है। शायद इसी संस्कार, संस्कृति एवं सभ्यता का नतीजा है कि हमारे भारत देश में तलाक की दर (Divorce Rate in India) दुनिया के अन्य सभी देशों के मुकाबले में बहुत कम है। यहां शादी को सात जन्मों का बंधन माना जाता है। ऐसे में पहले ही जन्म में जीवन साथी से अलग हो जाना, भारतीयों के लिए एक बहुत बड़ी बात होती है। भारत देश में पति पत्नी के रिश्ते में बात तलाक तक तब पहुंचती है जब और कोई रास्ता नहीं बचता है।
आज के दौर में भारतीय दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं। हर क्षेत्र में भारतीय दुनिया के हर देशों को मुकाबला दे रहे हैं। आधुनिकता की दौड़ में भी देश काफी आगे निकल गया है। आज के बदलते युग में युवाओं के खुले विचारों का सम्मान किया जा रहा है, लेकिन इस बदले हुए दौर में भी एक चीज नहीं बदली है तो वह है देश में शादी की पवित्रता और उसका महत्व। आज के बदले हुए दौर में भी हम भारतीय शादी के पवित्र बंधन की महत्वता को नहीं भूले हैं और इसे सात जन्मों का बंधन मानते हैं।
हम अपने रिश्तो को बेहद महत्व देते हैं शायद यही कारण है कि भारत में तलाक दर मात्र एक प्रतिशत है। यह आंकड़ा इसलिए भी गौरवान्वित करने वाला है, क्योंकि कई विकसित देशों में तलाक दर चौकानेवाले स्तर पर पहुंच चुकी है। कुछ ऐसे भी देश है जहां पर 80% से भी ज्यादा तलाक के मामले सामने आते हैं।
तलाक के मामले में सबसे आगे है यह देश-
पूरे विश्व की बात करें तो ग्लोबल डायवोर्स रेट इंडेक्स में सबसे अधिक तलाक दर विकसित देशों में ही देखने को मिले हैं। तलाक के मामले में लक्जमबर्ग देश सबसे आगे है। इस देश की तलाक दर 87% है। बेहतरीन अर्थव्यवस्था व मानव विकास सूचकांक वाला ये देश रिश्तो को निभाने के मामले में बेहद पिछड़ा हुआ है। अमेरिका और रूस भी तलाक लेने के मामले में बेहद आगे हैं। अमेरिका का तलाक दर 46% व रूस का तलाक दर 51% है। स्पेन में 65%, फ्रांस में 55%, तुर्की में 22% व मेक्सिको में 15% तलाक के मामले देखने को मिलते हैं।
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