राजनीति के मैदान से गायब हो जाएंगे प्रशांत किशोर
आए दिन मीडिया की सुर्खियों में रहने वाले प्रशांत किशोर के राजनीतिक भविष्य को लेकर भी खूब सवाल उठाए जा रहे हैं सबसे बड़ा सवाल यह है कि प्रशांत किशोर का राजनीतिक भविष्य क्या है? अधिकतर विश्लेषकों का दावा है कि जल्द ही प्रशांत किशोर राजनीति के मैदान से गायब हो जाएंगे।

Prashant Kishore : राजनीति रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर इन दोनों क्या कर रहे हैं? यह सवाल प्रशांत किशोर के तमाम समर्थन कर रहे हैं। इस सवाल का ठीक-ठाक उत्तर किसी के भी पास नहीं है कि इन दिनों प्रशांत किशोर क्या कर रहे हैं? आए दिन मीडिया की सुर्खियों में रहने वाले प्रशांत किशोर के राजनीतिक भविष्य को लेकर भी खूब सवाल उठाए जा रहे हैं सबसे बड़ा सवाल यह है कि प्रशांत किशोर का राजनीतिक भविष्य क्या है? अधिकतर विश्लेषकों का दावा है कि जल्द ही प्रशांत किशोर राजनीति के मैदान से गायब हो जाएंगे।
प्रशांत किशोर की चुप्पी ने बढ़ा दी है अटकलें
बिहार के विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान प्रशांत किशोर खूब चर्चा में थे बिहार चुनाव के दौरान कोई भी ऐसा दिन नहीं था कि जिस दिन प्रशांत किशोर का कोई वीडियो, रील अथवा ऑडियो वायरल नहीं होता था। बिहार विधानसभा के चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद प्रशांत किशोर लगभग गायब हो गए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि जिस प्रकार प्रशांत किशोर पिछले डेढ़ महीने से मीडिया से गायब हुए हैं उसी प्रकार प्रशांत किशोर राजनीति के मैदान से भी गायब हो जाएंगे। कुछ कुछ विश्लेषकों तो यहां तक बोल रहे हैं कि जैसे गधे के सर से सिंह गायब हुए हैं, वैसे ही प्रशांत किशोर भी राजनीति के मैदान से गायब हो जाएंगे प्रशांत किशोर की पार्टी जान स्वराज के कार्यकर्ताओं विश्लेषकों की बात को पूरी तरह खारिज करते हैं प्रशांत किशोर की पार्टी के नेता देवेंद्र प्रभात का दावा है कि जल्दी प्रशांत किशोर राजनीति में कम बैक करेंगे देवेंद्र प्रभात दावा करते हैं कि जल्द ही प्रशांत किशोर बिहार की सरकार के विरुद्ध बड़ा जन आंदोलन शुरू करके एक बार फिर बिहार की राजनीति को बदलने का अभियान शुरू करेंगे। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में पहली बार चुनाव लड़ने वाली जनसुराज पार्टी के नेता और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बीते दिनों भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महासचिव और केरल स्थित वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात की है। इस मुलाकात के बाद पटना से दिल्ली तक के सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। सूत्रों का दावा है कि वर्ष 2027 में यूपी, पंजाब समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के संदर्भ में यह बैठक हुई। हालांकि इस मुलाकात पर जनसुराज या कांग्रेस की ओर से अभी तक किसी ने कुछ भी अधिकृत प्रतिक्रिया या बयान जारी नहीं किया है। प्रशांत किशोर ने यह बैठक बिहार विधानसभा चुनाव के लगभग एक महीने बाद हुई और इसी कारण इसे साधारण राजनीतिक शिष्टाचार से आगे का संकेत माना जा रहा है। यह मुलाकात इसलिए अहम है क्योंकि किशोर लंबे समय से कांग्रेस के मुखर आलोचक रहे हैं और अब उनके कांग्रेस में संभावित प्रवेश को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। पार्टी सूत्र इसे राजनीतिक विमर्श बता रहे हैं, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसके मायने इससे कहीं बड़े निकाले जा रहे हैं।
