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Tariff : ट्रम्प के टैरिफ से भारत के कारोबार पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

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Tariff : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपने दूसरे कार्यकाल की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक नई टैरिफ योजना की घोषणा करने जा रहे हैं। 2 अप्रैल को लागू होने वाले इन टैरिफों से अमेरिका में आयात होने वाले उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगेगा। ट्रम्प प्रशासन का दावा है कि इस कदम से अमेरिकी बाजार को विदेशी वस्तुओं की निर्भरता से मुक्त किया जा सकेगा। हालांकि, इस नीति का व्यापक आर्थिक और कूटनीतिक प्रभाव हो सकता है।

पारस्परिक Tariff : क्या है इसकी वजह?

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट के अनुसार, यह नई नीति उन “अनुचित व्यापार प्रथाओं” को रोकने के लिए लागू की जा रही है, जिनसे अमेरिका को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। उदाहरण के तौर पर, कनाडा अमेरिकी डेयरी उत्पादों पर 250% तक टैरिफ लगाता है। ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि इस तरह की असमान नीतियों के खिलाफ अमेरिका को भी कड़े कदम उठाने चाहिए।

रिपब्लिकन नेताओं का तर्क है कि टैरिफ से अमेरिकी उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने, सरकारी राजस्व बढ़ाने और अन्य देशों से व्यापार में रियायतें लेने में मदद मिलेगी। हालांकि, कई अर्थशास्त्रियों ने आगाह किया है कि इन टैरिफों के चलते वैश्विक बाजार में अस्थिरता आ सकती है।

वैश्विक व्यापार पर असर

अमेरिका द्वारा लगाए गए पारस्परिक टैरिफ से दुनियाभर के उपभोक्ताओं और कंपनियों पर असर पड़ेगा।

भारत पर संभावित प्रभाव

भारत अमेरिका को विभिन्न क्षेत्रों में निर्यात करता है, जिनमें औद्योगिक और कृषि उत्पाद शामिल हैं। इन टैरिफों का भारत पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ सकता है:

कनाडा और मेक्सिको की प्रतिक्रिया

अमेरिका के करीबी व्यापारिक साझेदार कनाडा और मेक्सिको पहले ही इन टैरिफों के खिलाफ अपनी प्रतिक्रिया दे चुके हैं।

 

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