Tuesday, 23 April 2024

Economical Crisis- श्रीलंका से पहले ये देश भी हो चुके हैं आर्थिक तंगी का शिकार, झेलनी पड़ी थी ये मुश्किलें

Economical Crisis- भारत के पड़ोसी मुल्क श्रीलंका (Sri lanka) में इस समय आर्थिक तंगी (Economical Crisis) के हालात चल रहे…

Economical Crisis- श्रीलंका से पहले ये देश भी हो चुके हैं आर्थिक तंगी का शिकार, झेलनी पड़ी थी ये मुश्किलें

Economical Crisis- भारत के पड़ोसी मुल्क श्रीलंका (Sri lanka) में इस समय आर्थिक तंगी (Economical Crisis) के हालात चल रहे हैं। आलम यह हो गया है कि रोजमर्रा के जरूरत की चीजों के दाम भी आसमान की ऊंचाइयों को छू रहे हैं। लोग सड़कों पर आ चुके हैं लूटपाट की स्थिति बनी हुई है।

श्रीलंका (Sri lanka) में इस समय हालात ऐसे हो गए हैं कि अनाज दूध जैसी जमीनी स्तर पर जरूरत के सामानों की कीमतें भी आसमान की ऊंचाइयों को छू रहे हैं। किल्लत इस तरह से बढ़ गई है कि हर एक दुकान के सामने लंबी लंबी लाइनें लगी है। बेसिक सामानों की बढ़ती कीमतों की वजह से लोग सड़क पर आ गए हैं और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। हर जगह दंगे जैसे हालात हो गए हैं।

सरकार द्वारा लिए गए गलत आर्थिक फैसलों सस्ते ब्याज व मुफ्त में दी जा रही स्कीमों की वजह से आज श्रीलंका में यह हालात पैदा हुए हैं। श्रीलंका के ऊपर 50 बिलियन डालर के करीब विदेशी कर्ज हो चुके हैं, जिसकी वजह से देश में आर्थिक संकट (Economical Crisis) के हालात पैदा हो गए हैं। खाने पीने में भी हो रही किल्लत लोगों को सड़क पर आने के लिए मजबूर कर रही है। सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जारी है। देश के प्रधानमंत्री को इस्तीफा भी देना पड़ गया है। श्रीलंका की स्थिति पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। श्रीलंका के सामने पहली बार इस तरह के आर्थिक संकट पैदा हुए हैं।

श्रीलंका पहला ऐसा देश नहीं है जहां ऐसी आर्थिक समस्या उत्पन्न हुई है इससे पहले भी कई देश इस तरह की आर्थिक समस्या का सामना कर चुके हैं। आइए जानते हैं वह देश कौन से हैं जो श्रीलंका की तरह आर्थिक समस्या का सामना कर चुके हैं –

अर्जेंटीना (Argentina)

साल 2020 में अर्जेंटीना के हालात भी बहुत खराब हो गए थे। विदेशी निवेशकों ने एक साथ अपने पूरे रकम मांगने शुरू कर दिए। बैंक और वित्तीय संस्थाओं ने हाथ खड़े कर दिए। जिसकी वजह से देश की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब हो गई। इससे पहले साल 2001-2 में भी अर्जेंटीना में आर्थिक तंगी आ चुकी थी, जिससे संभलने में देश को काफी वक्त लगा था, जैसे ही हालात में थोड़े सुधार हुए एक बार सिर्फ देश के सामने मुश्किलें खड़ी हो गई।

वेनेजुएला (Venezuela)-

साल 2017 में वेनेजुएला (Venezuela) देश में भी श्रीलंका जैसे हालात हो गए थे। देश के ऊपर विदेशी कर्ज काफी बढ़ गया था, जिसकी वजह से यहां की करेंसी की हालत बहुत बुरी हो गई थी। यहां के हालात इतने खराब हो गए थे कि एक कप कॉफी के लिए भी लोगों को 25 लाख बोलिवर की कीमत चुकानी पड़ती थी। दूधऔर अनाज जैसी बेसिक जरूरतों के लिए लोगों को बोरी बोरी भर के नोट देने पड़ते हैं।

ग्रीक (Greece)-

साल 2001 में ग्रीस (Greece) ने यूरो को अपनी करेंसी के रूप में अपनाया था जिसके बाद रातों-रात देश की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई। इकोनामी लगातार गिरने लगी और साल 2004 तक पहुंचते-पहुंचते देश बड़े कर्ज में डूब गया। ग्रीस अभी इन हालात से लड़ ही रहा था कि साल 2008 में दुनिया भर में आई आर्थिक मंदी ने ग्रीस को और भी ज्यादा संकट में डाल दिया। देश को दिवालियापन से निकलने में कई साल लग गए।

आइसलैंड (Iceland)-

यूरोपीय देश आइसलैंड (Iceland) भी साल 2008 में फाइनेंसियल रूप से बहुत ही कमजोर हो गया था। देश के 3 बैंकों का लगभग 85 बिलियन डॉलर का कर्ज वापस नहीं आया। आर्थिक तंगी बढ़ने की वजह से लोगों की नौकरियां जाने लगी थी और देश में महंगाई आसमान को छूने लगेगी। यह स्थिति साल 2008 में विश्व भर में आई आर्थिक तंगी की वजह से हुई थी। आर्थिक मंदी की वजह से लोगों की नौकरियां छीनने लगी थी और इससे लोगो ने बैंक से जो कर्ज लिए थे वो वापस नहीं कर पाए। और देखते ही देखते देश के तीन बैंक दिवालिया हो गए। आइसलैंड को इस आर्थिक तंगी से निपटने में कई साल लग गए। साल 2013 में जाकर हालात कुछ सही हुए।

रूस (Russia)-

साल 1998 में रूस में भी दिवालियापन के हालात पैदा हो गए थे। इसकी शुरुआत साल 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद से शुरू हो गई थी। सोवियत संघ के विघटन के बाद उसपर लगातार कर्ज बढ़ने लगा, जिसकी वजह से साल 1998 में रूस में आर्थिक संकट पैदा हो गया। यहां पर शेयर बाजार (Share Market) पूरी तरह से क्रैश हो गया था। रूस की आर्थिक तंगी का असर एशिया, अमेरिका, यूरोप और बाल्टिक देशों पर भी हुआ था।

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मैक्सिको (Maxico)-

साल 1994 में मेक्सिको की सरकार ने डॉलर के मुकाबले अपनी करेंसी का 15% अमूल्यन किया जिसकी वजह से देश के हालात काफी बिगड़ गए थे। विदेशी निवेशकों में अफरा तफरी मच गई और उन्होंने मैक्सिको की मार्केट से अपने निवेश निकालने शुरू कर दिए। हालात इतने खराब हो गए कि देश पर 80 बिलियन डॉलर का कर्ज चल गया। अमेरिका, कनाडा और लैटिन अमेरिकी देशों द्वारा मेक्सिको को इस संकट से निकालने के लिए बेलआउट पैकेज दिया गया। तब जाकर मेक्सिको को इस आर्थिक संकट से उबरने में मदद मिली।

इन सब देशों के अलावा साल 1840 में अमेरिका देश इनके कुछ राज्यों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था। राज्य में नहरों के निर्माण के लिए कई प्रोजेक्ट्स की शुरुआत की गई थी। इन प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 80 मिलियन डॉलर का कर्ज लेना पड़ा था जिसकी वजह से देश के कई राज्यों में आर्थिक संकट की समस्या शुरू हुई थी और अमेरिका के 19 राज्य कर्ज के जाल में बुरी तरह से फंस गए थे।

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