Hyderabad News : तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी एक बार फिर अपनी बयानबाजी को लेकर विवादों में आ गए हैं। इंदिरा गांधी के नाम पर अन्नपूर्णा कैंटीन का नाम बदलने के विरोध में उतरे लोगों को लेकर रेवंत रेड्डी ने बेहद आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया। उन्होंने कहा, “जब तक इन्हें कपड़े उतारकर पीटा नहीं जाएगा, ये इंदिरा गांधी की महानता नहीं समझ पाएंगे।” उनके इस बयान से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है और विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
विरोध के सुर तेज, बीजेपी और बीआरएस ने साधा निशाना
रेवंत रेड्डी के इस बयान पर तेलंगाना बीजेपी अध्यक्ष जी. रामचंद्र राव ने तीव्र आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का यह बयान लोकतांत्रिक मयार्दाओं के खिलाफ है और उनके पद की गरिमा को ठेस पहुंचाता है। वहीं बीआरएस नेता केटी रामाराव ने भी कांग्रेस नेतृत्व पर हमला बोलते हुए कहा, “राहुल गांधी संविधान और लोकतंत्र की बात करते हैं, लेकिन उनके मुख्यमंत्री अभद्र भाषा में बयान दे रहे हैं।”
इंदिरा कैंटीन को लेकर शुरू हुआ विवाद
दरअसल, तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में बीआरएस सरकार के समय शुरू हुई अन्नपूर्णा कैंटीन योजना को अब कांग्रेस सरकार ने इंदिरा गांधी के नाम पर पुन: ब्रांड किया है। जीएचएमसी की स्थायी समिति ने इसके नाम परिवर्तन के साथ ही 5 रुपये में नाश्ता योजना शुरू करने की घोषणा भी की है। इस फैसले के बाद शहर के कुछ इलाकों में विरोध प्रदर्शन हुए, जिन्हें लेकर रेवंत रेड्डी ने यह आपत्तिजनक टिप्पणी की। रेवंत ने दावा किया कि गरीबों के हित में शुरू की गई यह योजना इंदिरा गांधी की विरासत का हिस्सा है और इस पर राजनीति करना निंदनीय है। लेकिन उन्होंने जिस भाषा का उपयोग किया, वह न केवल राजनीतिक विरोधियों बल्कि आम नागरिकों और सामाजिक संगठनों को भी खटक रही है।
राजनीतिक लाभ बनाम संवैधानिक गरिमा
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि योजनाओं के नाम बदलना कोई नई बात नहीं है। हर सत्ता परिवर्तन के साथ इस तरह के फैसले होते रहे हैं। लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा ऐसी अभद्र भाषा का प्रयोग करना न केवल असंवैधानिक है, बल्कि लोकतंत्र की गरिमा पर भी चोट है। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि रेवंत रेड्डी का बयान कांग्रेस के लिए भी असहज स्थिति पैदा कर सकता है, खासतौर पर तब, जब पार्टी खुद को संविधान बचाने और संस्थागत मयार्दाओं की रक्षक के रूप में प्रस्तुत कर रही है। इस पूरे विवाद ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि क्या योजनाओं के नाम पर राजनीति होनी चाहिए? क्या मुख्यमंत्री जैसे संवेदनशील पद पर बैठे व्यक्ति को अधिक संयमित और मर्यादित भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए? जनता की नजर अब यह देखने पर टिकी है कि क्या रेवंत रेड्डी अपने बयान पर माफी मांगेंगे या कांग्रेस नेतृत्व उनसे दूरी बनाएगा।
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