punishment of Rapist : हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक रेप के दोषी की सजा निलंबित कर दी, जब पीड़िता और दोषी दोनों ने आपसी सहमति से विवाह करने की इच्छा जताई। यह फैसला जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने सुनाया। कोर्ट ने दोनों पक्षों से चेंबर में मुलाकात की और उनकी सहमति के बाद कोर्टरूम में एक-दूसरे को फूल देने के लिए कहा, जिससे उनके विवाह की इच्छा को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया जा सके।
विवाह की तारीख दोनों परिवारों द्वारा तय किए जाएंगे
कोर्ट ने कहा कि विवाह की तारीख और अन्य विवरण दोनों परिवारों द्वारा तय किए जाएंगे, और इस प्रक्रिया के दौरान दोषी को अस्थायी रूप से रिहा किया जाएगा। हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यह निर्णय विशेष परिस्थितियों में लिया गया है और इसे सामान्यीकृत नहीं किया जाना चाहिए।
केंद्र विशेष अदालतें प्राथमिकता के आधार पर स्थापित करे
इस मामले के समान, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों से संबंधित मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए विशेष अदालतें प्राथमिकता के आधार पर स्थापित करे। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पी बी वराले की पीठ ने यह निर्देश दिया, यह देखते हुए कि वर्तमान में ऐसी अदालतों की संख्या अपर्याप्त है, जिससे मामलों की सुनवाई में देरी हो रही है। यह घटनाक्रम न्यायपालिका की संवेदनशीलता और समाज में पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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