स्वर्ण मंदिर में बादल पर हुआ हमला पंजाब को बदनाम करने की साजिश




स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद(Swami Avimukteshwarananda)ने कहा कि महाकुंभ के दौरान उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से गायों की रक्षा के लिए एक विशेष कानून बनाने की मांग की थी। उनका मानना था कि गाय को ‘माता’ का दर्जा देना चाहिए, ताकि उसे संरक्षित किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि सभी राजनीतिक दल गायों के पक्ष में बातें करते हैं, लेकिन असल में कोई भी गोहत्या के बढ़ते आंकड़ों पर चर्चा नहीं करता। स्वामी जी ने आरोप लगाया कि सरकार ने इस मुद्दे पर अनदेखी की है और गायों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। महाकुंभ के आखिरी दिन स्वामी जी ने सरकार को 33 दिनों का समय दिया था, जिसे 33 करोड़ देवताओं का प्रतीक माना गया। उनका यह संदेश था कि यदि सरकार गायों के संरक्षण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाती है तो वे इसे जनता के सामने लाएंगे।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद(Swami Avimukteshwarananda) ने 17 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में गो-रक्षा के लिए एक बड़ा विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया था। इस प्रदर्शन के लिए दिल्ली पुलिस ने स्वीकृति भी दी थी, लेकिन बाद में केंद्र सरकार ने उनके अनुरोध को रद्द कर दिया। स्वामी जी ने कहा कि उनका उद्देश्य केवल जनता के हित में आवाज उठाना था और वे चाहते थे कि राजनीतिक दल इस मुद्दे पर अपनी स्पष्ट राय दें। उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक दल या तो गोहत्या के खिलाफ खड़े हों या फिर चुप रहकर इसे बढ़ने दें। उनका कहना था कि यह देश की आस्था और संस्कृति से जुड़ा मुद्दा है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। स्वामी जी ने कहा कि जब तक सरकार इस मुद्दे पर गंभीर कदम नहीं उठाएगी, तब तक वे इस पर आवाज उठाते रहेंगे।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद(Swami Avimukteshwarananda) के बयान से साफ है कि वे गो-रक्षा के मुद्दे को एक राष्ट्रीय समस्या मानते हैं, जिसे हल करने के लिए सरकार को सख्त कदम उठाने होंगे।Swami Avimukteshwarananda:
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद(Swami Avimukteshwarananda)ने कहा कि महाकुंभ के दौरान उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से गायों की रक्षा के लिए एक विशेष कानून बनाने की मांग की थी। उनका मानना था कि गाय को ‘माता’ का दर्जा देना चाहिए, ताकि उसे संरक्षित किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि सभी राजनीतिक दल गायों के पक्ष में बातें करते हैं, लेकिन असल में कोई भी गोहत्या के बढ़ते आंकड़ों पर चर्चा नहीं करता। स्वामी जी ने आरोप लगाया कि सरकार ने इस मुद्दे पर अनदेखी की है और गायों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। महाकुंभ के आखिरी दिन स्वामी जी ने सरकार को 33 दिनों का समय दिया था, जिसे 33 करोड़ देवताओं का प्रतीक माना गया। उनका यह संदेश था कि यदि सरकार गायों के संरक्षण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाती है तो वे इसे जनता के सामने लाएंगे।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद(Swami Avimukteshwarananda) ने 17 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में गो-रक्षा के लिए एक बड़ा विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया था। इस प्रदर्शन के लिए दिल्ली पुलिस ने स्वीकृति भी दी थी, लेकिन बाद में केंद्र सरकार ने उनके अनुरोध को रद्द कर दिया। स्वामी जी ने कहा कि उनका उद्देश्य केवल जनता के हित में आवाज उठाना था और वे चाहते थे कि राजनीतिक दल इस मुद्दे पर अपनी स्पष्ट राय दें। उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक दल या तो गोहत्या के खिलाफ खड़े हों या फिर चुप रहकर इसे बढ़ने दें। उनका कहना था कि यह देश की आस्था और संस्कृति से जुड़ा मुद्दा है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। स्वामी जी ने कहा कि जब तक सरकार इस मुद्दे पर गंभीर कदम नहीं उठाएगी, तब तक वे इस पर आवाज उठाते रहेंगे।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद(Swami Avimukteshwarananda) के बयान से साफ है कि वे गो-रक्षा के मुद्दे को एक राष्ट्रीय समस्या मानते हैं, जिसे हल करने के लिए सरकार को सख्त कदम उठाने होंगे।Swami Avimukteshwarananda:

