Site icon चेतना मंच

Ram V.Sutar: मिलिये एक ऐसे जादूगर से ,जो मिट्टी में भी डाल देते हैं जान ….

RAM V SUTAR

RAM V SUTAR

Ram V.Sutar: 98 वर्ष की अवस्था में राम वी सुतार अयोध्या में राम लला की मूर्ति बनाएँगे । इस उम्र में भी अपने काम के प्रति मूर्तिकार राम वी सुतार का जोश वैसा ही है जैसा बरसो पहले था । 200 से अधिक विशालकाय मूर्तियां बना चुके दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति स्टैचू ऑफ यूनिटी को बनाने वाले प्रसिद्ध मूर्तिकार राम वी सुतार का जन्म 19 फरवरी 1925 को महाराष्ट्र के धुले जिले के एक छोटे से गांव  गुंदूर में हुआ था ।

पिता थे कार्पेंटर 

उनके पुरखे गुजरात से थे जो काफी समय पहले महाराष्ट्र में आकर बस गए थे। उनके पिता वन जी हंसराज सुतार कारपेंटर का काम करते थे।  खेती-बाड़ी के लिए कुछ जमीन भी थी । 8 भाई बहनों में राम जी सुतार दूसरे स्थान पर थे । राम जी बचपन से ही अपने दादा के साथ उनके काम में हाथ बटाया करते थे।  उन्हें तस्वीरें बनाने का बहुत शौक था स्कूल में भी उनकी बनाई पेंटिंग की सब तारीफ करते थे । 10 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार अपने अध्यापक के लिए भगवान गणेश की 1 फुट की एक प्रतिमा बनाई थी जिसे बहुत पसंद किया गया।  उन्होंने साबुन पर ऐसी नक्काशी की जो सब देखते रह गए।  उनकी कला से उनके अध्यापक काफी  प्रभावित थे । उनकी पढ़ाई लिखाई आसान नहीं थी।  8 बच्चों के परिवार का गुजारा भी जैसे तैसे होता था । संघर्षों के साथ उनकी पढ़ाई लिखाई चलती रही ।  राम सुतार जी योगा और मलखंभ का अभ्यास भी किया करते थे । जिसने उनके भीतर के कलाकार को अनुशासित किया ।

 शिल्प साधना के लिए कई बार हो चुके हैं सम्मानित

RAM V SUTAR

Ram V.Sutar: पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने श्री राम कृष्ण जोशी के बारे में सुना जो एक प्रसिद्ध ड्राइंग टीचर थे । उनका नाम सुनकर उनके पास पेंटिंग सीखने के लिए चले गए ।  जोशी जी उनसे प्रभावित हुए और उन्हें अपना शिष्य स्वीकार कर लिया।  उनके गुरु जी ने उनके शिवाजी और भवानी  आर्ट वर्क को मुंबई में एक एग्जिबिशन में भेजा, जहां उन्हें सिल्वर मेडल प्राप्त हुआ यह उनका पहला अवार्ड था।  फिर एक दौर ऐसा भी आया जब कला की तरफ ज्यादा झुकाव से उनकी पढ़ाई लिखाई प्रभावित होने लगी, मैट्रिक के इंतिहान के दौरान उनके पिता का भी देहांत हो गया इस सब का नतीजा यह हुआ कि वे परीक्षा में फेल हो गए ।

फेल होने के बाद निराशा में डूबे थे

फेल होने के बाद में निराशा में डूबे थे तब ऐसे में उनके गुरु उनके पास आए और उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी और वो उनके गॉडफादर बन गए । उन्हीं के कहने पर राम सुतार ने  जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स में दाखिला ले लिया और वहां उनकी कला दिन-ब-दिन निखरती चली गई।  गुरु जी ने ही उनकी शिक्षा और रहने का खर्च भी उठाया।

संसद भवन में 18 फीट ऊंची सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति का किया निर्माण

वे  पारंपरिक भारतीय शैली में मूर्तियां बनाते थे धीरे-धीरे कला जगत में उनका बड़ा नाम हो गया उन्होंने एक के बाद एक कई शानदार शाहकार बनाए उसके बाद पैसा , नाम ,शोहरत सब उनकी झोली में आते चले गए लेकिन इससे उनके काम या कला के प्रति उनके समर्पण में जरा भी फर्क नहीं पड़ा। वे अनवरत काम करते रहे और आज भी  98 वर्ष की अवस्था में भी थके नहीं है और हमेशा यही कहते हैं कभी पीछे मत देखो

