Hypersonic Missile : भारत की सामरिक क्षमता को और अधिक धार देने की दिशा में एक बड़ी प्रगति सामने आई है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने एक नई लंबी दूरी की एंटी-शिप हाइपरसोनिक मिसाइल प्रणाली विकसित करनी शुरू कर दी है, जिसे फिलहाल त्रिशूल-एच नाम से पहचाना जा रहा है। डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत ने इसकी आधिकारिक जानकारी देते हुए बताया कि इस मिसाइल का परीक्षण आगामी दो से तीन वर्षों में पूरा कर लिया जाएगा। इस अत्याधुनिक मिसाइल की मारक क्षमता 1500 किलोमीटर तक होगी, जिससे यह कराची और इस्लामाबाद जैसे रणनीतिक शहरों को केवल 8 मिनट में भेदने में सक्षम होगी। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह मिसाइल चीन के कई सामरिक क्षेत्रों को भी अपनी सीमा में ले सकती है।
नौसेना की स्ट्राइक क्षमता को मिलेगा नया आयाम
त्रिशूल-एच का विकास विशेष रूप से भारतीय नौसेना की समुद्री आक्रामक क्षमताओं को सुदृढ़ करने के लिए किया जा रहा है, लेकिन इसकी बहु-भूमिका क्षमता इसे थल, जल और वायु तीनों क्षेत्रों में उपयोगी बनाएगी। इसका उपयोग तीनों सेनाओं के लिए मल्टी-डोमेन प्लेटफॉर्म के रूप में किया जाएगा, जो भारत की जवाबी कार्रवाई की गति और सीमा दोनों में ऐतिहासिक बढ़ोतरी करेगा।
हाइपरसोनिक तकनीक से अजेय वेग
त्रिशूल-एच हाइपरसोनिक श्रेणी की मिसाइल है, जिसका अर्थ है कि इसकी गति मैक 5 (ध्वनि की गति से पांच गुना) से भी अधिक होगी। इतनी तीव्र रफ्तार के साथ दुश्मन की किसी भी एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम के लिए इसे रोकना लगभग असंभव होगा। डॉ. कामत ने कहा, इस परियोजना के सफल परीक्षण के बाद भारत विश्व के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा, जिनके पास हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक होगी। यह हमारे स्ट्रैटेजिक डिटरेंस और समुद्री प्रभुत्व को नई ऊंचाई पर ले जाएगा।