Ajit Doval : अजीत डोभाल का नाम भारत का बच्चा-बच्चा जानता है। जी हां वही अजीत डोभाल जिनके कंधों पर पूरे भारत को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी है। भारत के 140 करोड़ नागरिकों को सुरक्षित रखने वाले अजीत डोभाल खुद हर समय खतरे में रहते हैं। यूं भी बोल सकते हैं कि खतरों से खेलना अजीत डोभाल की आदत है। कुछ लोग तो अजीत डोभाल को खतरों का सबसे बड़ा खिलाड़ी भी कहते हैं।
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तीसरी बार बने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
नरेन्द्र मोदी जब से भारत के प्रधानमंत्री बने हैं तभी से अजीत डोभाल भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानि NSA हैं। बृहस्पतिवार को अजीत डोभाल तीसरी बार भारत के NSA बने हैं। हर कोई जानना चाहता है कि आखिर अजीत डोभाल में ऐसी कौन सी विशेषता है जो उन्हें ही बार-बार भारत का NSA बनाया जाता है। हम यहां कम शब्दों में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की विशेषताओं से आपको परिचित करा रहे हैं। अजीत डोभाल किसी बड़े से बड़े फिल्मी किरदार से भी बड़े रियल हीरो हैं।
दुनिया के अनेक लोग अजीत डोभाल को भारत का जेम्स बॉण्ड भी कहते हैं। पूरे करियर में अजित डोभाल ने महज 7 साल ही पुलिस की वर्दी पहनी। उनका ज्यादातर समय खुफिया विभाग में बतौर जासूस गुजरा है। अपनी हिम्मत और जज्बे के बूते डोभाल ने जासूसी की दुनिया में कई ऐसी मिसालें कायम कीं, जिसने उन्हें दुनिया रियल जेम्स बॉण्ड बना दिया।
अजित डोभाल का जीवन परिचय
20 जनवरी, 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जन्मे अजीत डोभाल ने अजमेर मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई की। केरल के 1968 बैच ढ्ढक्कस् अफसर अजित डोभाल अपनी नियुक्ति के चार साल बाद 1972 में ही इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) से जुड़ गए। 2005 में IB डायरेक्टर पोस्ट से रिटायर हुए। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में डोभाल मल्टी एजेंसी सेंटर और ज्वाइंट इंटेलिजेंस टास्क फोर्स के चीफ थे। अजित डोभाल वे विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के फाउंडर प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं।
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विवेकानंद फाउंडेशन को राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) के थिंक टैंक के तौर पर जाना जाता है। जासूसी की दुनिया में 37 साल का तजुर्बा रखने वाले अजित डोभाल 31 मई, 2014 को देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने थे। 1980 के दशक में लालडेंगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट के उग्रवाद को काबू करने के लिए अजीत डोभाल ने मोर्चा संभाला और ललडेंगा के 7 में से 6 कमांडरों को अपने साथ जोड़ लिया। खुफिया एजेंसी रॉ के अंडर कवर एजेंट के तौर पर अजित डोभाल 7 साल पाकिस्तान के लाहौर में एक पाकिस्तानी मुस्लिम बन कर रहे थे।
जून 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पर हुए आतंकी हमले के काउंटर ऑपरेशन ब्लू स्टार में जीत के नायक बने। वो रिक्शा वाला बनकर मंदिर के अंदर गए और आतंकियों की जानकारी सेना को दी, जिसके आधार पर ऑपरेशन में भारतीय सेना को सफलता मिली। 1999 में कंधार प्लेन हाईजैक के दौरान ऑपरेशन ब्लैक थंडर में अजीत डोभाल आतंकियों से निगोसिएशन करने वाले मुख्य अधिकारी थे। अजीत डोभाल 33 साल तक नॉर्थ-ईस्ट, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में खुफिया जासूस रहे। 2015 में मणिपुर में आर्मी के काफिले पर हमले के बाद म्यांमार की सीमा में घुसकर उग्रवादियों के खात्मे के लिए सर्जिकल स्ट्राइक ऑपरेशन के हेड प्लानर रहे।
लगा बधाईयों का तांता
अब आप जरूर समझ गए होंगे कि अजीत डोभाल किस प्रकार भारत और हर भारतीय के हीरो हैं। रात-दिन खतरों से घिरे रहने वाले अजीत डोभाल को तीसरी बार भारत का सुरक्षा सलाहकार बनाए जाने पर दुनिया भर से बधाईयोंं का तांता लगा हुआ है। अजीत डोभाल को तीसरी बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार NSA बनाए जाने का पूरे भारत में गर्मजोशी के साथ स्वागत हुआ है। Ajit Doval
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