बुरी तरह से हारे प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर और प्रियंका गांधी की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब बिहार विधानसभा चुनाव में जन सुराज पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। किशोर की पार्टी एक भी सीट जीतने में नाकाम रही और 238 उम्मीवारों में से 236 की जमानत जब्त हो गई। इस परिणाम के बाद किशोर की रणनीतिक विश्वसनीयता और भविष्य की राजनीतिक दिशा पर सवाल उठने लगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रशांत किशोर तथा प्रियंका गांधी की यह मुलाकात केवल शिष्टाचार नहीं बल्कि संभावनाओं की टोह लेने की कोशिश भी हो सकती है। कांग्रेस संगठन को नई ऊर्जा और रणनीतिक धार की तलाश है, जबकि किशोर को एक राष्ट्रीय मंच की जरूरत महसूस हो रही है। इसीलिए इस बैठक को कांग्रेस में उनके प्रवेश की दिशा में पहला संकेत माना जा रहा है, भले ही औपचारिक तौर पर इसकी पुष्टि न की गई हो। प्रशांत किशोर और गांधी परिवार के संबंध नए नहीं हैं। रणनीतिकार के तौर पर हो या राजनीतिक सलाहकार के रूप में, किशोर का कांग्रेस नेतृत्व से संवाद पहले भी रहा है। 2025 के बिहार चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कांग्रेस द्वारा उठाए गए मुद्दों पर सार्वजनिक आपत्ति जताई थी। उन्होंने मतदाता सूची में संशोधन और राहुल गांधी के वोट चोरी अभियान को राज्य में गैर प्रासंगिक बताया था। हालांकि, उस समय उनकी आलोचना के बावजूद उनका खुद का चुनावी प्रयोग भी सफल नहीं रहा। 2021 में छ्वष्ठ से निष्कासन के बाद किशोर ने गांधी परिवार से संपर्क किया था और कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का एक रोडमैप प्रस्तावित किया था। इसके बाद 2022 में दोनों पक्षों के बीच औपचारिक बातचीत शुरू हुई. अप्रैल 2022 में सोनिया गांधी के जनपथ स्थित आवास पर हुई अहम बैठक में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और कई वरिष्ठ नेता मौजूद थेट इस बैठक में किशोर ने संगठनात्मक सुधार, चुनावी रणनीति और नेतृत्व संरचना को लेकर विस्तृत प्रस्तुति दी थी। उस समय किशोरके कांग्रेस में शामिल होने के इच्छुक माने जा रहे थे, जिससे उम्मीदें काफी बढ़ गई थीं।
प्रशांत किशोर को लेकर खूब हैं अटकलें
सोनिया गांधी ने किशोर के प्रस्तावों पर विचार के लिए एक समिति गठित करने का फैसला लिया और बाद में ‘एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप 2024’ के गठन की घोषणा की. कांग्रेस नेतृत्व ने किशोर को इस समूह का सदस्य बनने का प्रस्ताव दिया, लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया. किशोर का तर्क था कि पार्टी को बाहरी सलाह से ज्यादा मजबूत नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की जरूरत है. उन्होंने अधिक अधिकार और पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की, जिस पर सहमति नहीं बन सकी और बातचीत टूट गई। कांग्रेस ने तब बयान जारी कर कहा था कि किशोर के प्रयासों और सुझावों की सराहना की जाती है, लेकिन उन्होंने प्रस्ताव ठुकरा दिया. किशोर ने भी पलटवार करते हुए कांग्रेस की संरचनात्मक कमजोरियों की ओर इशारा कियाट अब, बिहार चुनाव के बाद प्रियंका गांधी से हुई ताजा मुलाकात ने पुराने अध्याय को फिर से खोल दिया है। सवाल यह है कि क्या दोनों पक्ष पिछली असहमति से आगे बढ़ पाएंगे. क्या कांग्रेस किशोर को बड़ी भूमिका देने के लिए तैयार होगी, या यह बैठक केवल विचार-विमर्श तक सीमित रहेगी। फिलहाल, इस मुलाकात ने इतना तय कर दिया है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस की राजनीति और प्रशांत किशोर की भूमिका पर सियासी चर्चाएं तथा अटकलें और अधिक तेज होंगी। Prashant Kishore
