Wednesday, 9 July 2025

‘पाताल’ में छिपे दुश्मन की भी खैर नहीं, भारत बना रहा अमेरिकी बंकर बस्टर से ज्यादा ताकतवर हथियार

New Delhi News : भारत अब उन दुश्मन ठिकानों को भी तबाह करने की तैयारी में है, जो जमीन की…

‘पाताल’ में छिपे दुश्मन की भी खैर नहीं, भारत बना रहा अमेरिकी बंकर बस्टर से ज्यादा ताकतवर हथियार

New Delhi News : भारत अब उन दुश्मन ठिकानों को भी तबाह करने की तैयारी में है, जो जमीन की सतह से सैकड़ों फीट नीचे छिपे हैं। अमेरिका द्वारा हाल ही में ईरान के फोर्डो परमाणु ठिकाने पर किए गए बंकर बस्टर हमले के बाद भारत ने भी इस दिशा में बड़ी छलांग लगाई है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) अब अग्नि-5 मिसाइल पर आधारित एक शक्तिशाली बंकर बस्टर प्रणाली विकसित कर रहा है, जो तकनीक और मारक क्षमता के लिहाज से अमेरिका के GBU-57 बम को भी चुनौती देगा।

अग्नि-5 का अगला संस्करण : सतह से 100 मीटर नीचे तक हमला

डीआरडीओ DRDO जिस बंकर बस्टर प्रणाली पर काम कर रहा है, उसकी मारक क्षमता जमीन के भीतर 80 से 100 मीटर तक होगी। इसका मतलब है कि दुश्मन चाहे कितनी भी मजबूत कंक्रीट संरचना के नीचे क्यों न छिपा हो, भारत का ये हथियार उसे नेस्तनाबूद करने में सक्षम होगा। यह प्रणाली अग्नि-5 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल के अपग्रेडेड संस्करण में तैनात की जाएगी, जो करीब 5000 किमी तक लक्ष्य भेदने में सक्षम है।

अमेरिका से आगे भारत का कदम

अमेरिका के GBU-57 बम वर्तमान में 60-70 मीटर तक की गहराई में हमला कर सकते हैं, जबकि भारत की नई प्रणाली उससे कहीं अधिक प्रभावी और किफायती होगी। भारत इसे मिसाइल डिलीवरी प्लेटफॉर्म से जोड़ रहा है, जिससे महंगे बमवर्षक विमानों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी यह रणनीतिक रूप से न केवल सस्ता बल्कि अधिक सुरक्षित भी होगा।

7.5 टन वारहेड ले जाने में सक्षम

इस नए बंकर बस्टर वर्जन में 7,500 किलोग्राम तक का पारंपरिक वारहेड लगाया जा सकेगा, जो भारत द्वारा अब तक विकसित किए गए सबसे भारी गैर-परमाणु हथियारों में से एक होगा। यह मिसाइल विस्फोट से पहले खुद को जमीन में ड्रिल करेगी और फिर अंदर ही धमाका कर टारगेट को पूरी तरह खत्म कर देगी। New Delhi News

हवा में भी घातक और जमीन में भी विनाशकारी

डीआरडीओ दो अलग-अलग वर्जन पर काम कर रहा है। एक ऐसा जो हवाई लक्ष्यों के लिए एयरबर्स्ट वारहेड से लैस होगा, और दूसरा विशेष रूप से जमीन के अंदर छिपे सामरिक ठिकानों के लिए। इसकी गति मैक-8 से मैक-20 के बीच होगी, जो इसे हाइपरसोनिक कैटेगरी में शामिल करती है। इसका मतलब है कि यह हथियार दुश्मन के रिएक्शन टाइम को भी बेहद कम कर देगा। New Delhi News

पाकिस्तान-चीन को सीधी चुनौती

यह हथियार प्रणाली खासतौर पर पाकिस्तान और चीन जैसे विरोधी देशों के कमांड और कंट्रोल सेंटर, मिसाइल साइलो और रणनीतिक ठिकानों को निशाना बनाने के लिए अहम मानी जा रही है। इसकी तैनाती भारत के सामरिक संतुलन को और मजबूत करेगी। भारत केवल एक हथियार प्रणाली पर नहीं टिका है। इससे पहले DRDO ‘गौरव’ और ‘गौतम’ जैसे स्मार्ट ग्लाइड बम विकसित कर चुका है, जो बिना सीमा पार किए दुश्मन के एयरबेस और बंकरों को ध्वस्त करने में सक्षम हैं। ये हथियार ‘स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन’ श्रेणी में आते हैं। New Delhi News

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में रणनीतिक छलांग

भारत का यह प्रयास उसे न केवल सैन्य दृष्टिकोण से अधिक सुरक्षित बनाएगा बल्कि वैश्विक रक्षा बाजार में उसकी साख और आत्मनिर्भरता को भी मजबूत करेगा। जहां एक ओर यह अमेरिका की बराबरी का प्रयास है, वहीं दूसरी ओर यह पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसियों के लिए एक स्पष्ट संदेश भी है। भारत अब ‘सतह से नीचे’ भी निर्णायक वार करने को तैयार है। New Delhi News

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