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lang="en-US"> पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर श्रद्धालुओं को देता है चार धामों का फल, स्कंद पुराण में है इसका व्याख्यान - चेतना मंच
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पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर श्रद्धालुओं को देता है चार धामों का फल, स्कंद पुराण में है इसका व्याख्यान

भारत की पावन भूमि पर कई स्थान पौराणिक मान्यताओं से जुड़े है। वैसे भी दुनिया में भारत को तीर्थस्थली के नाम से जाना जाता है। कई मंदिर देश और दुनिया में अलग पहचान बनाए हुए है, जिनमें से एक उत्तराखंड के पिथौरगढ़ जिले में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर हरे भरे वातावरण से चार चांद लगा रहा है। समुद्र तल से 90 फीट नीचे मंदिर में जाने के लिए संकरी रास्तों से गुजरना पड़ता है। मान्यता के अनुसार मंदिर के महत्व का वर्णन स्कंद पुराण में किया गया है। श्रद्धालों को जाने के लिए हर जगह से यातायात व्यवस्था उपलब्ध मिल जाएगी। बस यात्रा करने वाले श्रद्धालु गंगोलीहाट पहुंचकर 13 किमी दूरी टैक्सी, बस और कार से तय करते है। वहीं रेल मार्ग से जाने के लिए 198 किमी दूरी काठगोदाम, 89 किमी पिथौरगढ़ व 109 किमी अल्मोड़ा रेलवे स्टेशन से मंदिर परिसर के लिए टैक्सी व बस से यात्रा करते है। हवाई यात्रा करने वाले श्रद्धालु 226 किमी पंतनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचकर आगे की यात्रा बस से करते है। पौराणिक कथाओं के अनुसार त्रेतायुग में राजा ऋतुपर्णा ने इस गुफा की खोज की थी। नागों के राजा अवशेष ने राजा को दर्शन देकर कहा कि इस मंदिर की खोज करने वाले इंसानों में पहले व्यक्ति आप हो। कहा जाता है कि इस गुफा को त्रेता युग के बाद लुप्त कर दिया था। इसके बाद द्वापर युग में पांडवो ने गुफा की खोज की साथ ही यहां उन्होंने तप भी किया था। पौराणिक कथाओं के मुताबिक कलियुग में इस मंदिर की खोज आदि शंकराचार्य ने आठवीं सदी में की थी। मंदिर में प्रवेश करने से पहले मेजर समीर कटवाल मेमोरियल से गुजरना पड़ता है। इस पर्वत की कलाकृति शौभायमान लगती है। इस मंदिर में चार द्वार हैं जो रणद्वार, पापद्वार, धर्मद्वार और मोक्षद्वार के नाम से जाने जाते हैं। मान्यता के मुताबिक रावण की मृत्यु के बाद पाप द्वार बंद हो गया था। कुरुक्षेत्र की लड़ाई के बाद रण द्वार बंद हुआ था।

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