Prashant Kishore : राजनीति रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर इन दोनों क्या कर रहे हैं? यह सवाल प्रशांत किशोर के तमाम समर्थन कर रहे हैं। इस सवाल का ठीक-ठाक उत्तर किसी के भी पास नहीं है कि इन दिनों प्रशांत किशोर क्या कर रहे हैं? आए दिन मीडिया की सुर्खियों में रहने वाले प्रशांत किशोर के राजनीतिक भविष्य को लेकर भी खूब सवाल उठाए जा रहे हैं सबसे बड़ा सवाल यह है कि प्रशांत किशोर का राजनीतिक भविष्य क्या है? अधिकतर विश्लेषकों का दावा है कि जल्द ही प्रशांत किशोर राजनीति के मैदान से गायब हो जाएंगे।
प्रशांत किशोर की चुप्पी ने बढ़ा दी है अटकलें
बिहार के विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान प्रशांत किशोर खूब चर्चा में थे बिहार चुनाव के दौरान कोई भी ऐसा दिन नहीं था कि जिस दिन प्रशांत किशोर का कोई वीडियो, रील अथवा ऑडियो वायरल नहीं होता था। बिहार विधानसभा के चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद प्रशांत किशोर लगभग गायब हो गए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि जिस प्रकार प्रशांत किशोर पिछले डेढ़ महीने से मीडिया से गायब हुए हैं उसी प्रकार प्रशांत किशोर राजनीति के मैदान से भी गायब हो जाएंगे। कुछ कुछ विश्लेषकों तो यहां तक बोल रहे हैं कि जैसे गधे के सर से सिंह गायब हुए हैं, वैसे ही प्रशांत किशोर भी राजनीति के मैदान से गायब हो जाएंगे प्रशांत किशोर की पार्टी जान स्वराज के कार्यकर्ताओं विश्लेषकों की बात को पूरी तरह खारिज करते हैं प्रशांत किशोर की पार्टी के नेता देवेंद्र प्रभात का दावा है कि जल्दी प्रशांत किशोर राजनीति में कम बैक करेंगे देवेंद्र प्रभात दावा करते हैं कि जल्द ही प्रशांत किशोर बिहार की सरकार के विरुद्ध बड़ा जन आंदोलन शुरू करके एक बार फिर बिहार की राजनीति को बदलने का अभियान शुरू करेंगे। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में पहली बार चुनाव लड़ने वाली जनसुराज पार्टी के नेता और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बीते दिनों भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महासचिव और केरल स्थित वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात की है। इस मुलाकात के बाद पटना से दिल्ली तक के सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। सूत्रों का दावा है कि वर्ष 2027 में यूपी, पंजाब समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के संदर्भ में यह बैठक हुई। हालांकि इस मुलाकात पर जनसुराज या कांग्रेस की ओर से अभी तक किसी ने कुछ भी अधिकृत प्रतिक्रिया या बयान जारी नहीं किया है। प्रशांत किशोर ने यह बैठक बिहार विधानसभा चुनाव के लगभग एक महीने बाद हुई और इसी कारण इसे साधारण राजनीतिक शिष्टाचार से आगे का संकेत माना जा रहा है। यह मुलाकात इसलिए अहम है क्योंकि किशोर लंबे समय से कांग्रेस के मुखर आलोचक रहे हैं और अब उनके कांग्रेस में संभावित प्रवेश को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। पार्टी सूत्र इसे राजनीतिक विमर्श बता रहे हैं, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसके मायने इससे कहीं बड़े निकाले जा रहे हैं।
