Bihar Assembly Elections 2025

Bihar Assembly Elections 2025 :  बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) ने बड़ा दांव चला है। अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने ऐलान कर दिया है कि वह राज्य की सभी 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी और किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेगी। इस कदम को केवल चुनावी उपस्थिति भर नहीं माना जा सकता। इसके पीछे न सिर्फ एक सूक्ष्म राजनीतिक गणित है, बल्कि AAP की दीर्घकालिक रणनीति भी स्पष्ट झलकती है।

महागठबंधन को हो सकता है भारी नुकसान

2024 के लोकसभा चुनाव के आंकड़े साफ़ संकेत देते हैं—बिहार में एनडीए को 52% और महागठबंधन को 42% वोट मिले। अगर AAP केवल 2-4% वोट भी महागठबंधन के हिस्से से काट लेती है, खासकर शहरी इलाकों जैसे पटना, दरभंगा और मुजफ्फरपुर में, तो कई सीटों पर समीकरण उलट सकते हैं। चूंकि विधानसभा सीटों पर जीत-हार का अंतर अक्सर बेहद मामूली होता है, ऐसे में यह वोटकटवा भूमिका एनडीए को अप्रत्यक्ष लाभ पहुंचा सकती है।

सियासी जमीन तलाश रही AAP

AAP का बिहार में संगठन फिलहाल शुरुआती चरण में है। लेकिन सभी सीटों पर चुनाव लड़ना पार्टी को राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को गहराई से समझने, कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर तक सक्रिय करने और एक मजबूत ज़मीनी नेटवर्क तैयार करने का मौका देगा। दिल्ली और पंजाब के अनुभवों के साथ, AAP बिहार में भी मुफ्त बिजली, शिक्षा सुधार और मोहल्ला क्लीनिक जैसे अपने मॉडल को जनता के बीच लेकर जा रही है। खासतौर पर शहरी, पढ़े-लिखे और जातिगत राजनीति से ऊबे हुए युवा मतदाताओं को AAP विकल्प के तौर पर पेश आ सकती है।

इसके अलावा बिहार में जनसुराज पार्टी भी एक वैकल्पिक राजनीतिक ताकत के रूप में उभर रही है। प्रशांत किशोर की 3500 किमी पदयात्रा और एक करोड़ संस्थापक सदस्य एक बड़ी पूंजी है, लेकिन AAP के पास दो राज्यों की सत्ता, सरकारी अनुभव और भ्रष्टाचार-विरोधी छवि है। बिहार के शहरी मतदाता बिजली कटौती और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली से त्रस्त हैं, ऐसे में AAP के दिल्ली मॉडल की प्रासंगिकता बढ़ जाती है।

राष्ट्रीय दर्जे की मजबूती की दिशा में बड़ा कदम

भले ही बिहार में चुनाव लड़ना AAP के लिए राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे को बनाए रखने की शर्त न हो, लेकिन यह दर्जा और मजबूत हो, इसके लिए बिहार महत्वपूर्ण बन सकता है। यदि पार्टी को राज्य में 6% वोट शेयर और कम से कम 2 विधानसभा सीटें मिलती हैं, तो उसे “राज्य पार्टी” का दर्जा मिलेगा। इससे राष्ट्रीय स्तर पर AAP की स्थिति और भी सुदृढ़ हो सकती है। बिहार सिर्फ भौगोलिक दृष्टि से बड़ा राज्य नहीं है, यह हिंदी पट्टी की राजनीतिक धड़कन भी है। यहां की सियासत का असर देशभर में होता है। अगर AAP यहां अपनी पैठ बना लेती है, तो यह उसके लिए रणनीतिक जीत होगी।    Bihar Assembly Elections 2025

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