आज अपना 71वां जन्मदिन मना रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने धुर समर्थक और धुर विरोधियों की वजह से लोकप्रियता के ऐसे शिखर पर पहुंच गए हैं जहां आसपास कोई दूसरा नेता नहीं दिखता। आखिर ऐसा क्यों है कि नरेंद्र मोदी के समर्थक और विरोधी, दोनों ही उन्हें उतनी ही शिद्दत से पसंद और नापसंद करते हैं।
असल में नरेंद्र मोदी की यही खासियत उन्हें आम नेताओं से अलग बनाती है। मोदी ने अपने राजनीतिक एजेंडे, विचारधारा या कार्यशैली को लेकर कभी कोई संकोच नहीं दिखाया। इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है।
अपने फैसलों से चौंकाने वाले नेता की छवि
गुजरात में तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के गिरते स्वास्थ्य और सरकार चलाने में असमर्थता के चलते पार्टी ने नरेंद्र मोदी को उप-मुख्यमंत्री बनने का प्रस्ताव दिया। प्रस्ताव भेजने वालों में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी शामिल थे।
मोदी ने इस प्रस्ताव को सिरे से नकार दिया और दोनों ही नेताओं से कहा कि या तो उन्हें पूरी जिम्मेदारी दी जाए या कोई जिम्मेदारी न दी जाए। इससे साफ है कि मोदी किसी भी काम को तब तक अपने हाथ में नहीं लेते, जब तक पूरी बागडोर उनके हाथ में न हो।
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी, 8 नवंबर 2016 की रात अचानक टीवी पर आए और नोटबंदी का एलान कर दिया। कहा जाता है कि इस फैसले के बारे में उनके कैबिनेट के लोगों को भी नहीं पता था।
इसी तरह पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ एयर स्ट्राइक का फैसला रहा हो या 2020 में देश में पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा। नरेंद्र मोदी के इन फैसलों के बारे में मीडिया तो दूर, खुद उनकी पार्टी के नेताओं और मंत्रियों को भी शायद ही पता था। मोदी की इस कार्यशैली के चलते लोग या तो उन्हें बिलकुल पसंद नहीं करते या उनके कायल हो जाते हैं।
हमेशा कुछ नया करने की जुगत में रहने वाले नेता
21वीं सदी में रेडियो के जरिए लोगों तक पहुंचने की बात भला कौन नेता सोच सकता है। नरेंद्र मोदी ने ऐसा ही किया। अपने पहले ही कार्यकाल में रेडियो के जरिए ‘मन की बात’ कार्यक्रम कर बच्चों, युवाओं सहित देश के हर वर्ग से जुड़ने का प्रयास कर दिखा दिया कि उनके सोचने का तरीका थोड़ा अलग है।
हर साल 15 अगस्त को लालकिले से देश को संबोधित करने के मौके पर साफा (पगड़ी) पहन कर आना। भाषण के बाद सीधे बच्चों की भीड़ से घिर जाने की मोदी की अदा हो या कोरोना काल के दौरान दाढ़ी बढ़ाना, ये चीजें मोदी को आम नेताओं से अलग बना देती हैं।
इमेज से कोई समझौता नहीं