बुरी तरह से हारे प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर और प्रियंका गांधी की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब बिहार विधानसभा चुनाव में जन सुराज पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। किशोर की पार्टी एक भी सीट जीतने में नाकाम रही और 238 उम्मीवारों में से 236 की जमानत जब्त हो गई। इस परिणाम के बाद किशोर की रणनीतिक विश्वसनीयता और भविष्य की राजनीतिक दिशा पर सवाल उठने लगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रशांत किशोर तथा प्रियंका गांधी की यह मुलाकात केवल शिष्टाचार नहीं बल्कि संभावनाओं की टोह लेने की कोशिश भी हो सकती है। कांग्रेस संगठन को नई ऊर्जा और रणनीतिक धार की तलाश है, जबकि किशोर को एक राष्ट्रीय मंच की जरूरत महसूस हो रही है। इसीलिए इस बैठक को कांग्रेस में उनके प्रवेश की दिशा में पहला संकेत माना जा रहा है, भले ही औपचारिक तौर पर इसकी पुष्टि न की गई हो। प्रशांत किशोर और गांधी परिवार के संबंध नए नहीं हैं। रणनीतिकार के तौर पर हो या राजनीतिक सलाहकार के रूप में, किशोर का कांग्रेस नेतृत्व से संवाद पहले भी रहा है। 2025 के बिहार चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कांग्रेस द्वारा उठाए गए मुद्दों पर सार्वजनिक आपत्ति जताई थी। उन्होंने मतदाता सूची में संशोधन और राहुल गांधी के वोट चोरी अभियान को राज्य में गैर प्रासंगिक बताया था। हालांकि, उस समय उनकी आलोचना के बावजूद उनका खुद का चुनावी प्रयोग भी सफल नहीं रहा। 2021 में छ्वष्ठ से निष्कासन के बाद किशोर ने गांधी परिवार से संपर्क किया था और कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का एक रोडमैप प्रस्तावित किया था। इसके बाद 2022 में दोनों पक्षों के बीच औपचारिक बातचीत शुरू हुई. अप्रैल 2022 में सोनिया गांधी के जनपथ स्थित आवास पर हुई अहम बैठक में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और कई वरिष्ठ नेता मौजूद थेट इस बैठक में किशोर ने संगठनात्मक सुधार, चुनावी रणनीति और नेतृत्व संरचना को लेकर विस्तृत प्रस्तुति दी थी। उस समय किशोरके कांग्रेस में शामिल होने के इच्छुक माने जा रहे थे, जिससे उम्मीदें काफी बढ़ गई थीं।
प्रशांत किशोर को लेकर खूब हैं अटकलें
सोनिया गांधी ने किशोर के प्रस्तावों पर विचार के लिए एक समिति गठित करने का फैसला लिया और बाद में ‘एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप 2024’ के गठन की घोषणा की. कांग्रेस नेतृत्व ने किशोर को इस समूह का सदस्य बनने का प्रस्ताव दिया, लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया. किशोर का तर्क था कि पार्टी को बाहरी सलाह से ज्यादा मजबूत नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की जरूरत है. उन्होंने अधिक अधिकार और पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की, जिस पर सहमति नहीं बन सकी और बातचीत टूट गई। कांग्रेस ने तब बयान जारी कर कहा था कि किशोर के प्रयासों और सुझावों की सराहना की जाती है, लेकिन उन्होंने प्रस्ताव ठुकरा दिया. किशोर ने भी पलटवार करते हुए कांग्रेस की संरचनात्मक कमजोरियों की ओर इशारा कियाट अब, बिहार चुनाव के बाद प्रियंका गांधी से हुई ताजा मुलाकात ने पुराने अध्याय को फिर से खोल दिया है। सवाल यह है कि क्या दोनों पक्ष पिछली असहमति से आगे बढ़ पाएंगे. क्या कांग्रेस किशोर को बड़ी भूमिका देने के लिए तैयार होगी, या यह बैठक केवल विचार-विमर्श तक सीमित रहेगी। फिलहाल, इस मुलाकात ने इतना तय कर दिया है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस की राजनीति और प्रशांत किशोर की भूमिका पर सियासी चर्चाएं तथा अटकलें और अधिक तेज होंगी। Prashant Kishore












