Friday, 20 June 2025

प्रशांत किशोर चल पड़े हैं जेपी की राह पर, करने वाले हैं कुछ बड़ा

Prashant Kishore : प्रशांत किशोर पूरे लाव लश्कर के साथ जे. पी के मार्ग पर चल पड़े हैं। प्रशांत किशोर…

प्रशांत किशोर चल पड़े हैं जेपी की राह पर, करने वाले हैं कुछ बड़ा

Prashant Kishore : प्रशांत किशोर पूरे लाव लश्कर के साथ जे. पी के मार्ग पर चल पड़े हैं। प्रशांत किशोर ने साफ शब्दों में कहा है कि वह जयप्रकाश नारायण यानी जे पी बाबू को अपना आदर्श मानते हैं। यही कारण है कि प्रशांत किशोर ने बिहार में बदलाव की शुरुआत लोकनारायण जयप्रकाश नारायण के गांव से करने की घोषणा की है। प्रशांत किशोर ने बिहार प्रदेश में बदलाव करने की अपनी योजना का नाम “बिहार बदलाव” यात्रा रखा है। प्रशांत किशोर मंगलवार 20 मई को अपनी “बिहार बदलाव यात्रा” की शुरुआत लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जन्म भूमि सिताब दियारा गांव से कर रहे हैं।

बिहार में जे पी आंदोलन के जैसा वातावरण बनाना चाहते हैं प्रशांत किशोर

आपको बता दें कि प्रशांत किशोर राजनीतिक रणनीतिकार से पूरी तरह राजनेता बन गए हैं। एक दौर था जब बिहार के सपूत जयप्रकाश नारायण यानी जे पी बाबू ने पूरे देश में सत्ता परिवर्तन का अभियान चलाया था।
उस अभियान में उस समय जे.पी बाबू उस समय देश की सबसे ताकतवर नेता श्रीमती इंदिरा गांधी को सत्ता से बाहर करने में सफल हो गए थे। प्रशांत किशोर “बिहार बदलाव यात्रा” करके बिहार प्रदेश की सत्ता को बदलना चाहते हैं। प्रशांत किशोर का प्रयास है कि जे.पी आंदोलन की तरह से ही बिहार के बदलाव का सबसे बड़ा आंदोलन चलाया जाए। तमाम विश्लेषकों का दावा है कि प्रशांत किशोर पूरी तरह से जे पी के मार्ग पर चल पड़े हैं। प्रशांत किशोर की “बिहार बदलाव” यात्रा का पूरा कार्यक्रम घोषित कर दिया गया है।

प्रशांत किशोर करेंगे पूरे 20 दिन की “बिहार बदलाव यात्रा”

प्रशांत किशोर की पार्टी का नाम जन सुराज पार्टी है। बैनर पर होने वाली प्रशांत किशोर उर्फ पी के की “बिहार बदलाव यात्रा” का पूरा रोड मैप घोषित हो गया है। जन सुराज पार्टी के प्रवक्ता ने बताया कि पीके की ‘बिहार बदलाव यात्रा’ लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जन्मभूमि सारण जिले के सिताब दियारा गांव स्थित जेपी स्मारक से शुरू होगी। प्रशांत किशोर की इस यात्रा के जरिये जन सुराज पार्टी ने बिहार के सभी 243 विधानसभा क्षेत्र तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है। सारण जिले के सिताब दियारा से शुरू हो रही इस यात्रा के दौरान हर दिन दो से तीन विधानसभा सीटें कवर करेंगे। पीके और उनकी पार्टी के नेता-कार्यकर्ता हर सीट पर जनता के बीच पहुंचकर बिहार को लेकर अपना विजन और रोडमैप जनता को बताएंगे। हर विधानसभा क्षेत्र में प्रशांत किशोर की नुक्कड़ सभाएं भी होंगी। पीके जनता को संबोधित कर सरकार और विपक्ष की विफलताएं गिनाएंगे, यह बताएंगे कि जन सुराज बाकी दलों से कैसे अलग है और क्यों इस पार्टी का समर्थन करना चाहिए। प्रशांत किशोर की बिहार बदलाव यात्रा 120 दिन तक चलेगी। प्रशांत किशोर इससे पहले बिहार में जन सुराज पदयात्रा की थी। पीके की जन सुराज पदयात्रा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के मौके पर 2 अक्टूबर 2022 को शुरू हुई थी। प्रशांत किशोर ने करीब दो साल पदयात्रा कर बिहार के अलग-अलग हिस्से नापने, जनता का मिजाज भांपने के बाद 2 अक्टूबर 2024 को जन सुराज पार्टी बनाने का ऐलान किया था।बिहार चुनाव से पहले प्रशांत किशोर की “बिहार बदलाव यात्रा” को लेकर जन सुराज का प्लान है कि चुनाव कार्यक्रम के ऐलान से पहले यह यात्रा संपन्न हो जाए. पीके ने अपनी यात्रा को लेकर हाल ही में कहा था कि इसका उद्देश्य बिहार सरकार की ओर से जातिगत जनगणना, भूमि सर्वे, दलित और महादलित के विकास के नाम पर जनता से किए गए धोखे को उजागर करना है।  उन्होंने यह भी कहा था कि बिहार में पिछले 35 साल से जेपी के अनुयायियों की सरकार है. इन अनुयायियों ने बिहार को बर्बाद कर दिया है। प्रशांत किशोर ने कहा था कि बिहार में व्यवस्था परिवर्तन के संकल्प को फिर से जागृत करने के लिए जेपी के जन्मस्थान से यात्रा की शुरुआत कर रहा हूं।

