Economy : भारत की अर्थव्यवस्था अगले वित्त वर्ष (2025-26) में और भी तेज गति से आगे बढ़ने वाली है। विभिन्न वित्तीय संस्थानों और एजेंसियों के अनुमानों के अनुसार, देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 6.5% से अधिक रह सकती है। मूडीज रेटिंग्स ने हाल ही में जारी अपने आकलन में कहा है कि सरकारी पूंजीगत व्यय में वृद्धि, कर कटौती और ब्याज दरों में संभावित कमी के चलते उपभोग में इजाफा होगा, जिससे आर्थिक विकास को और मजबूती मिलेगी।
आर्थिक समीक्षा और सरकारी अनुमान
वित्त मंत्रालय की ताजा आर्थिक समीक्षा के अनुसार, अगले वित्त वर्ष के लिए GDP ग्रोथ रेट 6.3% से 6.8% के बीच रहने की संभावना है। आधिकारिक अनुमानों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में यह दर 6.5% रहने की उम्मीद है। वहीं, जुलाई-सितंबर 2024 की तिमाही में यह दर कुछ धीमी होकर 5.6% रही थी, लेकिन अगली तिमाही में यह फिर से बढ़कर 6.2% हो गई।
बैंकों और वित्तीय संस्थानों की स्थिरता
मूडीज ने भारतीय बैंकिंग सेक्टर के लिए एक स्थिर दृष्टिकोण का संकेत दिया है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि हाल के वर्षों में बड़े सुधारों के बावजूद, बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता (Asset Quality) में मामूली गिरावट देखने को मिल सकती है।
बैंकिंग उद्योग में खुदरा ऋण (Retail Loan), माइक्रो फाइनेंस लोन और छोटे व्यवसायिक ऋणों पर कुछ दबाव बना रह सकता है, लेकिन समग्र रूप से बैंकिंग प्रणाली लाभदायक बनी रहेगी। मूडीज का मानना है कि शुद्ध ब्याज मार्जिन (NIM) में गिरावट मामूली होगी, जिससे बैंकों की लाभप्रदता पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
महंगाई दर और मौद्रिक नीति का प्रभाव
मूडीज के अनुसार, भारत की औसत महंगाई दर वित्त वर्ष 2025-26 में घटकर 4.5% रहने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष 4.8% थी। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच अपनी नीति दर में 2.50% की वृद्धि की थी। हालांकि, फरवरी 2025 में आरबीआई ने अपनी नीतिगत दर को 0.25% घटाकर 6.25% कर दिया है, जिससे कर्ज लेने की लागत कम होने की संभावना है।
आर्थिक पुनरुद्धार की संभावनाएं
2024 के मध्य में एक अस्थायी मंदी के बाद, भारत की आर्थिक वृद्धि फिर से रफ्तार पकड़ सकती है। वैश्विक स्तर पर प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से भारत की GDP वृद्धि दर सबसे तेज़ हो सकती है। मूडीज का कहना है कि सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय बढ़ाने, मध्यम वर्ग के लिए कर छूट देने और मौद्रिक नीति में ढील देने से भारतीय अर्थव्यवस्था को सकारात्मक दिशा मिलेगी। Economy
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