Saturday, 20 April 2024

Manipur Violence: अफीम की खेती के लिए हो रही मणिपुर में हिंसा ?

Manipur Violence: मैतेई और आदिवासी समुदायों के बीच हुए हालिया हिंसक संघर्ष के बाद मणिपुर से लगभग 6000 लोग मिजोरम…

Manipur Violence: अफीम की खेती के लिए हो रही मणिपुर में हिंसा ?

Manipur Violence: मैतेई और आदिवासी समुदायों के बीच हुए हालिया हिंसक संघर्ष के बाद मणिपुर से लगभग 6000 लोग मिजोरम भाग गए हैं ,और मिजोरम के कई जिलों में शरण ले ली है । इनमें  कुकी समुदाय के लोग हैं जो अस्थाई राहत शिविरों में रह रहे हैं। मणिपुर हिंसा में अब तक 73 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 35 हज़ार लोग बेघर हो चुके हैं । मैतेई समुदाय के लोग भी बड़ी संख्या में बेघर हुए हैं जो शिविरो में शरण ले रहे हैं । जारी हिंसा के बीच मणिपुर के आदिवासी विधायकों ने सरकार पर उनकी सुरक्षा न कर पाने का आरोप लगाया है और अब वह अपने लिए अलग प्रशासन की मांग करने लगे हैं। 10 आदिवासी कुकी विधायकों ने अलग प्रशासन की मांग करते हुए कहा है कि इस हिंसा के बाद वे लोग मैतई समुदाय के साथ नहीं रह सकते हैं।

विवाद की असल वजह क्या है ?

आपको बताते हैं कि इस विवाद की असल वजह क्या है ? और मैतई समुदाय जिसकी वजह से हिंसा भड़कने का आरोप है उनका क्या कहना है। आरोपों के घेरे में आए मैतई समुदाय के लोग बता रहे हैं कि दरअसल एसटी दर्जा तो बहाना है हिंसा की वजह कुछ और ही है। हिंसा की असल वजह है अफीम की खेती पर सरकार का कड़ा प्रहार।ड्रग्स के खिलाफ  अभियान के तहत मणिपुर में भी अफीम की खेती को नष्ट करने और जंगलों में इसकी खेती करने वाले किसानों को दूसरे स्थानों पर बसाने का काम शुरू हुआ था। एन बीरेन सिंह सरकार ने अफीम की खेती के खिलाफ लड़ाई को पहाड़ी गांवों में चलाया जहां इसे उगाया जाता है। यह मुख्यमंत्री का एक प्रमुख चुनावी वादा भी था। मैतई समुदाय के लोगों का कहना है कि कुकी मणिपुर के पारंपरिक निवासी नहीं है। यह लोग burma-myanmar से यहां आकर बसे थे। कुकी मंगोली नस्ल की वनवासी जाति है। मैतेई समुदाय का कहना है कि कुकी यहां के मूल आदिवासी ना होने के बावजूद भी उन्हें एसटी का दर्जा और अन्य सुविधाएं प्राप्त है। मैतई समुदाय का कहना है कि कुकी समुदाय के अधिकांश लोग अफीम की खेती में लिप्त है, और अफीम की खेती पर सरकार का शिकंजा कसने के बाद दरअसल वह एसटी दर्जे के विरोध की आड़ में सरकार पर अपना गुस्सा उतार रहे हैं।

हिंसा की असल वजह है अफीम की खेती: नबकिशोर सिंह युमनाम,राष्ट्रीय प्रवक्ता विश्व मैतेई काउंसिल

मैतेई काउंसिल

सरकारी आंकड़ों के अनुसार अफीम की खेती पहाड़ी जिलों में की जाती है, जिनमें से कई पर कुकी जनजातियों का प्रभुत्व है। मैतई और अन्य जनजातियो ने पहले भी आरोप लगाया था कि कुकी जनजातियां अवैध अफीम उगा रही हैं। मैतेई काउंसिल के प्रवक्ता नबकिशोर सिंह युमनाम का कहना है कि कुकी द्वारा यह बात फैलाई जा रही है कि सभी जगह मैतई का वर्चस्व है जबकि ऐसा नहीं है कई बड़े पदों पर कुकी भी आसीन है।  प्रदेश के डीजीपी भी कुकी  है। जबकि कुकी समुदाय का कहना है कि मैतई जो कि बहुसंख्यक आबादी है पहले से ही संसाधनों का लाभ ले रहे हैं और उन्हें आदिवासी दर्जा मिल जाने के बाद कुकी आदिवासी समुदाय के लिए शिक्षा, नौकरी और शिक्षण संस्थानों में दाखिले में मौके कम हो जाएंगे। साथ ही वे आदिवासी संरक्षित क्षेत्र में जमीने भी खरीद लेंगे। राज्य पर  उनका पूरी तरह वर्चस्व हो जाएगा।

Manipur Violence: कुकी विधायक मांग रहे अलग प्रशासन 

विवाद के असल कारण को समझने से पहले हमें मणिपुर के सामाजिक ताने-बाने को समझना होगा मणिपुर की आबादी लगभग 30 से 35 लाख है यहां तीन मुख्य समुदाय हैं मैतई, नगा और कुकी । मैतई समुदाय अधिकांश हिंदू हैं। नगा और कुकी ज्यादातर ईसाई और कुछ संख्या  मुस्लिम है। नागा और कुकी को जनजाति का दर्जा मिला हुआ है। आबादी का 53 फ़ीसदी हिस्सा मैतई है । यानी वो मेजॉरिटी समुदाय है। 24 फ़ीसदी नागा और 16 परसेंट कुकी है। राजनीति की बात करें तो राज्य के 60 विधायकों में से 40 मैतई हैं । वर्तमान में मणिपुर में बीजेपी की सरकार है और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह मैतई समुदाय से हैं ।अब तक हुए 12 मुख्यमंत्रियों में से केवल दो ही आदिवासी मुख्यमंत्री हुए हैं। मैतई समुदाय की मांग थी कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए।

मणिपुर के भारत में विलय से पहले मैतई को जनजाति का दर्जा मिला हुआ था

क्योंकि मणिपुर के भारत में विलय(15 अक्टूबर 1949) से पहले मैतई को जनजाति का दर्जा मिला हुआ था। लेकिन कुकी आदिवासियों का कहना है कि मैतई जनसंख्या में भी ज्यादा है और राजनीति में भी उनका दबदबा है ऐसे में अगर मैतई को एसटी का दर्जा मिलता है तो उनके लिए मौके और कम हो जाएंगे।

कोर्ट के आदेश के बाद उठा विवाद

मणिपुर हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से कहा कि वह मैतई समुदाय को एसटी दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करें। और इसके बाद कुकी आदिवासी और मैतई समुदाय में झड़प शुरू हो गई ,जो अब तक जारी हैं।

अंशु नैथानी

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