Ram V.Sutar:  जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स में ली शिक्षा 

Ram V.Sutar: 1959 में वह दिल्ली आ गए और भारत सरकार के सूचना-प्रसारण मंत्रालय में काम करने लगे। इससे पहले वह फ्रीलांस मूर्तिकार के रूप में काम करते थे। दिल्ली के लक्ष्मीनगर में उन्होंने एक स्टूडियो खोला। 1990 से नोएडा में बस गए सुतार ने साहिबाबाद में साल 2006 में अपनी कास्टिंग फैक्ट्री स्थापित की।महात्मा गांधी से बहुत ज्यादा प्रभावित सुतार ने भारतीय ऐतिहासिक धरोहरों को पुनर्स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साल 1954 से 1958 के बीच उन्होंने अजंता और एलोरा की गुफाओं की कई पुरानी नक्काशियों को फिर से स्थापित करने में योगदान दिया। पत्थर की एक ही चट्टान से उन्होंने मध्य प्रदेश में चंबल स्मारक को शानदार तरीके से तराशा। साल 1959 की बात है। भाखड़ा-नांगल बांध बनाने वाले मजदूरों को सम्मानित करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 50 फुट के लेबर स्टैच्यू के शिल्प का काम सुतार को दिया था। यह प्रतिमा 16 जनवरी 1959 को स्थापित की गई, जो आज भी मई दिवस की प्रतिनिधि तस्वीर मानी जाती है।

भारत में आज के ‘विश्वकर्मा’

RAM V SUTAR

सुतार ने भारत में राजनेताओं से लेकर ऐतिहासिक नायकों तक की इतनी मूर्तियों को बनाने में योगदान दिया है कि उन्हें आज का विश्वकर्मा कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। गुजरात में बनी दुनिया की सबसे ऊंची 182 मीटर की मूर्ति राम वी सुतार ने ही तैयार की है। दिल्ली की 10 फीट लंबी गोविंद वल्लभ पंत की कांस्य प्रतिमा, बिहार में कर्पूरी ठाकुर, अनुग्रह नारायण सिन्हा की मूर्ति, अमृतसर में महाराजा रणजीत सिंह की 21 फीट ऊंची प्रतिमा के साथ संसद के अंदर लगी महात्मा गांधी की मूर्ति को भी सुतार ने ही आकार दिया है। संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद के मुख्यालय पर  महात्मा गांधी की प्रतिमा का शिल्प भी राम वनजी सुतार ने किया था। महात्मा गांधी की यह पहली मूर्ति है, जिसे यूएन मुख्यालय में स्थापित किया गया। अयोध्या में लता मंगेशकर को समर्पित लगा चौक पर लगी वीणा की विशाल प्रतिमा भी सुतार ने ही तैयार की है।

अयोध्या में रामलला की प्रतिमा बनाएंगे राम वी. सुतार 

Ram V.Sutar:  रामजी सुतार अयोध्या के बहुप्रतीक्षित राम मंदिर में भगवान राम की रूप प्रतिमा का शिल्प तो करेंगे ही। इसके साथ ही अयोध्या में बनने वाली दुनिया की सबसे ऊंची भगवान राम की मूर्ति को भी बनाने में वह अपने बेटे अनिल सुतार के साथ लगे हैं। इसके अलावा मुंबई में छत्रपति शिवाजी महाराज की 212 मीटर ऊंची और बाबा साहेब की 137.2 मीटर ऊंची प्रतिमा को बनाने में भी वह अपना योगदान दे रहे हैं। कर्नाटक में भगवान शिव की 46.6 मीटर ऊंची मूर्ति को भी सुतार ही तैयार कर रहे हैं।

इन सम्मानों से सम्मानित
राम वी सुतार को उनकी कलात्मक शिल्प साधना को सम्मानित करते हुए साल 1999 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने पद्मश्री से अलंकृत किया था। इसके अलावा उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार और टैगोर कल्चरल अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया है। सुतार बॉम्बे आर्ट्स सोसाइटी की ओर से 3 पुरस्कारों से सम्मानित हुए हैं।

Precious Stones: बांदा के शजर पत्थर को मिला जीआई टैग, पहले मिल चुका है OD-OP का टैग

चेतना मंच को दिए खास इंटरव्यू में राम सुतार जी ने अपने जीवन की कई दिलचस्प बातें बताई हैं ।  देखिए वीडियो

Exit mobile version