Love Story In Mahakumbh : इस साल महाकुंभ में एक से एक बातें देखने को मिल रही हैं जो चारों ओर चर्चा का विषय बन जा रही हैं। अब एक भारतीय युवक ने सात समुंदर पार ग्रीस की अपनी प्रेमिका से महाकुंभ में ठीक गणतंत्र दिवस के दिन पूरे वैदिक रीति से विवाह कर लिया। इस सिद्धार्थ नाम के भारतीय युवक ने अपनी ग्रीक प्रेमिका पेनेलोपे से महाकुंभ मेला में पारंपरिक वैदिक विधि से शादी की। इस अवसर पर दुल्हन के परिवार और रिश्तेदार भी मौजूद थे। यह शादी एक अद्वितीय और धार्मिक अनुभव बन गई, जो दोनों के लिए जीवनभर की यादगार बन गई। सिद्धार्थ और पेनेलोपे की शादी का समारोह महा कुंभमेला में हुआ, जो कि भारत के सबसे बड़े धार्मिक मेलों में से एक है। शादी की विधि को पूर्ण रूप से पारंपरिक वेदिक रीति से संपन्न किया गया। कन्यादान का कार्य स्वामी यतिंद्रानंद गिरी, जो कि जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं ने किया। महाकुंभ जैसा धार्मिक समागम और जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर द्वारा कन्यादान किया गया और सारे रश्म रिवाज वैदिक रीति से किया जाना अपने आप में एक बहुत बड़ी घटना है, जो इस महाकुंभ में देखने को मिली।
महाकुंभ को सर्वाधिक पवित्र स्थान समझकर चुना
सिद्धार्थ ने बताया कि हम दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हैं और शादी करना चाहते थे। जब हम दोनों ने शादी का निर्णय लिया, तो हम चाहते थे कि यह शादी सरल और दिव्य तरीके से हो और इसके लिए हमने प्रयागराज और महाकुंभ को सही जगह और मौका समझकर चुना। यह जगह न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में सबसे अच्छी जगह है, जहां सभी प्रकार की दिव्यता और तीर्थ स्थल हैं। यहां हम महान आत्माओं से मिलते हैं, और स्वामी जी से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, जो हमारे दिल और आत्मा को शांति देता है। ऐसे महान धार्मिक अवसर पर इस पवित्र कार्य को करना हमें सर्वथा उचित लगा और हमने यहां पर शादी किया।
विवाह की धार्मिक महत्ता
सिद्धार्थ ने विवाह के महत्व के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि विवाह एक पवित्र संस्था है, जो हमें यह समझाने में मदद करता है कि पुरुष और महिला एक-दूसरे के पूरक होते हैं, दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे होते हैं। प्राचीन परंपराओं का पालन करना कोई बुरी बात नहीं है, और इसलिए हमने आज इस वैदिक तरीके से शादी करने का निर्णय लिया। धार्मिक दृष्टि से यह स्थान सर्वाधिक पवित्र और धर्ममय था, ऐसे स्थान महाकुंभ में विवाह करना विवाह के धर्मसम्मत होने का अटूट प्रमाण है।
आध्यात्मिक तरीके से किया गया विवाह
पेनेलोपे ने बताया कि वह अपने जीवन में शांति और उद्देश्य की तलाश में थीं, और अंतत: उन्होंने सनातन धर्म को अपनाया। उन्होंने कहा, हर चीज सनातन धर्म से आती है, और यही वह रास्ता है जो मुझे सही दिशा में ले जाता है। पेनेलोपे, जिन्होंने बौद्ध धर्म से हिंदू धर्म में परिवर्तन किया, इस शादी को जादुई और अवर्णनीय बताया। उन्होंने कहा, जो कुछ भी आज हुआ, वह शब्दों से परे था। जब मैं कुछ तस्वीरें देखती हूं, तो मुझे महसूस होता है कि हम दिव्य ऊर्जा का अनुभव कर रहे थे। यह एक आध्यात्मिक तरीके से किया गया विवाह था, और यह अद्भुत था। इस विवाह ने हमें एक अद्भुत उर्जा से भर दिया था, तभी हम विवाह करने में चरम सुख का अनुभव प्राप्त कर सके।
वैदिक रीति से विवाह करना अपने आप में अलौकिक
सनातन परंपरा में वैदिक रीति से विवाह करना अपने आप में अलौकिक है और कम ही लोगों को यह नसीब हो पाता है। अब विवाह हो जाने के बाद पेनेलोपे ने बताया कि वह 29 जनवरी को प्रयागराज में पवित्र स्नान करने की योजना बना रही हैं। उन्होंने कहा, यह मेरे लिए एक अर्थपूर्ण और सुखमय जीवन जीने का तरीका है, जो जन्म और मृत्यु के चक्र से बाहर निकलने में मदद करेगा। इस प्रकार, सिद्धार्थ और पेनेलोपे की शादी न केवल एक सुंदर मिलन थी, बल्कि यह धार्मिक और आध्यात्मिक यात्रा का भी प्रतीक बन गई।
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