प्रशांत किशोर का पूरा परिचय जान लेना भी जरूरी है

प्रशांत किशोर किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। आपको यह जान लेना जरूरी है कि, 34 साल की उम्र में संयुक्त राष्ट्र की नौकरी छोड़कर भारत आये बक्सर निवासी प्रशांत किशोर जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़े तब उन्हें आम जनता नहीं जानती थी। प्रशांत किशोर ने राजनीति में ब्रांडिंग का दौर शुरू किया था। जब नरेंद्र मोदी को भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाया तब प्रशांत किशोर अपने काम में जुट गये। लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने से पहले ही प्रचार का दौर शुरू हुआ। ऐसा प्रचार पहले कभी नहीं देखा गया था। साल 2014 में प्रशांत किशोर ने सिटीजन फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (कैग) की स्थापना की थी। इसे भारत की पहली राजनीतिक एक्शन कमेटी माना जाता है। यह एक एनजीओ है जिसमें आईआईटी और आईआईएम में पढ़ने वाले युवा प्रोफेशनल्स शामिल थे। प्रशांत किशोर को नरेंद्र मोदी की उन्नत मार्केटिंग और विज्ञापन अभियान जैसे कि चाय पर चर्चा, 3डी रैली, रन फॉर यूनिटी, मंथन का श्रेय दिया जाता है। 2014 में जब भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल की और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तब पहली बार प्रशांत किशोर सुर्खियों में आये। लोग कहने लगे पीएम मोदी की शानदार जीत में प्रशांत किशोर का अहम योगदान रहा। हालांकि कुछ दिन बाद ही प्रशांत किशोर और भाजपा के बीच की दूरी बढ़ने लगे।
प्रशांत किशोर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बहुत बड़ी मदद कर चुके हैं। वहीं प्रशांत किशोर अब दावा कर रहे हैं कि नीतीश कुमार की राजनीति का दौर अब समाप्त हो चुका है। 2015 में प्रशांत किशोर ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए नीतीश कुमार- लालू यादव के महागठबंधन का साथ थामा था। उन्हें सफलता मिली। इसके बाद 2017 में वह वाईएसआर कांग्रेस से जुड़ गए। पार्टी के प्रमुख जगन मोहन रेड्डी ने किशोर की मुलाकात पार्टी के बड़े नेताओं से करवाई थी। हालांकि बिहार में जिस रणनीति ने काम किया था वह आंध्र प्रदेश में कामयाबी हासिल नहीं कर पाई। उन्होंने उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर काम किया था लेकिन यहां भी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। इसके बाद वह राजनीति में आये। सीएम नीतीश कुमार की पार्टी में शामिल हुए। पीके को बड़ा पद भी दिया गया। कुछ दिन बाद ही प्रशांत किशोर और नीतीश कुमार के बीच भी दूरियां बढ़ने लगी। चुनावी राजनीति में अपनी महारत दिखाने वाले प्रशांत किशोर पांडेय को जदयू से निकाल दिया गया है।

ममता बनर्जी की सरकार बना चुके हैं प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार बना चुके हैं। आप को बता दें कि 2021 में तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने प्रशांत किशोर को पश्चिम बंगाल में विधानसभा सभा की जिम्मेदारी सौंपी। पीके ने भी इस चुनाव में पीएम मोदी और भाजपा के खिलाफ पूरी ताकत झोंक दी। ममता बनर्जी फिर से मुख्यमंत्री चुनी गई थी। इस बार फिर से पीके की चर्चा पूरे देश में हुई। कुछ लोगों ने तो उन्हें चुनाव जीताने तक का श्रेय दे दिया। इसके बाद पीके में बिहार में सक्रिया राजनीति करने का फैसला किया। वह बिहार लौटकर आये। दो अक्टूबर 2022 को गांधी जयंती के अवसर पर उन्होंने चंपारण से अपनी पदयात्रा शुरू की। दो साल तक बिहार के गांव-गांव घूमे और लोगों से मिले। दो साल बाद यानी दो अक्टूबर 2024 को गांधी जयंती के ही दिन अपनी नई पार्टी बनाई। इनका नाम रखा जनसुराज। पार्टी में शिक्षा, चिकित्सा, प्रशासन समेत कई क्षेत्रों के दिग्गज जुड़े। प्रशांत किशोर ने 2025 विधानसभा चुनाव में जनसुराज पार्टी के लड़ने का एलान तो किया ही साथ ही 220 से अधिक सीटों पर जीत का दावा भी कर दिया। लेकिन, विधानसभा चुनाव से पहले चार सीटों पर उपचुनाव हुआ। इसमें पीके की पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। यहां पर यह चर्चा करना भी जरूरी है कि प्रशांत किशोर के भविष्य को लेकर जनता क्या सोचती है। पूरे देश में युवा वर्ग की बड़ी संख्या ऐसी हैं जो प्रशांत किशोर की तरफ बड़ी उम्मीद से देख रही है। युवा वर्ग को लगता है कि राजनेताओं को सलाह देकर बड़ी-बड़ी सरकार बनाने वाले प्रशांत किशोर नेता बनकर देश का बड़ा भला कर सकते हैं। बिहार से लेकर पूरे देश का युवा वर्ग प्रशांत किशोर को सत्ता में बैठकर काम करते हुए देखना चाहता है। अक्टूबर 2025 में होने वाला बिहार विधानसभा चुनाव बिहार प्रदेश के भविष्य के साथ ही प्रशांत किशोर का भविष्य भी तय करने वाला चुनाव साबित होगा। यही कारण है कि प्रशांत किशोर पूरे सधे हुए कदमों के साथ जेपी के रास्ते पर चल पडे हैं।

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