Saturday, 15 March 2025

SC : जमानत खारिज करने के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्त की तल्ख़ राय

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भर्ती परीक्षा में डमी उम्मीदवार बिठाने के आरोप में गिरफ्तार दो अभियुक्तों…

SC : जमानत खारिज करने के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्त की तल्ख़ राय

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भर्ती परीक्षा में डमी उम्मीदवार बिठाने के आरोप में गिरफ्तार दो अभियुक्तों की जमानत याचिका खारिज कर दी। न्यायालय ने इस मामले में कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि इन आरोपियों को जमानत देने से आम जनता का प्रशासन और कार्यपालिका पर विश्वास कम हो सकता है। इस तरह के अपराध से समाज में अविश्वास की भावना बढ़ सकती है।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सुनवाई के दौरान दिया अहम बयान
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका स्वीकार की और जमानत खारिज कर दी। पीठ ने कहा, “हम समझते हैं कि एक बार जमानत मिलने के बाद उसे सामान्यतः खारिज नहीं किया जाता, लेकिन इस मामले में हम इसे खारिज कर रहे हैं क्योंकि इस अपराध का समाज पर दूरगामी असर पड़ेगा।”

आरोपियों के कृत्य से समाज में अविश्वास फैल सकता है
कोर्ट ने यह भी कहा कि वर्तमान में सरकारी नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्धा बहुत अधिक है और इस तरह के कृत्य से लोगों का सरकारी तंत्र और प्रशासन पर विश्वास कमजोर हो सकता है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रत्येक भर्ती परीक्षा और साक्षात्कार प्रक्रिया की ईमानदारी बनाए रखना अनिवार्य है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल योग्य उम्मीदवारों को ही नियुक्ति मिले।

जमानत पर सुप्रीम कोर्ट का कठोर रुख
सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा कि आरोपियों ने अपने निजी लाभ के लिए परीक्षा की शुचिता से समझौता किया। निचली अदालत ने भी यह निष्कर्ष निकाला था कि आरोपी जमानत के पात्र नहीं हैं। न्यायालय ने यह भी कहा कि हर व्यक्ति तब तक निर्दोष माना जाता है जब तक उसे अपराध के आरोपों में संदेह से परे दोषी साबित नहीं किया जाता। आरोपियों को मुकदमे का सामना करना चाहिए ताकि अदालत यह तय कर सके कि वे वास्तव में निर्दोष थे या नहीं।

मामला: डमी उम्मीदवार का प्रयोग और फर्जीवाड़ा
यह मामला इंद्राज सिंह नामक व्यक्ति से जुड़ा है, जिसने सहायक अभियंता सिविल (स्वायत्त शासन विभाग) प्रतियोगी परीक्षा 2022 की शुचिता से समझौता किया। इस प्रक्रिया में उसने एक डमी उम्मीदवार को परीक्षा में बैठाया और उपस्थिति पत्रक में फर्जी तरीके से छेड़छाड़ की। डमी उम्मीदवार की तस्वीर को मूल प्रवेश पत्र पर चिपका दिया गया था, जिससे परीक्षा की पारदर्शिता प्रभावित हुई। Supreme Court 

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