Operation Sindoor : जहां एक ओर पाकिस्तान “आपरेशन सिंदूर” को लेकर भारत पर तीखे आरोप लगा रहा है, वहीं भारत में भी यह सैन्य अभियान विपक्षी राजनीति का केंद्र बन गया है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता नरेंद्रनाथ चक्रवर्ती के एक बयान ने नए विवाद को जन्म दे दिया है। उन्होंने आपरेशन सिंदूर को “बीजेपी द्वारा खड़ा किया गया युद्धोन्माद” करार दिया, जिससे राजनीतिक हलकों में भूचाल आ गया है।
वीरता का अपमान : बीजेपी का आरोप
इस बयान के बाद बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा ने चक्रवर्ती के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है। बीजेपी का आरोप है कि चक्रवर्ती ने अपने बयान से भारतीय सशस्त्र बलों के पराक्रम को अपमानित किया है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि चक्रवर्ती की टिप्पणी इस बात का प्रमाण है कि टीएमसी राज्य में राष्ट्रविरोधी सोच को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने इसे निंदनीय और शर्मनाक करार देते हुए कहा कि सेना की वीरता पर प्रश्नचिन्ह लगाने वाले किसी भी व्यक्ति को माफ नहीं किया जा सकता।
पाकिस्तान की इतनी चिंता है तो वहीं चले जाएं
बीजेपी विधायक जितेंद्र तिवारी ने कहा कि अगर चक्रवर्ती को पाकिस्तान की इतनी चिंता है तो उन्हें वहीं जाकर बस जाना चाहिए। तिवारी ने टीएमसी पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि अगर यही बयान किसी बीजेपी नेता ने दिया होता, तो टीएमसी अब तक एफआईआर दर्ज कर चुकी होती।
एनआईए जांच की उठी मांग
नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने इस बयान को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा विषय बताया और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से तत्काल जांच की मांग की। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि “भारत के नागरिकों को यह जानने का हक है कि इस बयान के पीछे क्या कोई गहरा नेटवर्क है या किसी विदेशी ताकत का प्रभाव?”
टीएमसी ने दूरी बनाई
मामले ने जब तूल पकड़ा तो तृणमूल कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य सामने आईं। उन्होंने कहा कि नरेंद्रनाथ चक्रवर्ती का बयान पार्टी की आधिकारिक राय नहीं है, यह उनकी व्यक्तिगत सोच है। उन्होंने साफ किया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पार्टी सांसद अभिषेक बनर्जी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि टीएमसी आॅपरेशन सिंदूर को लेकर कोई राजनीतिक टिप्पणी नहीं करेगी।
इस पूरे घटनाक्रम ने स्पष्ट कर दिया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बयानबाजी करने वाले नेताओं को सिर्फ राजनीतिक नुकसान ही नहीं, बल्कि कानूनी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है। अब यह देखना अहम होगा कि जांच एजेंसियां इस बयान को किस स्तर तक गंभीरता से लेती हैं। Operation Sindoor