Lalit Modi : भारतीय कानून से बचने के लिए आईपीएल के पूर्व प्रमुख ललित मोदी ने प्रशांत महासागर के छोटे से देश वानूआतू की नागरिकता हासिल कर ली है। वानूआतू की नागरिकता लेने के बाद उन्हें भारत वापस लाना और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है। इसके साथ ही ललित मोदी ने भारतीय पासपोर्ट भी सरेंडर करने के लिए वहां भारतीय दूतावास से संपर्क किया है। इसका मतलब है कि अब वे भारत के साथ अपना कोई भी नाता नहीं रखना चाहते हैं, साथ ही यहां की सजा से भी हमेशा के लिए निजात चाहते हैं।
कैसे मिलती है वानूआतू की नागरिकता
वानूआतू सरकार ‘नागरिकता द्वारा निवेश’ कार्यक्रम के तहत अपनी नागरिकता प्रदान करती है। इस कार्यक्रम के अनुसार, आवेदक को सरकार को $130,000 (लगभग 1.13 करोड़ रुपये) का दान देना होता है। दिलचस्प बात यह है कि इस प्रक्रिया के लिए आवेदक को वानूआतू में शारीरिक रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होती; शपथ ग्रहण आॅनलाइन या वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से की जा सकती है।
भारत के साथ प्रत्यर्पण संधि की अनुपस्थिति
वानूआतू का भारत के साथ कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है, जिससे ललित मोदी का भारत प्रत्यर्पण और भी कठिन हो गया है। प्रत्यर्पण संधि दो या दो से अधिक देशों के बीच एक समझौता होता है, जिसमें वे आपसी सहमति से अपराधियों को एक देश से दूसरे देश में सौंपने के लिए तैयार होते हैं। इस समझौते का उद्देश्य अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाना और उन्हें भागने से रोकना है।
वानूआतू की नागरिकता के लाभ
वानूआतू की नागरिकता प्राप्त करने के कई फायदे हैं, जिनमें सबसे पहले टैक्स का लाभ होता है, वानूआतू में व्यक्तिगत आयकर नहीं लगता है, जिससे यह एक टैक्स हेवन माना जाता है। यहां वीजा-मुक्त यात्रा की जा सकती है। वानूआतू के पासपोर्ट पर 55 देशों में वीजा-मुक्त प्रवेश और 34 देशों में वीजा आॅन अराइवल की सुविधा मिलती है। ललित मोदी द्वारा वानूआतू की नागरिकता प्राप्त करने से भारत सरकार के लिए उन्हें प्रत्यर्पित करना और भी जटिल हो गया है, विशेषकर प्रत्यर्पण संधि की अनुपस्थिति और वानूआतू की नागरिकता के साथ मिलने वाले लाभों के कारण।
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