केंद्रीय खेल मंत्री ने खेलों को अब सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि एक पेशेवर करियर के रूप में देखा जाने की बात की। उन्होंने कहा कि अब खेलों में भी रोजगार के अवसर मिल रहे हैं, जिससे युवा खिलाड़ी अपना करियर बनाने के साथ-साथ समाज में अपनी पहचान भी बना सकते हैं। मंडाविया (Mansukh Mandaviya) ने बताया कि पहले जहां लोग अपने बच्चों को सिर्फ पढ़ाई के लिए प्रेरित करते थे, वहीं अब बच्चों को खेलों में भी अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उनका(Mansukh Mandaviya) मानना है कि खेलों में कामयाबी मिलने पर खिलाड़ियों को नौकरी, आय और पहचान तीनों मिल सकते हैं। इसके साथ ही, प्रधानमंत्री मोदी के खेलों के प्रति दृष्टिकोण को लेकर उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत को खेल महाशक्ति बनाने का रोडमैप तैयार किया जा रहा है।
मंडाविया(Mansukh Mandaviya) ने आगे कहा कि जून और जुलाई 2025 में ‘टैलेंट हंट’ अभियान शुरू होगा, जिसमें 30,000 से अधिक खेल अधिकारी देशभर के स्कूलों में बच्चों की खेल प्रतिभा का चयन करेंगे। हर जिले में एक स्पोर्ट्स स्कूल स्थापित किया जाएगा, जहां बच्चों को खेल, कोचिंग, न्यूट्रिशन और शिक्षा की सुविधा मिलेगी। उन्होंने यह भी बताया कि खिलाड़ियों का चयन पूरी तरह से पारदर्शी होगा और ओपन कॉम्पिटिशन में उनकी क्षमताओं का मूल्यांकन किया जाएगा। इसके अलावा, हर खेल के लिए एक कॉर्पोरेट पार्टनर और एक्सीलेंस सेंटर भी स्थापित किया जाएगा, जहां चुने हुए खिलाड़ी विशेष ट्रेनिंग प्राप्त करेंगे और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करने के लिए तैयार होंगे। इस प्रक्रिया से भारत में खेलों का स्तर और भी ऊंचा होगा, और खिलाड़ी दुनिया भर में अपनी पहचान बना सकेंगे।Mansukh Mandaviya:
केंद्रीय खेल मंत्री ने खेलों को अब सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि एक पेशेवर करियर के रूप में देखा जाने की बात की। उन्होंने कहा कि अब खेलों में भी रोजगार के अवसर मिल रहे हैं, जिससे युवा खिलाड़ी अपना करियर बनाने के साथ-साथ समाज में अपनी पहचान भी बना सकते हैं। मंडाविया (Mansukh Mandaviya) ने बताया कि पहले जहां लोग अपने बच्चों को सिर्फ पढ़ाई के लिए प्रेरित करते थे, वहीं अब बच्चों को खेलों में भी अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उनका(Mansukh Mandaviya) मानना है कि खेलों में कामयाबी मिलने पर खिलाड़ियों को नौकरी, आय और पहचान तीनों मिल सकते हैं। इसके साथ ही, प्रधानमंत्री मोदी के खेलों के प्रति दृष्टिकोण को लेकर उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत को खेल महाशक्ति बनाने का रोडमैप तैयार किया जा रहा है।
मंडाविया(Mansukh Mandaviya) ने आगे कहा कि जून और जुलाई 2025 में ‘टैलेंट हंट’ अभियान शुरू होगा, जिसमें 30,000 से अधिक खेल अधिकारी देशभर के स्कूलों में बच्चों की खेल प्रतिभा का चयन करेंगे। हर जिले में एक स्पोर्ट्स स्कूल स्थापित किया जाएगा, जहां बच्चों को खेल, कोचिंग, न्यूट्रिशन और शिक्षा की सुविधा मिलेगी। उन्होंने यह भी बताया कि खिलाड़ियों का चयन पूरी तरह से पारदर्शी होगा और ओपन कॉम्पिटिशन में उनकी क्षमताओं का मूल्यांकन किया जाएगा। इसके अलावा, हर खेल के लिए एक कॉर्पोरेट पार्टनर और एक्सीलेंस सेंटर भी स्थापित किया जाएगा, जहां चुने हुए खिलाड़ी विशेष ट्रेनिंग प्राप्त करेंगे और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करने के लिए तैयार होंगे। इस प्रक्रिया से भारत में खेलों का स्तर और भी ऊंचा होगा, और खिलाड़ी दुनिया भर में अपनी पहचान बना सकेंगे।Mansukh Mandaviya: